बीजेपी सांसदों ने मोदी सरकार से पूछा, राम मंदिर के लिए आप क्या कर रहे हैं?
By पल्लवी कुमारी | Published: December 19, 2018 02:46 PM2018-12-19T14:46:33+5:302018-12-19T16:11:02+5:30
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कुछ हिन्दूवादी संगठन राम मंदिर के जल्द निर्माण का दबाव बना रहे हैं । आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसके लिये कानून बनाने पर जोर दिया है । हालांकि बीजेपी का मानना है कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए लेकिन उसने इस उद्देश्य के लिये कानून लाने पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है ।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर हलचले जोर पकड़ने लगी है। अब तो भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी नरेन्द्र मोदी सरकार से सवाल पूछने लगे है कि आखिर आप राम मंदिर के निर्माण के लिए क्या कर रहे हैं?
मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में राम मंदिर का मुद्दा उठाया गया। कुछ सांसदों ने पूछा कि मंदिर का निर्माण कब होगा।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सलेमपुर से सांसद रवीन्द्र कुशवाहा और हरिनारायण राजभर एवं कुछ अन्य सांसदों ने इस विषय को तब उठाया जब गृह मंत्री पार्टी सांसदों को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उत्तर प्रदेश सलेमपुर से सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने पूछा कि राम मंदिर के निर्माण पर क्या अपडेट है?
घोसी के सांसद हरि नारायण राजभर ने कहा कि वह जानना चाहते थे कि सरकार ने राम मंदिर निर्माण की सुविधा के लिए एक विधेयक लाने की योजना बनाई है या नहीं। इस संसदीय दल की बैठक की अगुवाई केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे। इन सांसदों के प्रश्न पर राजनाथ सिंह ने कहा, सब चाहते हैं कि राम मंदिर बन जाए लेकिन आप थोड़ा धैर्य रखिए है।
अमित शाह और मोदी नहीं थे मौजूद
सूत्रों के मुताबिक संसदीय मामलों के मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सांसदों से कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, जिन्होंने बैठक की अध्यक्षता की, उनके सवालों का जवाब देंगे। सिंह ने उनसे शांत रहने का अनुरोध किया। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हर पार्टी नेता के दिल के करीब एक मुद्दा था और हर कोई राम मंदिर देखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि आप बस सरकार पर विश्वास रखे राम मंदिर बनेगा। बीजेपी संसदीय पार्टी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मौजूद नहीं थे।
राजभार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया: "हां, मैंने बैठक में राम मंदिर के इस मुद्दे को उठाया था और सरकार से पूछा कि बिल कब लाया जाएगा। राजनाथ जी ने हमें इंतजार करने के लिए कहा ... जब 1992 में गुंबदों को लाया गया, तो किसी ने अदालत की अनुमति नहीं ली थी। अब विवादास्पद संरचना भी मौजूद नहीं है। तो लोगों को मंदिर बनाना चाहिए। यह विश्वास की बात है। "
राममंदिर पर केंद्रीय मंत्रियों ने धैर्य रखने की दी सलाह
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदूवादी संगठनों के बढ़ते दबाव के बीच दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने मंगलवार को इस मुद्दे पर धैर्य रखने की सलाह देने के साथ ही आपसी सहमति से मंदिर निर्माण की वकालत की।
नितिन गडकरी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आपसी सहमति से होना चाहिए और यह कोई सांप्रदायिक या धार्मिक मुद्दा नहीं है। वहीं बीजेपी संसदीय पार्टी की बैठक में कुछ पार्टी सांसदों ने जब इस मुद्दे पर सरकार का रुख जानना चाहा तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें धीरज रखने को कहा।
हिन्दूवादी संगठन राम मंदिर के जल्द निर्माण का दबाव बना रहे हैं
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कुछ हिन्दूवादी संगठन राम मंदिर के जल्द निर्माण का दबाव बना रहे हैं । आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसके लिये कानून बनाने पर जोर दिया है । हालांकि बीजेपी का मानना है कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए लेकिन उसने इस उद्देश्य के लिये कानून लाने पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है ।
नितिन गडकरी ने कहा- अयोध्या का मुद्दा सांप्रदायिक नहीं है
नितिन गडकरी ने आज तक चैनल के एक कान्क्लेव में कहा, ''अयोध्या का मुद्दा सांप्रदायिक नहीं है और धार्मिक भी नहीं है। भगवान राम हमारे इतिहास, संस्कृति और धरोहर के प्रतीक हैं। यह साबित हो गया है कि वहां मंदिर था। अगर हिंदुस्तान में जन्म भूमि पर राम मंदिर नहीं बनाया जा सकता तो कहां बनेगा? करोड़ों लोगों की भावनाएं और कामना है कि वहां राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए।''
बीजेपी के एजेंडे में भी यह भावना थी और आगे भी रहेगी
गडकरी ने कहा, ''इसके तीन रास्ते हैं। मामला अदालत में है। आपसी सहमति से यह हो सकता है या संसद में दो तिहाई बहुमत के माध्यम से किसी फैसले से हो सकता है। लेकिन मेरा मानना है कि यह आपसी सहमति से होना चाहिए। हमारी भावना 'सर्वधर्म समभाव' की है।'' उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय इस मुद्दे के समाधान के पक्ष में हैं।