Bjp Mp Dinesh Sharma Interview: चाणक्य नहीं शरद पवार!, गलत उपाधि दी गई..., दिनेश शर्मा ने कहा-उद्धव ठाकरे को कांग्रेस का साथ महंगा पड़ेगा
By राजेंद्र कुमार | Updated: May 28, 2024 15:18 IST2024-05-28T15:15:53+5:302024-05-28T15:18:37+5:30
Bjp Mp Dinesh Sharma Interview: महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का प्रभारी बनाकर भेजा तो दो महीने से अधिक समय तक महाराष्ट्र में रहकर पार्टी उम्मीदवारों को जिताने के अभियान का संचालन किया.

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Bjp Mp Dinesh Sharma Interview: उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा बेहद सुलझे हुए राजनेता हैं. करीब 35 से अधिक वर्षों के अपने राजनीतिक सफर में उन्होंने कभी भी कोई विवादास्पद शब्द नहीं बोला. बेहद सलीके से अपनी बात हर मंच से कही. लखनऊ के मेयर पद पर और गुजरात प्रभारी रहते हुए उन्होंने शालीनता से अपने दायित्व को निभाया. इस चुनाव में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्होंने महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का प्रभारी बनाकर भेजा तो दो महीने से अधिक समय तक महाराष्ट्र में रहकर पार्टी उम्मीदवारों को जिताने के अभियान का संचालन किया.
महाराष्ट्र की सभी सीटों पर मतदान खत्म होने के बाद दिनेश शर्मा लखनऊ लौटे हैं. यहां उन्होंने महाराष्ट्र में कैसे भाजपा और अजित पवार तथा शिवसेना शिंदे गुट को जिताने के लिए चुनावी रणनीति को अंजाम दिया? इसे लेकर लोकसभा समाचार के साथ अपनी रणनीति पर चर्चा की. उनसे हुई खास बातचीत के प्रमुख अंश...
आप यूपी के उपमुख्यमंत्री और गुजरात के प्रभारी रहे हैं और अब महाराष्ट्र के प्रभारी के रूप में वहां से चुनाव कराकर लखनऊ लौटे हैं, तो महाराष्ट्र का चुनावी सीन क्या है?
पूरे भारत का जो सीन है, वही सीन महाराष्ट्र का भी है. समूचा देश राममय है, मोदी का मैजिक देशभर में चल रहा है. मेरा मानना है यूपी और महाराष्ट्र में जीत का पिछला रिकॉर्ड टूटेगा. महाराष्ट्र में हमारे पन्ना प्रमुख और सुपर वारियर्स ने बहुत ही शानदार कार्य किया है. इन सबके प्रयासों से इंडिया गठबंधन के झूठे प्रचार का महाराष्ट्र में पर्दाफाश हो गया. इंडिया गठबंधन द्वारा भाजपा पर संविधान बदलने संबंधी लगाए गए आरोपों पर महाराष्ट्र के लोगों कहीं भी विश्वास नहीं किया. शरद पवार और उद्धव ठाकरे को वहां ही जनता ने करारा जवाब दिया है.
शरद पवार और उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की जनता के जवाब दिया है, अपने इस कथन का क्या संदेश है?
देखिये पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था और महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी. परंतु चुनाव बाद उद्धव ठाकरे ने जनता के फैसले का अनादर करते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. जबकि बाला साहब ठाकरे उनकी खिलाफत करते थे. यही नहीं राम का उत्सव मनाने वाले लोगों को उद्धव की सरकार ने गिरफ्तार भी किया. जिसके चलते उस चुनावों में महाराष्ट्र की जनता के कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे को सबक सिखाया है. इस चुनाव में शरद पवार अपनी बेटी को चुनाव जिता नहीं पा रहे हैं. कांग्रेस और एनसीपी का तो शायद महाराष्ट्र में खाता ही नहीं खुलेगा. उद्धव की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जिसे महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) कहा जाता है दो चार सीटें ही जीतेगी. बाकी की सारी सीटें भाजपा और उसके सहयोगी अजित पवार तथा शिवसेना शिंदे की झोली में आ रही हैं. अब महाराष्ट्र में नई राजनीति की शुरुआत हो रही है.
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पावर को चाणक्य कहा जाता है और आप कह रहे हैं कि वह अपनी बेटी को जिता नहीं पा रहे हैं?
शरद पवार को चाणक्य की उपाधि गलत दी गई थी. चाणक्य तो अपने घर में काम करने के दौरान अपना स्वयं का दिया जलाते थे. शरद पवार जी ऐसे चाणक्य हैं जो दूसरों का घर जलाने का कार्य करते हैं। उन्होने उद्धव के घर को बर्बाद कर दिया. कांग्रेस में तोडफोड़ की. उन्होंने सोनिया गांधी को विदेशी महिला बताकर उनका विरोध किया था और कहा था कि विदेशी महिला देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकती. उन्हीं सोनिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस और एनसीपी के साथ उद्धव ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई. आज की राजनीति में शरद पवार का जनता के प्रति जवाबदेही का भाव नहीं रहा है, उसके चलते उनकी विश्स्नीयता कम हुई है और वह अपनी बेटी को भी चुनाव जिता नहीं पा रहे हैं.
आप शरद पवार को चाणक्य नहीं मानते और उद्धव ठाकरे कहते हैं कि भाजपा कौरव की पार्टी है?
देखिये कौरव ने विश्वासघात किया था पांडव के साथ और उद्धव ठाकरे ने विश्वासघात किया भाजपा के साथ. बीते लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा और शिवसेना गठबंधन को बहुमत दिया था. इसके बाद भी उद्धव ने जनादेश को किनारे कर जनता से साथ विश्वासघात किया. इस चुनाव में जनता ने उद्धव को विश्वासघात करने का जवाब दिया है. अब चुनाव में उद्धव को कांग्रेस और शरद पवार का साथ महंगा पड़ेगा.
महाराष्ट्र में यह कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति की लहर है?
ऐसा कुछ नहीं है. भाजपा से विश्वासघात करने की वजह से उद्धव के प्रति जनता में कोई सहानुभूति नहीं है, बल्कि आक्रोश है. चुनाव परिणाम से यह आक्रोश दिखाई पड़ेगा. और के बात यह भी जान लीजिए वह यह कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) अब बदल चुकी है. जिस हिंदुत्व की कल्पना करते हुए बाला साहब ने शिवसेना का गठन किया था, उसे उद्धव ने ताक पर रख दिया है. यहीं वजह है कि उद्धव सरकार में हनुमान चालीसा का पाठ करने वालों पर कार्रवाई हुई. यहीं नहीं उद्धव ठाकरे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं गए. यहीं वजह है कि महाराष्ट्र के लोग अब उद्धव कि शिवसेना (यूबीटी) नकली शिवसेना कह रहे हैं. मानना है कि चार जून को जब चुनाव परिणाम आएगा तो भाजपा जहां तीसरी बार इस वर्ष दिवाली मनाएगी, वही कई पार्टियों का तो राजनीतिक भविष्य ही खत्म हो जाएगा.
आखिरी सवाल यूपी के बारे में बारे के क्या मत है?
यूपी में का बा, यूपी में बाबा (सीएम योगी)! इस राज्य में पीएम मोदी और सीएम योगी का बेहतर समन्वय है. राजनाथ सिंह जैसे नेता इस राज्य में हैं और एक बार फिर यूपी में भाजपा सबसे ज्यादा सीटें जीतने का रिकार्ड बनाने जा रही है.