"भाजपा ने देश, लोकतंत्र और संविधान को ताखे पर रख दिया है, मोदी-शाह के सामने कोई बोल नहीं सकता", शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 9, 2024 07:49 AM2024-01-09T07:49:54+5:302024-01-09T07:53:05+5:30
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बीते सोमवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की जमकर आलोचना की और भाजपा नीत गठबंधन एनडीए को मजबूरी वाला गठबंधन बताया।
नई दिल्ली: शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बीते सोमवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की जमकर आलोचना की और भाजपा नीत गठबंधन एनडीए को मजबूरी वाला गठबंधन बताया। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया की तुलना में एनडीए गठबंधन 'आत्मसमर्पित गठबंधन' है।
राज्यसभा सांसद चतुर्वेदी ने दावा किया कि एनडीए में शामिल अन्य दल केवल पीएम मोदी और अमित शाह की उपस्थिति में खड़े होना जानते हैं। उनमें अपनी राय व्यक्त करने या निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। इस कारण से भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए 'आत्मसमर्पित गठबंधन'है।
उन्होंने कहा, "भाजपा का गठबंधन असल में मजबूरी का गठबंधन है क्योंकि हर कोई जानता है कि वे तभी जीत सकते हैं, जब वे किसी भी तरह के अत्याचार का समर्थन करेंगे। भाजपा ने इस देश को, देश के लोकतंत्र को और संविधान को दरकिनार कर दिया है। एनडीए में शामिल अन्य पार्टियां भी जानती हैं कि वे पीएम मोदी और अमित शाह के सामने न तो बोल पाएंगे और न ही कोई निर्णय ले पाएंगे। इसलिए उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह एक आत्मसमर्पण गठबंधन है।"
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार एनडीए गठबंधन के विपरीत प्रियंका चतुर्वेदी ने 26 दलों के विपक्षी गठबंधन इंडिया की जमकर प्रशंसा की और उसकी प्रकृति को लोकतांत्रिक बताया।
उन्होंने कहा, "इंडिया गठबंधन 26 पार्टियों का गठबंधन है। उनके बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। यह चर्चा का विषय है। मुझे उम्मीद है कि इस पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाएगा और हम सभी लोग देश के संविधान और देश की जनता के लिए इस लड़ाई को मजबूती से लड़ेंगे और इसमें विजयी होंगे।''
मालूम हो कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही भारत का राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है। विपक्षी गठबंधन इंडिया केंद्र की सत्ता पर काबिज एनडीए को चुनौती देने के लिए कमर कस रहा है।
इंडिया गठबंधन अपने सामने आने वाली सभी प्रमुख चुनौतियों को हल करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिसमें सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप देने और पीएम चेहरे पर निर्णय लेना शामिल है, जबकि भाजपा ने 2023 में आम चुनावों में जीत हासिल करने के लिए अपनी रणनीति पर चलना शुरू कर दिया है।