लोकसभा चुनाव 2019: सर्वे कोई भी हो, नुकसान तो बीजेपी का ही झलक रहा है!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 26, 2019 07:44 AM2019-01-26T07:44:17+5:302019-01-26T07:44:17+5:30
देश की जनता का मिजाज जानने के लिए एक निजी चैनल ने जो सर्वे किया है वह बताता है कि इस बार आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नही मिल पाएगा. देश के कई प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी को झटका लगने जा रहा है तो कुछ प्रदेशे ऐसे भी हैं, जहां उसकी सीटें बढ सकती हैं.
लोक सभा चुनाव करीब आने के साथ ही कई सर्वे भी सामने आ रहे हैं. हालांकि, ऐसे सर्वे की विश्वसनीयता, अब बड़ा सवाल बनता जा रहा है, परन्तु यह राजनीतिक हवा का रूख तो बता ही रहे हैं. इन सर्वे के सियासी संकेत यही हैं कि बीजेपी 2019 के चुनाव में 2014 के सापेक्ष नुकसान में रहेगी. कितने नुकसान में रहेगी यह तो समय ही बताएगा, परन्तु इतना तय है कि बीजेपी 2014 की तरह एकल बहुमत- 272 सीटें, नहीं प्राप्त कर सकेगी. मतलब, यदि भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनती है तब भी एक तरफा निर्णय लेना और बगैर दबाव के सरकार चलाना संभव नहीं होगा.
देश की जनता का मिजाज जानने के लिए एक निजी चैनल ने जो सर्वे किया है वह बताता है कि इस बार आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नही मिल पाएगा. देश के कई प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी को झटका लगने जा रहा है तो कुछ प्रदेशे ऐसे भी हैं, जहां उसकी सीटें बढ सकती हैं. बावजूद इसके, 2014 के सापेक्ष जो सीटों का घाटा बीजेपी को होने जा रहा है उसके नतीजें में पीएम मोदी टीम के लिए दिक्कतें बढ़ने वाली हैं.
पीएम मोदी टीम पर सहयोगी दलों के साथ-साथ बीजेपी के भीतर से भी दबाव बढ़ेगा. ऐसी स्थिति में पीएम मोदी पर, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह गठबंधन सरकार चलाने की जिम्मेदारी आ सकती है, जो उनके सियासी चरित्र से एकदम अलग है. ऐसी स्थिति में यह भी हो सकता है कि बीजेपी की ओर से नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह जैसे किसी नेता को यह जिम्मेदारी दी जाए.
इस सर्वे के नतीजों पर नजर डालें तो 2014 के लोकसभा चुनाव के सापेक्ष 2019 में बीजेपी की सीटें काफी कम हो रही हैं. यहां तक कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को करीब 100 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है और वह 237 सीटों पर रूक जाएगा. जबकि, कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दलों की सीटें बढ़ने की संभावना है. जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 106 सीटों का फायदा हो रहा है और उसे 165 से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं, वहीं शेष दलों को 140 सीटें मिल सकती हैं.
इस सर्वे पर भरोसा करें तो दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे उत्तर क्षेत्र के राज्यों में बीजेपी को तगड़ा झटका लग सकता है, जहां 2014 में एनडीए का एकछत्र राज्य था, वहां एनडीए को 66 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है, जबकि यूपीए को 20 सीटें और अन्य के खाते में करीब 65 सीटें जाती हुई नजर आ रही हैं.
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना जैसे दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस को फायदा होता नजर आ रहा है जहां यूपीए को 78 सीटें मिल सकती हैं, जबकि एनडीए को 26 और शेष के खाते में 30 सीटें जा सकती हैं.
असम, बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी क्षेत्र में एनडीए को फायदा होता नजर आ रहा है, जहां एनडीए को 69 सीटें, यूपीए को 28 सीटें तो शेष को 45 सीटें मिल सकती हैं. गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे पश्चिम क्षेत्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को 76 सीटें मिल सकती हैं, जबकि यूपीए को 40 सीटें मिल सकती हैं.
हालांकि, ये सर्वे लंबे समय से उपचुनावों और विभिन्न विधानसभा चुनावों के नतीजों से बन रही सियासी धारणा का ही समर्थन करते नजर आ रहे हैं कि देश में बीजेपी की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है.
केन्द्र की पीएम मोदी सरकार के पास अभी भी कुछ समय बचा है कि वह बीजेपी के लिए बिगड़ती राजनीतिक तस्वीर में कुछ सुधार कर सके, परन्तु ऐसे सुधारों पर जनता कितना भरोसा करेगी, यह कहना मुश्किल है!