'भाजपा ने 15 साल में इंवेस्टर्स मीट के नाम पर की धोखाधड़ी'
By राजेंद्र पाराशर | Published: January 26, 2019 05:00 AM2019-01-26T05:00:51+5:302019-01-26T05:00:51+5:30
देश-विदेश के निवेशक मध्यप्रदेश में तत्कालीन शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार से भयभीत थे. जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार रही है वहां विदेशी निवेश हुए हैं.
प्रदेश कांगे्रस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा दावोस में दिए गए बयान पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की प्रतिक्रिया को हास्यास्पद और हताशापूर्ण बताया है. भार्गव को मुख्यमंत्री के बयान से इसलिए भी ठेस पहुंची है कि उन्होंने भाजपा विधायकों के कांग्रेस के संपर्क में रहने की पोल खोलकर रख दी है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने 15 साल में इंवेस्टर्स मीट के नाम पर धोखाधड़ी की है.
शोभा ओझा ने गोपाल भार्गव से पूछा है कि उन्हें यह भी बताना होगा कि भाजपा के 15 वर्ष के शासन काल में जो इन्वेस्टर्स मीट हुई हैं, उनसे कितने उद्योग स्थापित हुए और कितने लोगों को रोजगार मिला? क्योंकि भाजपा सरकार में हुई इंवेस्टर्स मीट के बावजूद आज भी मध्यप्रदेश में लगभग एक करोड़ युवा बेरोजगार है. ओझा ने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में इंवेस्टर्स मीट के आयोजन पर जो करोड़ों-अरबों रुपए की शासकीय राशि खर्च हुई उसका हिसाब किताब भी भाजपा आज तक नहीं दे पाई। उल्टे कांग्रेस सरकार पर आरोप लगा रही है, जो कतई उचित नहीं है.
ओझा ने भार्गव द्वारा कमलनाथ के बयान को आपत्तिजनक और हास्यास्पद बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की विदेशी निवेशकों से हुई मुलाकात के बेहतर परिणाम निश्चित रूप से सामने आएंगे मुख्यमंत्री का पद संभालने के डेढ़ माह के भीतर निवेशकों से चर्चा करने के लिए विदेश जाने से मध्यप्रदेश में औद्योगिक संभावनाएं फलीभूत होंगी. भार्गव के बयान में उनकी कुंठा इसलिए भी झलकती है कि भाजपा शासनकाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने अनेक बार विदेश यात्रा करने के बावजूद भी भार्गव को साथ ले जाना उचित नहीं समझा, जबकि भार्गव के पास पंचायत ग्रामीण विकास जैसा भारी भरकम विभाग था.
ओझा के अनुसार गोपाल भार्गव को यह भी बताना चाहिए कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई विदेश यात्रा से मध्य प्रदेश में कितना निवेश आया. एक तरफ तो शिवराज सिंह चौहान कहते रहे कि उनके द्वारा की गई इन्वेस्टर्स मीट में 40 लाख करोड़ के अनुबंध हुए, लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा शासनकाल में न के बराबर निवेश मध्यप्रदेश में हुआ है. क्योंकि देश-विदेश के निवेशक मध्यप्रदेश में तत्कालीन शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार से भयभीत थे. जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार रही है वहां विदेशी निवेश हुए हैं.