छत्तीसगढ़ बीजेपी की कमान एक बार फिर आदिवासी नेतृत्व को, विष्णुदेव साय पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं
By भाषा | Published: June 2, 2020 10:27 PM2020-06-02T22:27:52+5:302020-06-02T22:27:52+5:30
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव और वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ही लड़ा था। पार्टी ने इन चुनावों में जीत भी हासिल की थी। भारतीय जनता पार्टी ने साय को तीसरी बार राज्य की कमान सौंपी है।
रायपुरः छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर राज्य का कमान आदिवासी नेतृत्व को सौंप दिया है। राज्य में विष्णुदेव साय पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं तथा उन्हें तीसरी बार भाजपा के प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को यहां बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया है। साय ने विक्रम उसेंडी का स्थान लिया है। उसेंडी राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं।
विष्णुदेव साय (56) राज्य के रायगढ़ क्षेत्र के प्रभावशाली आदिवासी नेता हैं। साय की पकड़ केवल आदिवासी ही नहीं बल्कि अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग पर भी है। भारतीय जनता पार्टी ने साय को तीसरी बार राज्य की कमान सौंपी है। इससे पहले वह वर्ष 2006 से वर्ष 2010 तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे थे।
विष्णुदेव साय रायगढ़ लोकसभा सीट से लगातार चार चुने गए सांसद
पार्टी ने छत्तीसगढ़ में वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव और वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव साय के नेतृत्व में ही लड़ा था। पार्टी ने इन चुनावों में जीत भी हासिल की थी। बाद में जनवरी 2014 में एक बार फिर पार्टी ने साय को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। हालांकि वह इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष कुछ ही समय रहे। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में उन्हें इस्पात राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। साय राज्य के आदिवासी बाहुल्य जशपुर से हैं। वह आदिवासी बाहुल्य रायगढ़ लोकसभा सीट से लगातार चार बार वर्ष 1999, 2004, 2009 और वर्ष 2014 में सांसद चुने गए थे।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने ज्यादातर आदिवासी चेहरे पर भरोसा जताया
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर ज्यादातर आदिवासी चेहरे पर ही भरोसा जताया है। राज्य में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद जब नेता प्रतिपक्ष का पद अन्य पिछड़ा वर्ग से धरमलाल कौशिक को दिया गया तब से पार्टी अध्यक्ष के पद पर वरिष्ठ आदिवासी नेता की नियुक्ति को तय माना जा रहा था। उन्होंने बताया कि राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रमुख आदिवासी नेता मोहन मरकाम हैं। ऐसे मे 32 फीसदी आदिवासी बाहुल्य वाले राज्य में आदिवासी नेतृत्व को नजरअंदाज करना भाजपा के लिए मुश्किल था।
पिछले साल मार्च में विक्रम उसेंडी बने थे प्रदेश अध्यक्ष
वर्ष 2019 में लोकसभा का चुनाव हुआ तब भाजपा ने मौजूदा सभी 10 सांसदों की टिकट काट दी थी। इनमें विष्णुदेव साय भी शामिल थे। पार्टी ने पिछले वर्ष मार्च में विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उसेंडी ने अगस्त वर्ष 2014 से प्रदेश अध्यक्ष रहे धरमलाल कौशिक का स्थान लिया था। उसेंडी की नियुक्ति के बाद राज्य में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 11 में से नौ सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन नगरीय निकायों और पंचायत चुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।
बीजेपी को उम्मीद, प्रदेश में अब पार्टी होगी मजबूत
वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से भाजपा ने राज्य में पार्टी का नेतृत्व ज्यादातर आदिवासी नेताओं के हाथ में ही सौंपा है। इससे पहले नंदकुमार साय, शिवप्रताप सिंह और रामसेवक पैकरा जैसे वरिष्ठ आदिवासी नेता भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। विष्णुदेव साय के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने उम्मीद जताई है कि पार्टी राज्य में मजबूत होगी। भाजपा नेताओं ने बताया कि कौशिक ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री विष्णुदेव साय के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने पर बधाई दी है तथा कहा है कि साय के नेतृत्व में पार्टी को नई पहचान मिलेगी और हम और मजबूत होंगे। उनके सामाजिक और राजनैतिक जीवन के अनुभवों का लाभ पार्टी को मिलेगा।