कर्नाटक के नाटक के पीछे का यह है सारा खेल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों को सता रहा है डर!

By विकास कुमार | Published: January 16, 2019 12:00 PM2019-01-16T12:00:18+5:302019-01-16T12:00:18+5:30

एक के बाद एक लोकप्रिय फैसलों के कारण जेडीएस और कुमारस्वामी का ग्राफ लगातार चढ़ रहा है और इसका डर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को सता रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले ये दोनों पार्टियां नहीं चाहेंगी कि जेडीएस का उभार इनके ऊपर हावी हो जाए.

BJP and CONGRESS are afraid from JDS and Kumarswamy populist decisions in Karanatak | कर्नाटक के नाटक के पीछे का यह है सारा खेल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों को सता रहा है डर!

कर्नाटक के नाटक के पीछे का यह है सारा खेल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों को सता रहा है डर!

कर्नाटक में सरकार बनने से पहले और बाद में बहुत सारी समानताएं दिख रही हैं. पहले भी विधायकों का हुजूम पॉलिटिकल हनीमून पर निकला था और आज भी. फिर से उनका टूर शुरू हो चुका है और इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां बराबर सचेत दिख रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी 'ऑपरेशन लोटस' के तहत कर्नाटक में सरकार बनाने की कोशिश कर रही है. इसके अगले ही दिन कर्नाटक में दो निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा हो जाता है. इससे कांग्रेस के आरोपों को बल भी मिलता है.

बीजेपी के विधायक गुरुग्राम के आईटीसी होटल में फाइव स्टार सुविधा का लुत्फ उठा रहे हैं तो कांग्रेस के विधायक माया नगरी मुंबई में खुद के बिकने की संभावनाओं पर विराम लगा रहे हैं. लेकिन ये अभी तक तय नहीं हो रहा है कि कौन खरीद रहा है और कौन बिक रहा है? कर्नाटक कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्य में जल संसाधन मंत्री डीके.शिवकुमार का कहना है कि भाजपा के नेताओं ने मुंबई के एक होटल में तीन कांग्रेसी विधायकों के साथ मुलाकात की हैं, जिससे ये साफ हो जाता है कि बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने के लिए तोड़-फोड़ की साजिश रच रही है. 

कौन खरीद रहा है और कौन बिक रहा है 

मोदी सरकार में कबिनेट मंत्री राम शिंदे का कहना है कि बीजेपी कर्नाटक में 3 दिनों के भीतर सरकार बना लेगी. बीजेपी विधायकों को अचानक गुरुग्राम बुलाना क्या इसी संकेत का परिचायक है? तो क्या अब बीजेपी के लिए परसेप्शन की राजनीति मायने नहीं रखती? अगर तोड़-फोड़ मचाना ही था तो चुनाव नतीजों के तुरंत बाद इसे क्यों अंजाम नहीं दिया गया? 

चुनावी साल में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह दक्षिण के एक बड़े राज्य में इतनी बड़ा परसेप्शन रिस्क कैसे ले सकते हैं कि उनके राजनीतिक समझदारी पर ही शक किया जाने लगे? क्योंकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सरकार लोकसभा चुनाव के नतीजों पर ही टिकी है, जो लोकसभा जीतेगा वहीं इन प्रदेशों का मालिकाना हक अपने पास रख सकेगा.

कांग्रेस और बीजेपी का डर एकसमान 

कर्नाटक में 104 सीटें बीजेपी को मिली थी. वहीं कांग्रेस को 80, जेडीएस को 37, बसपा को 1 और 2 निर्दलीय विधायक की संख्या इस वक्त कर्नाटक विधानसभा में मौजूद हैं. कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन के उभरी थी, लेकिन भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस ने अपने राजनीतिक अरमानों की तिलांजलि देते हुए 37 सीटों वाली पार्टी जेडीएस के चीफ कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया. 

दरअसल एक के बाद एक लोकप्रिय फैसलों के कारण जेडीएस और कुमारस्वामी का ग्राफ लगातार चढ़ रहा है और इसका डर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को सता रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले ये दोनों पार्टियां नहीं चाहेंगी कि जेडीएस का उभार इनके ऊपर हावी हो जाए. इसलिए भी इस तरह के प्रपंच का खेल बार-बार रचा जा रहा है, ताकि कुमारस्वामी की छवि को एक कमजोर नेता के रूप में पेश किया जा सके. इसलिए ऐसे प्रयास बार-बार वहां दिखने वाले हैं और इसके पीछे दोनों केंद्रीय पार्टियों का हताशा कारण होगा.

Web Title: BJP and CONGRESS are afraid from JDS and Kumarswamy populist decisions in Karanatak

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