मिलिए बिनोद बोरा से, डिस्कवरी से सीखा वन्यजीवों को पकड़ना, 2500 जीवों की बचाई जान
By नियति शर्मा | Published: February 5, 2019 04:40 PM2019-02-05T16:40:25+5:302019-02-05T17:19:55+5:30
बिनोद बोरा ने डिस्कवरी चैनल से जीवों को पकड़ना सीखा। उनकी पत्नी भी वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करते हैं।
बिनोद "दुलू" बोरा बचपन से अब तक कई वन्य जीवों को बचा चुके हैं, यह सारे जीव असम के नागांव के हैं. बिनोद ने अब तक लगभग 2500 वन्य जीव एवं पक्षियों को जीवनदान दिया.
बिनोद 'दुलू ' बोरा एक वन्यजीव बचावकर्ता है तथा असम के नागांव में वन्य जीव विशेषज्ञ के नाम से प्रसिद्ध है.अभी तक बोरा ने लगभग 2500 जीव एवं पक्षियों को बचाया है इन सभी में हाथी, तेंदुआ, भालू, कछुआ, कस्तूरी बिलाव, गिद्ध, सारस आदि शामिल हैं.
गुवाहाटी का वन्यजीव NGO अरण्यक के अनुसार वर्ष 2018 में असम के कुल 53 हाथियों तथा 63 मानवों को मारा गया था.
बोरा ने असम के कारबी हिल श्रेत्र में 25000 केलों के वृक्ष लगाकर हाथियों के लिए एक गलियारा बनाया हैं, इस गलियारे का मुख्य उद्देश्य मानवों और हाथियों के बीच संघर्ष को कम करना है. यदि यह उद्देश्य सफल रहता है तो इस तरह के और गलियारों के निर्माण को इस राज्य में दोहराया जायेगा.
बोरा ही नहीं उनकी पत्नी भी वन्यजीव बचाव कार्य में एक टीम की तरह कार्य करते हैं. इन दोनों ने मिल कर नागांव-कारबी आंगलोंग श्रेत्र से कई सांपों, तेंदुओ एवं हाथियों को बचाया है.
वन्यजीव प्रेमी बोरा ने सांपों को पकड़ने की कला डिस्कवरी चैनल से स्वयं सीखी है. उन्होंने अब तक करीबन 400 से अधिक सांपों को पकड़ा हैं जिनमें जहरीले विशालकाय कोबरा, पाइथन और क्रेट्स (अत्यधिक विषेला एशियाई सांप) शामिल हैं.
यही नहीं कुछ वर्षों पहले बोरा ने 35 आदिवासी शिकारियों को बाण व जाल को छोड़ कर खेती करने के लिए भी प्रेरित किया था. इन ही कार्यों के वजह से वर्ष 2014 में बोरा को अभयारण्य एशिया की तरफ से वाइल्डलाइफ सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया गया था.