बिहारः मुकेश सहनी का 496 दिनों का कार्यकाल समाप्त, भाजपा से पंगा महंगा, तीन विधायक के बाद मंत्री की कुर्सी गई, अब आगे क्या...
By एस पी सिन्हा | Published: March 28, 2022 03:59 PM2022-03-28T15:59:58+5:302022-03-28T17:07:11+5:30
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक प्रमुख मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया.
पटनाः बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी को भाजपा से पंगा लेना महंगा पड़ गया. मंत्रिमंडल से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के लिखित निवेदन पर राज्यपाल फागू चौहान से रविवार को सिफारिश भेजी थी, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया.
जिसके बाद मुकेश सहनी अब मंत्री पद पर नहीं रहे हैं. इस तरह से मुकेश सहनी का 496 दिनों का कार्यकाल समाप्त हो गया है. उधर, मुकेश सहनी की बर्खास्तगी के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद समेत अन्य लोग राजभवन पहुंचे.
Following the notification issued by Bihar Governor, Mukesh Sahani is no longer the state cabinet minister: Government of Bihar pic.twitter.com/KbVBrzsa2I
— ANI (@ANI) March 28, 2022
कहा गया कि राज्यपाल फागू चौहान ने नाश्ते पर बुलाया था. हालांकि, राज्यपाल से हुई इस मुलाकात को सियासत की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है. बता दें कि हाल के दिनों में बिहार की सियासत में काफी उठा पटक देखने को मिल रहा है.
एनडीए गठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ अपने प्रत्याशियों को उतारा था और गठबंधन में रहते हुए भाजपा की मुखालफत की थी. जिसके बाद राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई थी. यूपी चुनाव के नतीजे आने के बाद ही भाजपा विधायकों ने पशुपालन मंत्री के इस्तीफे की मांग करनी शुरू कर दी थी.
इसबीच, भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने मुकेश सहनी पर हमला बोलते हुए कहा कि वीआईपी प्रमुख अपनी सुर बदलते रहते हैं, जब विधानसभा चुनाव में इन्हें गठबंधन में शामिल होने का मौका दे दिया गया था तो सहनी ने कहा था कि वो अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर देंगे.
लेकिन जब परिणाम सामने आया और हम सीटों के मामले में बहुत अधिक आगे नहीं निकल सके तो इनके सुर बदलने लगे. वहीं, मुकेश सहनी ने कहा कि मंत्री पद से मुझे हटाने का निर्णय मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. जो भी मुख्यमंत्री का निर्णय हुआ है, हमारे लिए वह मान्य है.
उन्होंने कहा कि मुझ पर हुई कार्रवाई से यह तो साफ हो गया है कि हमारा कद तेजी से बढ़ रहा था, जिसे रोकने के लिए इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि अभी उनके पास ताकत और सत्ता है. वह कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन एक समय आयेगा कि हमारे समाज के लोग इन्हें भी अपनी ताकत का एहसास दिलायेंगे.
खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहने वाले सहनी को पिछले सप्ताह तब बड़ा झटका लगा जब वीआईपी के तीन विधायक पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ रहते हुए सहनी ने चुनाव की घोषणा के बाद विपक्षी खेमा छोड़ दिया था.