बिहारः मध्यावधि चुनाव की ओर! संभावित टूट से परेशान सीएम नीतीश सक्रिय, जदयू के दो दर्जन विधायक आरसीपी सिंह के संपर्क में, जानें क्या है विधानसभा की स्थिति
By एस पी सिन्हा | Published: August 7, 2022 02:38 PM2022-08-07T14:38:19+5:302022-08-07T14:40:39+5:30
बिहार विधानसभाः सत्तापक्ष के पास 127 विधायक हैं. भाजपा (77), जदयू (45), हम (4) और निर्दलीय (1), जबकि विपक्ष (116) है. राजद (80), भाकपा-माले(12), भाकपा (2), माकपा (2), कांग्रेस (19) और मजलिस (1). इस प्रकार से 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की आवश्यकता है.
बिहारः क्या बिहार मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ रहा है? राज्य में सत्तारूढ़ दल जदयू के भीतर जारी घमासान के बीच इसबात की अटकलें लगाई जाने लगी हैं. दरअसल,जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने शनिवार को देर शाम जदयू बाय-बाय कह दिया.
उन्होंने जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. मीडिया से बातचीत में आरसीपी ने यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार सात जन्म में भी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे. जदयू डूबता हुआ जहाज है, अब इस पार्टी में कुछ नहीं बचा है. आरसीपी सिंह ने आगे कहा कि जदयू ने राजनीति का स्तर घटा दिया है. यह डूबता हुआ जहाज है. अब जदयू में बचा ही क्या है?
जदयू के करीब दो दर्जन विधायक आरसीपी सिंह के संपर्क में
जो कार्यकर्ता पार्टी छोड़ना चाहते हैं वे छोड़ दें. इसबीच चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे आरसीपी सिंह के जदयू से नाता तोड़ने के बाद पार्टी में बगावत की बिगूल फूंकी जा सकती है. सूत्रों की अगर मानें तो जदयू के भीतर जारी सियासी खिंचतान के बीच अंदर हीं अंदर नाराजगी काफी देखी जा रही है. जदयू के करीब दो दर्जन विधायक आरसीपी सिंह के संपर्क में होने की चर्चा है.
दरअसल, पार्टी में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के कार्यशैली से कई विधायक अंदर हीं अदर घुटन महसूस कर रहे हैं. लेकिन विकल्प के अभाव में उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. ऐसे में अब जबकि आरसीपी सिंह खुलकर पार्टी के खिलाफ सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है.
ऐसे में संभाव है कि पार्टी में बगावत की चिंगारी कभी भी शोला बनकर भड़क सकती है. पार्टी में घुटन महसूस कर रहे विधायकों ने अगर आरसीपी सिंह के साथ जाने का मन बना लिया तो नीतीश सरकार को धारासाई होने से कोई नहीं बचा सकता है. जानकारों की अगर मानें तो पार्टी विधायकों के टूट जाने पर नीतीश कुमार न तो राजद के साथ और न ही भाजपा के साथ सरकार बनाने की स्थिति में रह जाएंगे.
विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की आवश्यकता
कारण कि बिहार में जदयू के 45 विधायक हैं. अगर 30 विधायक टूट जाते हैं तो नीतीश खेमे में मात्र 15 विधायक बचेंगे. ऐसे में वह किसी के साथ सरकार बनाने की स्थिति में नही रह जायेंगे. राज्य में दलीय स्थिती इस प्रकार है- सत्तापक्ष (127), जिसमें भाजपा (77), जदयू (45), हम (4) और निर्दलीय (1). जबकि विपक्ष (116) है. जिसमें राजद (80), भाकपा-माले(12), भाकपा (2), माकपा (2), कांग्रेस (19) और मजलिस (1). इस प्रकार से 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की आवश्यकता है.
अब अगर नीतीश कुमार राजद के साथ जाते भी हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रहना पडे़गा, कारण कि राजद ने यह ऐलान कर रखा है कि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करते हैं तो उनका स्वागत है. ऐसे में यह संभव नहीं लगता है कि नीतीश कुमार तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार हों.
आरसीपी सिंह के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार अब सक्रिए
इसबीच, पार्टी में जारी सियासी उथलपुथल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जदयू के सभी सांसदों संग मंगलवार को पटना में बैठक करेंगे. उन्होंने सभी जदयू सांसदों को सोमवार तक पटना आने कहा है. दरअसल, जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार अब सक्रिए हो गए हैं.
अब मंगलवार को वे सांसदों संग बैठक करेंगे. अब नीतीश कुमार की निगाहें पार्टी को बचाने पर टिक गई है. वह पलपल की जानकारी ले रहे हैं और सभी विधायकों पर भी पैनी नजर रखने की हिदायत अपने करीबी साथियों को दे रहे हैं. उधर, आरसीपी सिंह के पीछे जदयू हाथ धोकर लग गई है.
संपत्तियों की खोज जदयू के कार्यकर्ता कर रहे हैं
नालंदा के बाद अब देश-प्रदेश के बडे़ शहरों से पूर्व केंद्रीय मंत्री और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह की संपत्ति के ब्योरे जुटाये जा रहे हैं. दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ, पटना और इन शहरों के आसपास से सिंह की जमीन तथा अन्य संपत्तियों की खोज जदयू के कार्यकर्ता कर रहे हैं. यह काम अभियान के तौर किया जा रहा है.
यह भी पता लगाया जा रहा है कि आईएएस रहते आरसीपी ने कोई लाभ तो नहीं लिया? जदयू सूत्रों से जानकारी मिली है कि इनकी संपत्ति के ब्यौरे की दूसरी लिस्ट भी जल्द ही सामने आएगी. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने का दावा करने वाली पार्टी जदयू की ओर से अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष की संपत्तियों के ब्योरे को जुटाने को लेकर विभिन्न स्तर पर सक्रियता की सूचना मिल रही है.