सासाराम सीट: मीरा कुमार के सामने 'बाबूजी' जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती, छेदी चौथी बार अपनी धाक जमाने को बेताब

By एस पी सिन्हा | Published: May 13, 2019 04:50 PM2019-05-13T16:50:37+5:302019-05-13T16:50:37+5:30

सासाराम लोकसभा सीट: सासाराम में सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण और राजपूत सबसे ज्यादा हैं. लेकिन मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या दलितों की है. दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान है.

bihar sasaram Meira kumar vs chhedi paswan she face challenge to hold legacy of father jagjivan ram | सासाराम सीट: मीरा कुमार के सामने 'बाबूजी' जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती, छेदी चौथी बार अपनी धाक जमाने को बेताब

सासाराम सीट: मीरा कुमार के सामने 'बाबूजी' जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती, छेदी चौथी बार अपनी धाक जमाने को बेताब

Highlightsसासाराम कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. जगजीवन राम और सासाराम एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को पराजित कर तीसरी बार जीत दर्ज की थी.

बिहार में लोकसभा चुनाव 2019 के छह चरणों के मतदान का समाप्त होने के बाद अब नजर सातवें व अंतिम चरण के मतदान पर टिक गई हैं. इस दौरान अब सबकी नजर सासाराम लोकसभा क्षेत्र पर है, जहां बाबू जी अर्थात बाबू जगजीवन राम की विरासत बचाने के लिए एक ओर जहां कांग्रेस के टिकट पर उनकी पुत्री व पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार चुनाव मैदान में हैं तो दूसरी ओर भाजपा के टिकट पर छेदी पासवान इसबार फिर से अपनी धाक जमाने को बेताब दिखते हैं.

सासाराम (सुरक्षित) संसदीय सीट पर इस चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह मुख्य मुकाबला महागठबंधन प्रत्याशी कांग्रेस नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और एनडीए की ओर से भाजपा नेता छेदी पासवान के बीच है. हालांकि यहां 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. सासाराम सीट पर अंतिम और सातवें चरण में 19 मई को मतदान होना है. इस सीट पर जहां मीरा कुमार के सामने अपने पिता बाबू जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती है तो वहीं भाजपा प्रत्याशी छेदी पासवान के सामने इस क्षेत्र से चौथी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है.

सासाराम कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. जगजीवन राम और सासाराम एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं. 1984 में जब कांग्रेस के विरोध में पूरे देश में हवा चल रही थी, तब भी यह सीट कांग्रेस के खाते में आई थी और जगजीवन राम यहां से आठवीं बार विजयी हुए थे. इसके बाद वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव में यह सीट जनता दल के हाथ में चली गई, परंतु 1996 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को पराजित कर तीसरी बार जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में पासवान को जहां 3,66,087 मत मिले थे, वहीं मीरा कुमार को 3,02,760 मत मिले थे.

सासाराम का जाति समीकरण 

सासाराम में सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण और राजपूत सबसे ज्यादा हैं. लेकिन मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या दलितों की है. दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान है. सासाराम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें मोहनिया, भभुआ, चौनपुर, चेनारी, सासाराम और करहगर आती हैं. इनमें तीन विधानसभा सीटें रोहतास जिले की, जबकि तीन कैमूर जिले की हैं. इस क्षेत्र का लोकसभा में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व जगजीवन राम और उनकी पुत्री ने किया है. ऐसे में इस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यह कृषि प्रधान क्षेत्र है. मीरा कुमार दुर्गावती जलाशय परियोजना जमीन पर लाईं, परंतु आज तक कई क्षेत्रों में इससे खेतों में पानी नहीं पहुंचाया जा सका है. हालांकि इनकी ही देन है कि इंद्रपुरी डैम का निर्माण हुआ है. दुर्गावती परियोजना की योजना अगर ठीक ढंग से पूरी हो जाए तो 'धान का कटोरा' माने जाने वाले इस क्षेत्र में किसान फिर से संपन्न हो जाएंगे."

महागठबंधन की प्रत्याशी मीरा कुमार और राजग प्रत्याशी छेदी पासवान के बीच सीधा मुकाबला 

वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में विकास नहीं होने से इस क्षेत्र के लोगों में नाखुशी है. लोगों का कहना है कि जिले में एक भी अंगीभूत महिला कॉलेज नहीं है. संबद्घ कॉलेजों में छात्राएं डिग्री प्राप्त कर रही हैं. सरकारी स्कूलों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. मीरा कुमार को इस बार राष्ट्रीय जनता दल, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, रालोसपा सहित कई छोटे दलों का समर्थन है, जबकि भाजपा को जदयू का साथ है. पिछले चुनाव में रालोसपा राजग के साथ थी, लेकिन इस बार वह महागठबंधन के साथ है.

इस चुनाव में महागठबंधन की प्रत्याशी मीरा कुमार और राजग प्रत्याशी छेदी पासवान के बीच सीधा मुकाबला है, परंतु पिछले चुनाव में चौथे स्थान पर रहे मनोज राम इस चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में हैं, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. वैसे कांग्रेस को इस चुनाव में मुस्लिम, यादव के अलावा सवर्णों का समर्थन मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा युवाओं की पसंद बना हुआ है, जिस कारण मुकाबला कांटे का है.

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