राबड़ी देवी, तेजप्रताप यादव, नंदकिशोर यादव, रामानंद यादव को नोटिस?, जल्द खाली करें बंगला, क्या है तेजस्वी यादव की जिद से शुरू हुई...
By एस पी सिन्हा | Updated: November 26, 2025 16:10 IST2025-11-26T16:07:57+5:302025-11-26T16:10:00+5:30
नोटिस पाने वालों में बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नंदकिशोर के अलावा भाजपा कोटे से मंत्री रह चुके कई नेता शामिल हैं।

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पटनाः बिहार में एनडीए की सरकार बनते ही भवन निर्माण विभाग ने करीब डेढ़ दर्जन दर्जन से अधिक नेताओं को बंगला खाली करने का नोटिस थमाकर सियासी गलियारे में खलबली मच दी है। इसमें सबसे रोचक यह रहा कि करीब दो दशक से 10, सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास में रह रहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को भी बंगला खाली करने का निर्देश दिया है। उन्हें हार्डिंग रोड में 39 नंबर आवास आवंटित किया गया है। राबड़ी देवी के अलावा लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव से भी सरकारी आवास को खाली करने को कहा गया है। तेज प्रताप विधानसभा चुनाव हार गए हैं।
उल्लेखनीय है कि नोटिस पाने वालों में बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नंदकिशोर के अलावा भाजपा कोटे से मंत्री रह चुके कई नेता शामिल हैं। इसके साथ ही राजद कोटे से मंत्री रहे विधायक रामानंद यादव सहित करीब आधा दर्जन से अधिक नेता भी शामिल हैं, जिन्हें मंत्री पूल के बंगले को खाली करने का नोटिस थमाया गया है।
बता दें कि बिहार में महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार एनडीए के साथ आ गये थे और उस वक्त राजद कोटे से मंत्री रहे कई नेताओं ने मंत्री पूल का बंगला खाली नही किया है। लेकिन अब नई सरकार बनते ही उन बंगलों को खाली कराने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जानकारों की मानें तो राबड़ी देवी का बंगला खाली कराए जाने की वजह सिर्फ राजनीतिक बदलाव नहीं है।
इसकी शुरुआत 2017 की एक कानूनी लड़ाई से होती है, जो तेजस्वी यादव की जिद से शुरू हुई थी। दरअसल, 2017 में एनडीए सरकार बनने पर तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था। इसके साथ ही उन्हें आवंटित सरकारी आवास 5, देशरत्न मार्ग खाली करने का नोटिस मिला। तेजस्वी इस बंगले में काफी खर्च कर चुके थे और विपक्ष के नेता रहते इसी घर में रहना चाहते थे।
उन्होंने फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने तेजस्वी की याचिका न सिर्फ खारिज कर दी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। लेकिन अदालत ने अपने फैसले में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला, सुरक्षा स्टाफ और अन्य सुविधाएं देने की व्यवस्था खत्म कर दी। यही फैसला अब 2025 में प्रभावी हुआ है।
अगर तेजस्वी 2017 में हाईकोर्ट न गए होते, तो पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते राबड़ी देवी 10 सर्कुलर रोड में बनी रह सकती थीं। तेजस्वी के फैसले के बाद ही कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की विशेष सुविधाओं पर अंकुश लगाने का फैसला सुनाया था। राबड़ी देवी और लालू यादव लंबे समय से 10 सर्कुलर रोड पर रह रहे थे।
लालू परिवार की राजनीतिक हलचल, प्रेस कॉन्फ्रेंस, तेजस्वी-तेजप्रताप की बैठकों से यह बंगला वर्षों से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। लेकिन सरकार के ताजा आदेश के बाद इस बंगले का इतिहास अब बदलने वाला है। बता दें कि 10 सर्कुलर रोड वाले घर से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार का खास रिश्ता जुड़ा है। यह मकान करीब 28 साल से लालू फैमिली के पास है।
पहले यह सरकारी बंगला राबड़ी देवी के भाई साधु यादव के पास था। साल 2005 में सत्ता छीनने के बाद से बतौर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को यह बंगला अलॉट हो गया था। इसी घर में लालू यादव और राबड़ी देवी के ज्यादातर बच्चे खेले-कूदे हैं। यहीं बड़े हुए हैं। राजद की तमाम बैठकें यहीं होती रही है।
इस घर में लालू यादव अपने कार्यकर्ताओं से मिलते जुलते रहे हैं। इसी घर से लालू ने अपने बच्चों की शादियां भी कराई है। तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव पहली बार इसी घर में रहते हुए विधायक बने। वहीं बड़ी बेटी मीसा भारती यहीं इसी घर में रहते हुए पहले राज्यसभा और 2024 में लोकसभा की सांसद चुनी गईं।
इसके साथ ही 10 सर्कुलर रोड ना जाने कितनी घटनाओं को अपने अंदर समेटे हुए है, लेकिन खासकर तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ कथित बदसलूकी और हाल ही में बेटी रोहिणी आचार्य की तरफ से लगाए गए तमाम आरोपों की वजह से भी यह बंगला खूब चर्चा में रहा।
खासकर सोशल मीडिया पर लोग बहू ऐश्वर्या और बेटी रोहिणी की तरफ से लगाए गए तमाम आरोपों को याद कर 10 सर्कुलर रोड का इतिहास बता रहे हैं। दिसंबर 2019 में पति तेज प्रताप यादव और परिवार के साथ सामंजस्य नहीं बनने पर बहू ऐश्वर्या 10 सर्कुलर रोड से बिलखती हुई बाहर निकली थीं। अब 2025 में 15 नवंबर को बेटी रोहिणी आचार्य इसी आवास से डबडबाई आँखों के साथ तमतमाते हुए निकली थीं।
बहू और बेटी दोनों ने परिवार में उनपर हुए अत्याचार के आरोप लगाए थे। बहू ऐश्वर्या राय ने तो यहां तक आरोप लगाया था कि घर के अंदर उन्हें खाना खाने तक नहीं दिया जाता था। वहीं बेटी रोहिणी आचार्य ने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर चप्पल फेंककर मारने का आरोप लगाई थी। उधर, राबड़ी देवी का आवास बदले जाने के फैसले पर रोहिणी ने कड़ी नाराजगी जताई।
उन्होंने एक्स पर लिखा- ‘सुशासन बाबू का विकास मॉडल। करोड़ों लोगों के मसीहा लालू प्रसाद यादव का अपमान करना पहली प्राथमिकत। घर से तो निकाल देंगे, बिहार की जनता के दिल से कैसे निकालिएगा। सेहत नहीं तो कम से कम लालू जी के राजनीतिक कद का ही सम्मान रखते। रोहिणी की इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है।
राजद समर्थक इसे सियासी बदले की कार्रवाई बता रहे हैं, जबकि एनडीए समर्थक इसे सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया कह रहे हैं। नोटिस की खबर मिलते ही बुधवार को बडे पैमाने पर राजद कार्यकर्ताओं ने राबडी आवास पहुंचकर सरकार विरोधी नारे लगाए। वहीं, भाजपाने इस मुद्दे पर चुटकी लेना शुरू कर दिया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए राबड़ी देवी को पटना का 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास खाली करते समय नल और टोंटी समेत अन्य सरकारी संपत्ति चोरी नहीं करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि राबड़ी देवी इस बार अपने बेटे की तरह घर को खाली करते वक्त सरकारी संपत्ति की चोरी नहीं करेंगे और नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
हम लोगों की नजर अभी से रहेगी। आपके बेटे और पति भी इस घर में रहते हैं जिनका ट्रैक रिकॉर्ड कुछ ऐसा ही है। आप भी अपने बेटे और पति पर नजर रखेंगे कि कुछ चोरी नहीं हो पाए। दरअसल, पिछले साल लालू-राबड़ी के बेटे तेजस्वी यादव पर भाजपा ने सरकारी आवास खाली करते समय वॉश बेसिन, टोंटी उखाड़ने और एसी, सोफा जैसी चीजें गायब करने का आरोप लगाया था। तेजस्वी अक्टूबर 2024 में पटना के 5 देशरत्न मार्ग वाला सरकारी आवास खाली किया था, जो उन्हें उपमुख्यमंत्री रहते आवंटित किया गया था। हालांकि, राजद ने भाजपा के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया था।