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भाजपा-संघ गठजोड़ की तुलना एक कप कॉफी से, प्रशांत किशोर ने कहा-भगवा पार्टी ऊपर में झाग की तरह...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 30, 2022 20:55 IST

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पहली प्रसिद्धि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान को संभालने से हासिल हुई थी, जिसने भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल करने में मदद की थी।

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ठळक मुद्देपश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया में सभा का संबोधित किया। आरएसएस ने समाज के भीतर अपनी विचारधारा को जमीन पर उतार दिया।आप जितना भी हाथ-पांव मारिएगा वह निकलने वाला नहीं है।

पटनाः राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने रविवार को भाजपा-आरएसएस गठजोड़ की तुलना एक कप कॉफी से की जिसमें भगवा पार्टी ऊपर में झाग की तरह है और उसके मूल में ((नीचे) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) है।

अपने जन सुराज अभियान के तहत दो अक्टूबर से शुरू बिहार की 3500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर रहे किशोर ने पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया में आज एक सभा का संबोधित किया। उन्होंने अफसोस जताया कि उन्हें यह महसूस करने में काफी समय लगा कि नाथूराम गोडसे की विचारधारा को गांधी की कांग्रेस को पुनर्जीवित करके ही हराया जा सकता है और यह बेहतर रहा होता कि मैं नीतीश कुमार और जगन मोहन रेड्डी जैसे लोगों की मदद करने के बजाय उस दिशा में काम करता।

आईपैक के संस्थापक किशोर, जो नरेंद्र मोदी के रथ को रोकने में एकजुट विपक्ष की प्रभावशीलता पर संदेह करते रहे हैं, ने जोर देकर कहा कि जब तक कोई यह नहीं समझता कि भाजपा देश में है क्यों, तब तक कोई उसे हरा नहीं सकता। उन्होंने कहा, ‘‘आपने कभी एक कप कॉफी को देखा है, सबसे ऊपर झाग रहता है। भाजपा जो आपको दिखती है उसके झाग की तरह है।

उसके नीचे की काफी आरएसएस है जिसकी गहरी संरचना है।’’ किशोर ने कहा कि सालों मेहनत कर आरएसएस ने समाज के भीतर अपनी विचारधारा को जमीन पर उतार दिया, अब आप जितना भी हाथ-पांव मारिएगा वह निकलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि उसके लिए मेहनत करनी होगी। यह संकल्प लेकर चलना होगा कि चाहे 10-15 साल लग जाएं, लेकि इसके विरोध में मजबूती से लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

राजनीतिक रणनीतिकार किशोर को पहली प्रसिद्धि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान को संभालने से हासिल हुई थी, जिसने भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल करने में मदद की थी। किशोर जो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी लगातार निशाना साधते रहे हैं।

नीतीश कुमार की पार्टी जदयू उन पर ‘‘भाजपा का एजेंट’’ होने का आरोप लगाती रही है। किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार के बार-बार बुलाने के बाद भी वे जदयू के साथ नहीं गए। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा, ‘‘जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहते हुए जब मुझे पता चला कि मेरी पार्टी ने सीएए-एनआरसी के पक्ष में वोट किया है तो मैंने नीतीश कुमार से पूछा की ऐसा क्यों है।

तब नीतीश कुमार ने कहा कि मैं दौरे पर था मुझे पता नहीं लगा, मगर हम इसे बिहार में लागू नहीं होने देंगे। मैं तभी समझ गया की ऐसे आदमी के साथ काम करना सम्भव नहीं है और भाजपा को रोकने पश्चिम बंगाल की लड़ाई में कूद गया।’’ उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की हालत ख़राब थी, लेकिन जी जान लगाकर भाजपा को रोका गया।

किशोर ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि भाजपा को 100 का आंकड़ा पार नहीं करने देंगे और वही चुनाव में हुआ भी। किशोर का कांग्रेस में बहुप्रतीक्षित प्रवेश पिछले साल उनकी शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों के बावजूद सफल नहीं हो सका।

किशोर ने संकेत दिया कि वह अब भी इस संगठन की प्रशंसा करते हैं, लेकिन वह महात्मा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की तारीफ करते हैं। किशोर ने कहा, ‘‘ महात्मा गांधी की कांग्रेस को पुनर्जीवित करके ही गोडसे की विचारधारा को हराया जा सकता है।’’ 

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