बिहार में चुनाव से पहले राजग सरकार ने वोट हासिल करने के लिए 40000 करोड़ रुपये से अधिक किए खर्च?, उदय सिंह बोले- ‘जंगलराज’ डर से जनसुराज मतदाता NDA में शिफ्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 15, 2025 15:00 IST2025-11-15T13:53:51+5:302025-11-15T15:00:31+5:30

चुनाव से ठीक पहले राज्य की राजग सरकार ने वोट हासिल करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।

bihar polls NDA government spend over ₹40,000 crore garner votes before Bihar elections Uday Singh said Fearing 'jungle raj' Jansuraj voters shifted NDA | बिहार में चुनाव से पहले राजग सरकार ने वोट हासिल करने के लिए 40000 करोड़ रुपये से अधिक किए खर्च?, उदय सिंह बोले- ‘जंगलराज’ डर से जनसुराज मतदाता NDA में शिफ्ट

बिहार में चुनाव से पहले राजग सरकार ने वोट हासिल करने के लिए 40000 करोड़ रुपये से अधिक किए खर्च?, उदय सिंह बोले- ‘जंगलराज’ डर से जनसुराज मतदाता NDA में शिफ्ट

Highlightsराष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिला भारी बहुमत ‘‘खरीदा हुआ’’ है।जनसुराज को वोट देने से राजद सत्ता में ना आ जाए, आखिरी क्षणों में राजग को वोट दे गया।दिल्ली विस्फोट के बाद सीमांचल क्षेत्र में हुए ध्रुवीकरण की राजनीति का लाभ भी राजग को मिला।

पटनाः प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ‘‘जंगलराज’’ की आशंका के कारण जनसुराज के मतदाता अंतिम समय में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पक्ष में चले गए। सिंह ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिला भारी बहुमत ‘‘खरीदा हुआ’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव से ठीक पहले राज्य की राजग सरकार ने वोट हासिल करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।’’ सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मेरा ‘वोटर’ (मतदाता) इस डर से कि कहीं जनसुराज को वोट देने से राजद सत्ता में ना आ जाए, आखिरी क्षणों में राजग को वोट दे गया।’’

उन्होंने स्वीकार किया कि जनादेश से पार्टी को निराशा हुई है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि जनसुराज अपने मुद्दों को लेकर जनता के बीच में सक्रिय रहेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी विधानसभा में तो नहीं लेकिन पूरे राज्य में विपक्ष की भूमिका निभाएगी। उदय सिंह ने यह भी दावा किया कि दिल्ली विस्फोट के बाद सीमांचल क्षेत्र में हुए ध्रुवीकरण की राजनीति का लाभ भी राजग को मिला।

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराजबिहार विधानसभा चुनाव में अपनी करारी हार पर शनिवार को निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं के खातों में नगद हस्तांतरण ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी।

पार्टी द्वारा बेरोजगारी, पलायन और राज्य में उद्योगों की कमी जैसे मुद्दों को उठाते हुए जोरदार प्रचार करने के बावजूद वह मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में असफल रही। जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘हम चुनाव परिणाम से निराश हैं, लेकिन दुखी नहीं। भले ही हम एक भी सीट नहीं जीत सके, लेकिन हम सत्तारूढ़ राजग का विरोध जारी रखेंगे।’’

उन्होंने कहा कि पार्टी बिहार में मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में सफल नहीं हो सकी। उन्होंने कहा, ‘‘जनादेश यह भी दिखाता है कि लोग राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की वापसी नहीं चाहते थे।’’ सिंह ने दावा किया कि बिहार की राजग सरकार द्वारा महिलाओं के खातों में 40,000 करोड़ रुपये के नगद हस्तांतरण ने गठबंधन की जीत में ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ निभायी।

वह बिहार की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का जिक्र कर रहे थे, जिसके तहत राज्य की महिलाओं के बैंक खातों में 10,000-10,000 रुपये भेजे गए थे। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह चुनाव से पहले लोगों को रिश्वत देने का सरकार का प्रयास था। वोट खरीदे गए। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी नगद लाभ हस्तांतरित किए गए।’’

जन सुराज नेता सिंह ने कहा, ‘‘अब हम यह देखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि सरकार शेष 2 लाख रुपये महिलाओं के खातों में कैसे हस्तांतरित करेगी।’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार चुनाव में राजग को 50 प्रतिशत वोट भी नहीं मिले। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रशांत किशोर राजनीति में सक्रिय रहेंगे, क्योंकि जनता दल (यूनाइटेड) ने 25 से अधिक सीट जीत ली हैं, सिंह ने कहा, ‘‘यह सवाल आपको किशोर से ही पूछना चाहिए।’’ किशोर पहले कहा था कि यदि नीतीश कुमार की जद (यू) 25 से अधिक सीट जीतती है तो वह राजनीति छोड़ देंगे।

जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने   शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर सामने नही आए। वहीं, उदय सिंह ने सबसे पहले विधानसभा चुनाव में जीत पर को बधाई देते हुए नई सरकार के बनने के लिए शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि बिहार में बनने वाली नई सरकार से हमारी मांग है कि अब साफ-सुथरी सरकार बने और दागी मंत्रियों को जगह ना मिले। हमारे जो भी मुद्दे थे उन पर खुद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी ने भी बातें की। इसलिए हम यह देखते रहेंगे कि उन मुद्दों पर कितना काम होता है। चुनाव हार के सवाल पर जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है।

जब हमारा वोट बैंक अपनी बुद्धिमानी से एनडीए की तरफ चले गए, सीटें नहीं आई इसमें घबराने की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा बहुत बार हुआ है और आगे भी होगा। हार का मुख्य वजह बताते हुए उन्होंने की हमारी हार के दो मुख्य कारण रहे। उन्होंने कहा कि यह चुनाव के बीच जिस तरह से जो पैसों का बांट हुआ है, यह ठीक नहीं था।

वहीं अपनी हार का दूसरा कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि राजद के सत्ता में आने के डर से जो जनसुराज का वोट बैंक था वह एनडीए में चला गया। चुनाव में मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमें उम्मीद थी, इस बार मुसलमान भाई हमारे साथ उस तरह नहीं जुड़े।

उदय सिंह ने कहा कि हम प्रयास करते रहेंगे और आज न कल जरूर होगा। सम्राट चौधरी और मंगल पांडेय की जीत पर उन्होंने कहा कि जीत गए तो जीत गए, लेकिन हमारा मुद्दा जो था, वह है और रहेगा। उस मुद्दे में कोई बदलाव थोड़ी होगा। उदय सिंह ने कहा कि उनके जीत जाने से क्या होता है, क्या वह क्राइम में हिस्सेदार नहीं हैं, या वह भ्रष्टाचार में संलिप्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि जो क्राइम और भ्रष्टाचार का मुद्दा हम उठाते हुए आए हैं, उसे लगातार उठाते रहेंगे. हम लोग अपना प्रयास जारी रखेंगे। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 202 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया है। वहीं महागठबंधन को 35 सीटें मिली। इसी बीच राज्य में सभी सीटों पर चुनाव लड़ी प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज का खाता भी नहीं खुला।

68 सीटों पर उनके उम्मीदवारों का जमानत भी जब्त हो गया। बता दें कि प्रशांत किशोर ने एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने 2012 के गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के विजयी अभियान की रूपरेखा तैयार की। उस समय, चुनावों के लिए राजनीतिक परामर्श बहुत आम नहीं था और भाजपा की जबर्दस्त जीत के साथ प्रशांत किशोर सुर्खियों में छा गए।

इसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की मदद ली गई और भाजपा मोदी लहर पर सवार होकर केंद्र में सत्ता में आई। वहीं, इसके बाद 2015 में प्रशांत किशोर दूसरी तरफ थे, बिहार में महागठबंधन अभियान को धार दे रहे थे और उन्होंने फिर से सफलता हासिल की जब नीतीश कुमार-लालू यादव की जोड़ी ने शानदार जीत हासिल की।

2017 के पंजाब चुनाव में, किशोर ने तत्कालीन कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह को जीत दिलाई। इसके बाद उन्होंने वाईएसआरसीपी के जगन मोहन रेड्डी की मदद की और उन्हें आंध्र प्रदेश में जीत दिलाई। 2021 में, किशोर ने तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सहायता की और दोनों दलों ने बड़ी सफलता हासिल की।

पीके ने लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद, उन्होंने जन सुराज पार्टी के गठन की घोषणा की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जन सुराज पार्टी 2025 का बिहार चुनाव लड़ेगी। चुनाव से पहले, किशोर की जन सुराज पार्टी ने जोरदार प्रचार अभियान चलाया और सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ बनाए रखी। कई लोगों का मानना था कि यह एक मजबूत राजनीतिक ताकत बनकर उभरेगी। साक्षात्कारों में पीके ने विश्वास जताया था कि जन सुराज अच्छा प्रदर्शन करेगी और ज़ोर देकर कहा कि जदयू हार के कगार पर है।

जन सुराज के उम्मीदवारों में भोजपुरी गायक, पूर्व नौकरशाह, शिक्षाविद और पहले अन्य दलों में रह चुके वरिष्ठ राजनेता भी शामिल थे। विधानसभा चुनाव से पहले पीके ने यह दावा किया था कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू 25 से ज्यादा सीट नहीं जीत पायेगी। अगर वह ज्यादा जीतती है वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। लेकिन चुनाव में जदयू ने बड़ी बढ़त हासिल की और 2020 की तुलना में 41 सीटें ज्यादा जीतीं।

पहले चुनाव में प्रशांत किशोर ‘अर्श’ नहीं, ‘फर्श’ पर रहे

देश के कई राजनीतिक दलों की सफलता में भूमिका अदा करने वाले मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपने पहले चुनाव में पूरी तरह नाकाम रहे और उन्हें एक भी सीट हासिल नहीं हुई। वैसे, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कई बार यह कहा था कि उनकी जन सुराज पार्टी ‘‘अर्श’’ पर रहेगी या फर्श पर रहेगी।

उनका यह बयान उनके लिए कड़वी हकीकत बन गया। बिहार विधानसभा चुनाव में किशोर ने दो बड़े दावे किए थे। उनका दावा था कि जन सुराज “अर्श पर या फ़र्श पर’’ रहेगी। वहीं, उन्होंने जद (यू) को लेकर भविष्यवाणी की थी कि नीतीश कुमार की पार्टी 25 सीटें से ज्यादा नहीं जीतेगी। किशोर की अपनी पार्टी के लिए राह बेहद कठिन साबित हुई।

जन सुराज पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। अधिकतर सीटों पर जन सुराज प्रत्याशियों की ज़मानत ज़ब्त होती नजर आ रही है। बिहार में 47 वर्षीय किशोर ने करीब एक साल पहले बिहार भर में महीनों तक चली पदयात्रा के बाद अपनी पार्टी की शुरुआत बड़े जोर-शोर से की थी।

हालांकि, किशोर को पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा के 300 पार जाने का गलत अनुमान लगाने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी, लेकिन वह लगातार यह कहते रहे हैं कि भारत जैसे देश में, जहां बड़ी आबादी आजीविका के लिए संघर्ष करती है, वहां विपक्ष के लिए हमेशा स्थान रहेगा। चुनाव प्रबंधन एजेंसी ‘आई-पैक’ संस्थापक का यह विश्लेषण कि “विपक्ष नहीं, विपक्ष की पार्टियां कमजोर हैं”, भारतीय राजनीति में उनकी समझ को दर्शाता है।

किशोर की रणनीतिक क्षमता से नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, जगन मोहन रेड्डी, उद्धव ठाकरे और एम.के. स्टालिन जैसे नेता लाभान्वित हुए हैं। हालांकि, उनके सभी अभियान सफल नहीं रहे। बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी के लिए अब भी राजनीति में संभावनाओं का नया मैदान खुला है।

जन सुराज पार्टी किशोर का पहला राजनीतिक मंच नहीं है। चुनावी रणनीति में उनकी दक्षता से प्रभावित होकर नीतीश कुमार ने 2015 में सत्ता में लौटने के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री के बराबर दर्जे के साथ सलाहकार नियुक्त किया था। तीन साल बाद वह जद (यू) में शामिल हो गए थे।

वह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बने, जिससे यह अटकलें तेज हो गई थीं कि नीतीश कुमार उन्हें अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं। हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर जद (यू) की अस्पष्ट स्थिति के खिलाफ मुखर होने पर एक साल के भीतर ही उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था।

निष्कासन के बाद किशोर ने “बात बिहार की” नाम से एक अभियान शुरू किया, जो शुरुआत में ही ठप पड़ गया। ममता बनर्जी के 2021 के चुनाव अभियान को सफलतापूर्वक संभालने के बाद उन्होंने कांग्रेस को “पुनर्जीवित” करने की योजना भी पेश की, लेकिन यह प्रयास भी आगे नहीं बढ़ सका।

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