Bihar Political Crisis: बिहार एनडीए में मतभेद!, जदयू के बाद वीआईपी ने भाजपा पर किया हमला, मंत्री मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव को छोटा भाई कहा
By एस पी सिन्हा | Published: January 19, 2022 03:24 PM2022-01-19T15:24:18+5:302022-01-19T15:25:36+5:30
Bihar Political Crisis: उत्तर प्रदेश में मुकेश सहनी के चुनाव लड़ने को लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. वीआईपी यूपी में 165 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है.
Bihar Political Crisis:बिहार एनडीए में इन दिनों सियासत गर्मायी हुई है. एक तरफ जहां भजपा और जदयू में सम्राट अशोक के अलावे शराबबंदी को लेकर तनातनी की स्थिति बनी हुई, इसबीच अब विकासशील इंसान पार्टी(वीआईपी) नेताओं ने भी भाजपा को आंखें दिखाने लगे हैं.
एकतरह से कहा जाये तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का असर बिहार की राजनीति पर भी दिखने लगा है. वीआईपी के प्रमुख व बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं, ऐसे में भाजपा उनके पर कतरने की तैयारी में है. भाजपा के द्वारा बार-बार उन्हें इशारा किया जा रहा है, लेकिन मुकेश सहनी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को धूल चटाने के लिए जी जान से प्रयास में जुटे हुए हैं. भाजपा के अंदर उत्तर प्रदेश में मुकेश सहनी के चुनाव लड़ने को लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. वीआईपी यूपी में 165 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है.
इसके बाद भाजपा के मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निषाद ने तो इसे लेकर मुकेश सहनी को कई बार खुले रूप में चेतावनी भी दी है. निषाद ने बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का प्रत्याशी उतारने का भी ऐलान कर दिया है. ये वही सीट है जो भाजपा ने 2020 चुनाव में समझौते के तहत उनको को दी थी. इस सीट से जीत कर आए विधायक मुसाफिर पासवान की मौत हो चुकी है.
लेकिन मुकेश सहनी का कहना है कि उनके सहयोग से सरकार चल रही है. उन्हें मंत्री पद की चिंता नहीं है. वो अपने समाज को उसका हक दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश में भाजपा का खेल जरूर बिगाड़ेंगे. मुकेश सहनी भाजपा कोटे से विधान पार्षद हैं. ऐसी स्थिती में भाजपा के द्वारा नकेल कसे जाने की तैयारी को देखते हुए मुकेश सहनी का झुकाव एकबार फिर से राजद की ओर होता दिखाई देने लगा है.
उन्होंने तेजस्वी यादव को अपना छोटा भाई बताना शुरू कर दिया है. जानकारों का मानना है कि मुकेश सहनी का अचानक से उभरा तेजस्वी प्रेम डर का नतीजा है. उन्हें ये बात बखूबी पता है कि भाजपा ने 6 साल की बजाय उन्हें डेढ़ साल के कार्यकाल वाला विधान परिषद सीट क्यों दिया? भाजपा उन पर पूरा भरोसा करने का रिस्क लेने के मूड में नहीं थी, क्योंकि उनके पाला बदलने का डर था.
उल्लेखनीय है कि भाजपा की तरफ से मुकेश सहनी को विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद मंत्री भी बनाया गया है. विधान परिषद की सीट भाजपा ने ही उन्हें दी है. इस सीट से पहले विनोद नारायण झा सदस्य थे, जो 2020 विधानसभा चुनाव में विधायक बन गए थे. डेढ़ साल के बचे कार्यकाल में सहनी को इस सीट से परिषद् भेजा गया था, जो जून 2022 में पूरा हो रहा है.
इसतरह से मुकेश सहनी के पास सिर्फ 163 दिन का कार्यकाल बचा है. जाहिर है बिना किसी सदन की सदस्यता के सहनी मंत्री नहीं रहेंगे. ऐसे में वह अभी से अपनी कुर्सी सेफ करने को लेकर राजनीति करने में लग गए हैं. वहीं, भाजपा विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा है कि किसी की नाराजगी से कोई फर्क नहीं पडे़गा. सिर्फ मुकेश सहनी के समर्थन से सरकार नहीं बनी है. उनको भाजपा ने निमंत्रण नहीं दिया था. वह खुद आये थे. हमारे सहयोग से ही वह मंत्री बने हैं. यह बताने की जरूरत नहीं है.