कौन हैं अभिलाषा शर्मा और योगेश सागर, ईडी रडार पर IAS अधिकारी
By एस पी सिन्हा | Updated: November 27, 2025 17:33 IST2025-11-27T17:30:46+5:302025-11-27T17:33:26+5:30
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत दोनों आईएएस अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है।

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पटनाः बिहार कैडर के दो आईएएस अधिकारी योगेश कुमार सागर और अभिलाषा कुमारी शर्मा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर आ गए हैं। दरअसल, ईडी ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामलों में जांच तेज कर दी है। इस सिलसिले में ईडी ने 19 नवंबर को बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसयूवी) को एक पत्र भेजकर दोनों अधिकारियों से जुड़े वित्तीय लेनदेन, सम्पत्तियों और पदस्थापना के दौरान हुई आर्थिक गतिविधियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है। ईडी अपनी ओर से कई महत्वपूर्ण जानकारियां पहले ही एसयूवी को साझा कर चुकी है।
जांच का दायरा क्या होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन संकेत साफ हैं कि दोनों आईएएस अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान हुए आर्थिक फैसलों की गहन छानबीन होगी। संभावना जताई जा रही है कि ईडी की जांच में एसयूवी भी साझेदार बनकर आगे की कार्रवाई करेगी। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत दोनों आईएएस अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है।
एसयूवी को लिखे पत्र में लिखा कि उनके पास दोनों आईएएस अधिकारियों को लेकर कुछ शुरुआती जानकारियां मौजूद हैं, जिसे उन्होंने एसयूवी के साथ साझा किया है। इस पर तफ्तीश से छानबीन के लिए पूरे रिकॉर्ड, दस्तावेज और अन्य सामग्री की जरूरत को साझा करने की जरूरत है। बता दें कि योगेश सागर 2017 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
उन्होंने अररिया में एसडीओ के रूप में शुरुआत की और बाद में भागलपुर नगर आयुक्त रहे। 7 मार्च 2024 से 17 फरवरी 2025 तक वे बुडको के प्रबंध निदेशक रहे। ऐसे में ईडी को शक है कि इस पद पर रहकर उन्होंने कुछ वित्तीय हेरफेर किए हैं। वहीं, 2014 बैच की आईएएस अधिकारी अभिलाषा शर्मा, इस वक्त अरवल जिले की जिलाधिकारी।
इसके पगले ग्रामीण विकास विभाग में अतिरिक्त सीईओ थीं। उन्होंने सीतामढ़ी की जिलाधिकारी से लेकर वित्त विभाग की संयुक्त सचिव भी रह चुकी हैं। उनके फैसलों की पारदर्शिता को लेकर जांच शुरू हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक ईडी इन दोनों अधिकारियों की अलग-अलग पदों पर तैनाती के दौरान हुई आर्थिक लेन-देन और फैसलों की जांच कर रही है।
ये देखा जा रहा है कि कहीं इन पदों पर रहते हुए किसी तरह की अनियमितता या गलत तरीके से आर्थिक लाभ लेने की कोशिश तो नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार एसयूवी द्वारा जानकारी उपलब्ध कराने के बाद ईडी दोनों अधिकारियों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई या पूछताछ शुरू कर सकती है। फिलहाल ईडी की यह सक्रियता साफ बताती है कि मामला गंभीर है और आने वाले दिनों में नई जानकारियां सामने आ सकती हैं।