बिहार में कोरोना के साथ बाढ़ः लोग बेहाल, अब तक 17 लोगों की मौत, रोकनी पड़ी रेल सेवा, नदियां उफान पर
By एस पी सिन्हा | Published: July 24, 2020 03:26 PM2020-07-24T15:26:01+5:302020-07-24T15:32:01+5:30
कई तटबंध और बांध दरक गये. हायाघाट के पास कमला का पानी रेल पुल के करीब आने के बाद दरभंगा और समस्तीपुर के बीच रेल सेवा रोक दी गई है. सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में हैं. नेपाल और बिहार के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा नहीं रुक रही है.
पटनाः बिहार में बारिश के बीच नदियां उफान पर हैं और बाढ़ का कहर बढ़ता जा रहा है. उत्तर बिहार में बाढ़ के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. हालात जल प्रलय के जैसे बन गये हैं.
आज सुबह एक के बाद एक कई तटबंध और बांध दरक गये. हायाघाट के पास कमला का पानी रेल पुल के करीब आने के बाद दरभंगा और समस्तीपुर के बीच रेल सेवा रोक दी गई है. सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में हैं. नेपाल और बिहार के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा नहीं रुक रही है. लिहाजा नदियों के बढ़ने की गति भी थमने का नाम नहीं ले रही है. उत्तर बिहार के जिलों में लगातार हो रही बारिश से चारों ओर तबाही का मंजर है. बिहार में गंगा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती और कोसी नदियां लाल निशान के ऊपर बह रही है.
हालत यह है कि कई जिलों में बांध ही टूट गए इस कारण गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इस कारण लाखों लोग परेशान है. खेतों में लगी फसलें डूब गई हैं. हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं. लोगों का निचले इलाकों से सुरक्षित जगहों पर जाना लगातार जारी है. पशुओं के चारे का भी संकट खड़ा हो गया है.
बागमती व अधवारा समूह की नदियों से सुरक्षा के लिए बनाए गए जमींदारी व रिंग बांध टूट गए
दरभंगा में दो अलग-अलग जगहों पर बागमती व अधवारा समूह की नदियों से सुरक्षा के लिए बनाए गए जमींदारी व रिंग बांध टूट गए हैं. इस कारण दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड पर हायाघाट स्थित रेल पुल के पिलर संख्या 16 पर भी पानी चढ़ने के कारण रेल परिचालन रोक दिया गया है.
इस रेलखंड से होकर गुजरने वाली प्रमुख ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किए गए हैं. अब ट्रेनें दरभंगा से समस्तीपुर की ओर नहीं जाकर मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी के लिए चलेंगी. मंडल रेल प्रवक्ता सरस्वती चंद्र ने बताया कि दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के हायाघाट-थलवारा स्टेशनों के मध्य बाढ़ का पानी पुल के गार्डर को छूने लगा है.
दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के हायघाट में बाढ़ का पानी रेल पुल पर चढ़ जाने के बाद ट्रेन परिचालन बंद कर दिया गया है. अगले आदेश तक बिहार संपर्क क्रांति सहित कुछ ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित कर दिया गया है. हालांकि, रेल प्रशासन ने शनिवार तक के लिए ही बंद किया है.
सुपौल, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी और मधुबनी के कई प्रखण्डों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया
उधर, सुपौल, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढी और मधुबनी के कई प्रखण्डों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. अकेले दरभंगा और तिरहुत प्रमंडल के ही 50 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित हो चुकी है. तटबंधों पर पानी के भारी दबाव के बीच बांध टूट रहे हैं.
गोपालगंज में रिंग बांध टूटने के बाद मुख्य तटबंध दो जगह टूट गया है. पूर्वी चंपारण में चंपारण तटबंध भी टूटा है. गोपालगंज को बेतिया से जोड़ने वाले गंडक नदी के जादोपुर-मंगलपुर महासेतु का संपर्क पथ ध्वस्त हो गया है. सीतामढ़ी व पूर्वी चंपारण सड़क संपर्क भंग हो गया है तो जमुई में रेल ट्रैक पर पानी चढ़ गया है.
इस बीच बीते 24 घंटे के दौरान बाढ़ के पानी में डूबने से 17 लोगों की मौत हो गई है. बिहार में 7 जिले ऐसे हैं, जो नेपाल से सटे हुए हैं. इनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं.
नेपाल से छोडे़ गए पानी का असर इन इलाकों में दिखने लगा है. रोज कुछ नये क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं. साथ ही तटबंधों पर पानी बढ़ता जा रहा है. पेट्रोलिंग में लगे जल संसाधन विभाग के इंजीनियर रिसाव बंद करने में ही परेशान हैं. विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सभी नदियां तेजी से बढ़ रही हैं.
लाल निशान से नीचे बह रही घाघरा और पुनपुन नदी भी लाल निशान को पार कर गई
अब तक लाल निशान से नीचे बह रही घाघरा और पुनपुन नदी भी लाल निशान को पार कर गई है. पटना के लिए अच्छी खबर है कि गंगा बढने के बाद भी अभी लाल निशान से बहुत नीचे है, अन्यथा पुनपुन के बढने के बाद पटना पर खतरा मंडराने लगा है.
पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में भी बारिश के बाद नदियां उफान पर हैं. जमुई में रेल ट्रैक पर आंजन नदी का पानी बह रहा है. कटिहार में गंगा-महानंदा और खगडिया में कोसी-बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. सुपौल की सूचना के अनुसार कोसी नदी नेपाल प्रभाग के दो स्परों पर लगातार दबाव बनाए हुए है.
मधेपुरा में कोसी व सुरसर के जलस्तर में बढोतरी से कई गांवों में पानी पहुंच चुका है. किशनगंज में महानंदा, मेंची, कनकई, डोक व अन्य नदियों के जलस्तर में कमी आने से नदी के निचले इलाके में बसे लोगों को राहत मिली है. जलस्तर घटने से नदी कटाव तेज हो गया है.