Coronavirus Pandemic: मौत के आंकड़ों में बाजीगरी, सुशील कुमार मोदी और स्वास्थ्य विभाग में आ रहा है अंतर
By एस पी सिन्हा | Published: July 23, 2020 07:24 PM2020-07-23T19:24:55+5:302020-07-23T19:24:55+5:30
हर तरफ अराजकता का आलम है. कोरोना संक्रमित मरीजों की न तो जांच हो रही है और न उन्हें अस्पताल में भर्ती लिया जा रहा है. कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसे देख इंसान की रुह कांप जा रही हैं. केंद्रीय टीम ने भी बिहार की तैयारी पर सवाल खडे़ किए हैं.
पटनाः बिहार में कोरोना विकराल रूप धारण करता जा रहा है. लोग बेमौत मरते जा रहे हैं और सरकारी आंकड़ा भी संदेहास्पद ही सामने आने की खबर से हड़कंप मच गया है.
इसी के साथ बिहार सरकार की तैयारी की पोल भी खुल गई है. हर तरफ अराजकता का आलम है. कोरोना संक्रमित मरीजों की न तो जांच हो रही है और न उन्हें अस्पताल में भर्ती लिया जा रहा है. कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसे देख इंसान की रुह कांप जा रही हैं. केंद्रीय टीम ने भी बिहार की तैयारी पर सवाल खडे़ किए हैं.
बिहार में कोरोना के कितने मरीजों की जांच हुई, कितने पॉजिटिव मिले और अब तक कितने मरीजों की मौत हुई इसको लेकर पूरा कंफ्यूजन है. ऐसा लगता है कि सरकार कोरोना से मौत के आंकड़ों में बाजीगरी कर रही है. मौत का आंकड़ा छुपाया जा रहा है. लोगों के सामने सही आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया जा रहा.
स्वास्थ्य विभाग और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के आंकड़ों में भिन्नता
ऐसा इसलिए क्यों कि स्वास्थ्य विभाग और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के आंकड़ों में भिन्नता है. इस वजह से इस बात की पुष्टि हो रही कि कहीं न कहीं करोना मरीजों की मौत की संख्या में बाजीगरी की जा रही है. सरकार सही संख्या जनता के बीच नहीं ला रही.
विपक्षी दल भी सरकार पर आंकड़ा छुपाने का आरोप लगाते रहे हैं. बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने 21 जुलाई को ट्वीट कर जानकारी दी कि बिहार में अब तक 216 लोगों को कोरोना से बचाया नहीं जा सका. तब तक तो सबकुछ ठीक था लोगों ने मान लिया कि बिहार में कोरोना से 216 लोगों की मौत हुई.
सुशील मोदी के ट्वीट के कुछ ही देर बाद 21 जुलाई को ही स्वास्थ्य विभाग का अपडेट आया, जिसमें कोरोना से 198 लोगों की मौत की बात कही गई. हद तो तब हो गई जब स्वास्थ्य विभाग ने एक दिन बाद यानि 22 जुलाई को जो रिपोर्ट जारी की उसमें भी 216 का आंकड़ा नहीं छू सका.
22 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोरोना से मौत की संख्या बताई गई वो 208 थी
22 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोरोना से मौत की संख्या बताई गई वो 208 थी. अर्थात सुशील मोदी की तरफ से 24 घंटा पहले कोरोना से मौत की जो संख्या बताई गई थी, उससे भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 8 कम ही कहा गया. मतलब साफ है कि या तो उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को कोरोना के संबंध में सही आंकड़ा नहीं दिया जा रहा या फिर स्वास्थ्य विभाग कोरोना से हुई मौत की संख्या को छुपा रही है. इसबीच, राजधानी पटना में स्थित एशिया के सबसे कालोनी के रूप में चर्चित कंकड़बाग इलाके में एक ही परिवार को तीन लोगों की बारी बारी से मौत हो जाने से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है.
पिछले 15 दिनों के अंदर एक ही परिवार के 3 लोगों की बारी-बारी से मौत हो गई
कंकड़बाग के वार्ड 34 के पंचशिव मंदिर के सामने एमआईजी के ए ब्लॉक में पिछले 15 दिनों के अंदर एक ही परिवार के 3 लोगों की बारी-बारी से मौत हो गई है. एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत के बाद इलाके में कई तरह की चर्चा है. आसपास के लोग इन मौतों के लिए कोरोना को जिम्मेदार मान रहे हैं. मोहल्ले में ट्यूशन पढ़ाने वाले सत्येन्द्र कुमार की मौत 15 दिन पहले हुई थी.
जिसके बाद उनके 19 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी थी. लेकिन सात दिन बाद सत्येन्द्र कुमार के बेटे सूरज की अचानक घर में मौत हो गई. मरने से पहले हल्का बुखार की बात की जा रही है. बेटे के अंतिम संस्कार के तीन बाद सत्येन्द्र कुमार की पत्नी अपनी बेटी को लेकर मायके चली आईं, लेकिन वहां पहुंचने के साथ ही मंगलवार की शाम उसकी भी मौत हो गई.
हालांकि वार्ड के पार्षद का कहना है कि शिक्षक सत्येन्द्र कुमार किडनी के मरीज थे, उनका घर पर ही इलाज चल रहा था. लेकिन तबियत बिगड़ने के बाद कंकड़बाग के निजी अस्पताल में इलाज करवाने गए थे. जिसके बाद कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर पीएमसीएच रेफर कर दिया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.