बिहार में परशुराम जयंती के बहाने सियासत हुई तेज, तेजस्वी यादव और कांग्रेस के निमंत्रण से भूमिहार समाज में पैदा हुई फूट की स्थिति

By एस पी सिन्हा | Published: May 2, 2022 07:45 PM2022-05-02T19:45:40+5:302022-05-02T19:56:05+5:30

बिहार में भाजपा से नाराज भूमिहार समाज के लोगों ने परशुराम जयंती कार्यक्रम में राजद नेता तेजस्वी यादव और बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को आमंत्रित किया है, जिसके कारण बिहार में सियासत तेज हो गई है।

Bihar, on the pretext of Parshuram Jayanti, politics became sharp, Tejashwi Yadav and Congress's invitation led to a split in Bhumihar society | बिहार में परशुराम जयंती के बहाने सियासत हुई तेज, तेजस्वी यादव और कांग्रेस के निमंत्रण से भूमिहार समाज में पैदा हुई फूट की स्थिति

सांकेतिक तस्वीर

Highlightsबिहार में परशुराम जयंती के नाम पर अगड़े और पिछड़ों की सियासत एक बार फिर तेज हो गई हैभाजपा से नाराज भूमिहार समाज ने कार्यक्रम में तेजस्वी यादव और भक्त चरण दास को न्योता भेजा है वहीं भूमिहार समाज के लोग कार्यक्रम में इन दोनों नेताओं को बुलाने से नाराज हैं

पटना: बिहार में परशुराम जयंती के बहाने सियासत की नई चाल चली जा रही है। इसके साथ ही एक नया नारा भी दिया गया है, जिसमें कहा गया है  "बाभन(भूमिहार) के चूड़ा, यादव की दही, दोनों मिली तब बिहार में सब होई सही।" इस नए नारे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैद कर दी है। बता दें कि भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फाउंडेशन के बैनर तले मंगलवार को परशुराम जयंती मनाया जा रहा है।

जानकारों के अनुसार भाजपा से नाराज भूमिहार समाज के लोग इस कार्यक्रम में अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। इस कार्यक्रम में राजद नेता तेजस्वी यादव और बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को आमंत्रित किया गया है लेकिन इस कार्यक्रम का निमंत्रण इन दोनों नेताओं को भेजे जाने से समाज के ही कुछ लोग नाराज हो गए हैं।

उनका कहना है कि भूमिहार समाज की बैठक में दूसरे समाज के लोगों को निमंत्रण देने से इसका गलत संदेश जायेगा। कार्यक्रम जब समाज का है तो राजनीतिक करने से बचना चाहिए। बिहार विधान परिषद के सदस्य सच्चिदानंद राय ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि हमें समाज के बाहर के लोगों को निमंत्रण देने का क्यों जरूरत पड़ गई? उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि तेजस्वी यादव ने भूमिहारों से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है लेकिन हम उनकी उपस्थिति में अपना फैसला कैसे ले सकते हैं?

इधर भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फाउंडेशन के आशुतोष कुमार का कहना है कि यह धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम है। इसी कारण हमने दूसरे समाज के लोगों को भी इसमें निमंत्रित किया है। आशुतोष कुमार ने मुलाकात करके नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को आमंत्रित किया है। वहीं तेजस्वी भी इस कार्यक्रम में जाने का मन बना चुके हैं। 

सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव परशुराम जयंती में शामिल होकर भूमिहार समाज को सकारात्मक संदेश देना चाहते हैं। उन्होंने विधान परिषद चुनाव में इस तबके से आने वाले नेताओं को उम्मीदवार बनाया था और बोचहां में जीत के बाद उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि राजद केवल एमवाई नहीं बल्कि ए-टू-जेड की बात करती है और उसी तरह की राजनीति बिहार में करेगी। अगर तेजस्वी वाकई परशुराम जयंती समारोह में शामिल होते हैं तो आने वाले दिनों में भाजपा और जदयू जैसी पार्टियों के लिए एक कड़ी चुनौती होगी।

जानाकारों के अनुसार तेजस्वी के इस नए चाल को पार्टी की नई सोशल इंजीनियरिंग के रूप में देखा जाना चाहिये। एमवाय समीकरण के दम पर पिछले कई चुनावों में जीत दर्ज करने में नाकाम रही पार्टी की नजर अब ब्राह्मण और भूमिहारों पर है, जो लंबे समय से भाजपा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं।

यही कारण है कि राजद के नेता और कार्यकर्ता परशुराम जंयती को इस बार काफी धूमधाम से मनाने की तैयारी में हैं, जिसे भूमिहारों को खुश किया जा सके। यही कारण है कि एक नया नारा भी दिया गया है कि बाभन (भूमिहार) के चूड़ा, यादव के दही, दोनों मिली तब बिहार में सब होई सही।

हाल ही में स्थानीय निकाय के तहत विधान परिषद के लिए हुए चुनाव के दौरान राजद को भूमिहार बिरादरी का अच्छा साथ मिला था। अब पार्टी की नजर ब्राह्मणों पर है, जिनकी बिहार में करीब 6 फीसदी आबादी है। ब्राह्मणों की आबादी भले ही बहुत ज्यादा ना हो, लेकिन शिक्षा और सामाजिक स्तर पर ये काफी प्रभावशाली हैं। इन्हें 'ओपिनियन मेकर्स' के तौर पर भी देखा जाता है।

सियासत की नब्ज परखने वालों का अभी कहना है कि राजद को अब इस बात का अहसास हो चुका है कि सत्ता में आने के लिए उसे समाज के सभी वर्गों के सहयोग की जरूरत है। कारण कि 'यादव-मुस्लिम' टैग की वजह से कई जातिगत समूह उससे दूर होती चली गई है, जिसके चलते उनका वोट राजद को नही मिल पा रहा है। ऐसे में अब उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने की मुहिम राजद के द्वारा तेज कर दी गई है।

इस तरह से राजद की ओर से भूमिहार और ब्राह्मणों को लुभाने में जी जान से जुट गई है। हालांकि राजद पर 'भूरा बाल साफ करो' का नारा देकर गैर सवर्ण जातियों को गोलबंद करने का आरोप लग चुका है।

90 के दशक से पहले कई ब्राह्मण मुख्यमंत्री दे चुके बिहार में सवर्णों के दबदबे की पृष्ठभूमि आए इस नारे का मतलब था भ से भूमिहार, रा से राजपूत, बा से ब्राह्मण और ल से लाला (कायस्थ) था। हालांकि, बाद में लालू प्रसाद यादव ने अपनी आत्मकथा में इस पर सफाई देते हुए लिखा कि उन्होंने यह नारा नहीं दिया था। उन्होंने इसके लिए मीडिया पर ठीकरा फोड़ा था।

Web Title: Bihar, on the pretext of Parshuram Jayanti, politics became sharp, Tejashwi Yadav and Congress's invitation led to a split in Bhumihar society

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