बिहार: प्रवासी मजदूरों को सरकार के दावों पर नहीं भरोसा, रोजगार के लिए लौटने लगे फिर से दूसरे राज्य

By एस पी सिन्हा | Published: June 7, 2020 01:41 PM2020-06-07T13:41:07+5:302020-06-07T13:44:49+5:30

राज्य के सूचना सचिव अनुपम कुमार के मुताबिक 14850 स्पेशल ट्रेनों से 20 लाख 51 हजार श्रमिक बिहार लौटे हैं.

Bihar: Migrant laborers not confident in government claims, return to employment again other states | बिहार: प्रवासी मजदूरों को सरकार के दावों पर नहीं भरोसा, रोजगार के लिए लौटने लगे फिर से दूसरे राज्य

प्रवासी मजदूरों का सांकेतिक तस्वीर (File Photo)

Highlightsनीतीश कुमार का कहना है कि राज्य सरकार बिहार लौटने वाले मजदूरों के लिए नियोजन का इंतजाम कर रही है.सरकार का दावा है कि श्रमिकों के हुनर की जांच हो रही है और इसका डाटा बैंक बन रहा है. 

पटना: लॉकडाउन में फंसे करीब 25 लाख प्रवासी मजदूर बिहार आए हैं. सरकार ने दावा किया था कि वापस आए बिहारियों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है. बिहार में ही रोजगार मिलेगा. लेकिन, सरकार का दावा फेल होता दिख रहा है. 

बिहारी मजदूर फिर से वापस कमाने के लिए जाने लगे. उनका कहना है कि अगर नहीं कमाए तो वह भूख से ही मर जाएंगे. दूसरे राज्यों के किसान उनके लिए वातानुकूलित बसें भेज रहे हैं. तेलांगना और तमिलनाडु की रीयल एस्टेट कंपनियां तो हवाई जहाज भेज रही हैं. 

इस बीच बिहार सरकार कह रही है कि घर में ही रहिए, यहीं रोजगार मिल जाएगा. ऐसे में वापस लौटे श्रमिक दुविधा में हैं. फिर भी उनका बडा हिस्सा काम की पुरानी जगह पर लौटने का मन बना रहा है. कुछ लोग लौट भी रहे हैं. 

रोजगार नहीं मिलने पर मजबूरन मजदूर जा रहे हैं दूसरे राज्य- 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं- मजबूरी में कोई श्रमिक बाहर नहीं जाएगा. हां, विशेष हुनर वाले श्रमिकों को कहीं ऑफर मिले तो जा सकते हैं. गांव में रोजगार के साधन मुहैया नहीं होने के कारण मजबूरन अपने एवं परिवार के पेट की भूख को शांत करने के लिए पूर्णिया जिले से मजदूरों को बाहर जाना मजबूरी बन गया है. 

शुक्रवार को प्रखंड क्षेत्र के नितेंद्र पंचायत एवं मच्छटटा पंचायत के करीब 30 मजदूर हरियाणा के लिए पलायन कर गए. पलायन कर रहे कन्हरिया, लरहैया एवं सिमलबाडी के मजदूर सईद, साजिद, मुजफ्फर, परवेज, दिलशाद, तारिक़, मोफिल, इजहारूल आदि ने बताया कि कोरोना वायरस बीमारी के खतरे को जानते हुए भी परिवारों एवं बच्चों के पेट भरने के लिए मजबूर हो कर बाहर जाना पड रहा है. 

पूर्णिया के अमौर ब्लॉक के रहने वाले मोहम्मद इजहरुल चंडीगढ से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौटे थे. उन्होंने बताया कि मैंने अपना क्वारंटाइन पीरियड पूरा कर लिया है अब मुझे नहीं लगता कि यहां की सरकार हमारे लिए रोजगार मुहैया करा पाएगी. लिहाजा रोजगार के लिए फिर से परदेश जा रहे हैं. 

हरियाणा के किसानों ने लग्जरी बस भेज मजदूरों को वापस बुलाया-

पूर्णिया से अभी तक 100 से ज्यादा श्रमिक हरियाणा लौट चुके हैं. उनके लिए हरियाणा के बडे किसानों और व्यापारियों ने लग्जरी बसों को यहां भेजा था. पूर्णिया से वापस हरियाणा लौटे मजदूरों मुजफ्फर और दिलशाद ने बताया कि हरियाणा के व्यापारी ने उनके लिए एडवांस पैसा भेज दिया था. 

बस पर चढने के पहले ही हमारे मालिक ने 20 से 30 हजार रुपए एडवांस में दे दिए. उनका कहना था कि कंपनी वालों ने भरोसा दिया है कि वे पहले के मुकाबले उसी काम के लिए एक से डेढ गुना ज्यादा पैसा देंगे. कोरोना संकट से पहले उन्हें रोजाना 500 से 700 रुपए मजदूरी मिलती थी. अब कम से कम 1000 रूपया मिलने की उम्मीद है. 

उधर सरकार कह रही है कि हम वापस जाना चाह रहे लोगों को कैसे रोक सकते हैं. पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से मजदूरों को काम देने की हर पहल की जा रही है. प्रशासन मजदूरों से यहीं रूकने का आग्रह कर रहा है. लेकिन अगर वे जाना चाहते हैं तो उन्हें कौन रोक सकता है. फिलहाल इन श्रमिकों को वापस ले जाने के लिए पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लग्जरी बसें आ रही हैं. 

ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने के बाद दूसरे राज्य जाने के लिए टिकट ले रहे मजदूर- 

पहली बस शिवहर जिले में आई थी. उससे 30 श्रमिक गए. दूसरी और तीसरी बसें मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में आईं थीं. अब श्रमिकों को हिमाचल से आने वाली बसों का इंतजार है. एक जून से ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने के बाद श्रमिक अपने स्तर से भी टिकट कटा कर लौट रहे हैं. लेकिन उन श्रमिकों के मन में भय बना हुआ है, जिन्हें बुरे दौर में नियोजकों ने उपेक्षित छोड दिया था. 

वहीं, प्रवासियों को लेकर पहली ट्रेन तेलांगना से खगडिया आई थी. लौटती में उसी ट्रेन पर सवार होकर 222 श्रमिक तेलांगना लौट गए थे. ये श्रमिक होली की छुट्टी में गांव आए थे. लॉकडाउन हुआ तो घर पर ही रह गए. 

इनके लिए रेल टिकटों का बंदोबस्त तेलांगना के उस चीनी मिल मालिकों ने किया था, जिसमें वे काम करते थे. खबर तो यह भी है कि दक्षिण भारत की कई रियल एस्टेट कंपनियों ने श्रमिकों की वापसी के लिए चाटर्ड प्लेन और हवाई टिकट का इंतजाम किया. केरल सरकार ने इनके लिए मुफ्त आवास और चिकित्सा सुविधा देने की घोषणा की है.

राज्य के सूचना सचिव अनुपम कुमार के मुताबिक 14850 स्पेशल ट्रेनों से 20 लाख 51 हजार श्रमिक बिहार लौटे हैं. राज्य सरकार उनके लिए नियोजन का इंतजाम कर रही है. सरकार की विभिन्न योजनाओं में इनके लिए श्रम दिवस सृजित किए जा रहे हैं. श्रमिकों के हुनर की जांच हो रही है. इसका डाटा बैंक बन रहा है. 

उद्यमियों को कहा जा रहा है कि वे अपनी जरूरत के हिसाब से इन हुनरमंद श्रमिकों को नियोजित करें. एक अनुमान के मुताबिक कोरोना के दौर में राज्य में 25 लाख से अधिक श्रमिक आए हैं. इनमें बडी संख्या अकुशल मजदूरों की है. हालांकि ऐसी बात नहीं है कि राज्य सरकार श्रमिकों को रोकने का इंतजाम नहीं कर रही है.

रोजगार का भरोसा देने के अलावा उनके बच्चों के स्कूलों में दाखिला कराने का भी उपाय हो रहा है. लघु उद्योगों के लिए सरकार की कई योजनाएं पहले से चला रही हैं. योजना है कि इनमें बाहर से आए श्रमिकों को उद्यमी बनने का अवसर दिया जाए. 

उधर दूसरे राज्यों से पहले की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक प्रस्ताव मिलने के कारण राज्य सरकार के लिए इन श्रमिकों को बिहार में रोक कर रखना कठिन हो सकता है. वैसे श्रमिकों के पास कुछ राज्यों का बुरा अनुभव है. 

इनमें महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं. बाकी राज्यों के बारे में उनकी अच्छी राय है. खासकर पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल की सरकारों ने कोरोना काल में भी इन श्रमिकों के साथ अच्छा और मानवीय व्यवहार किया था. नई स्थिति में ये श्रमिक इन राज्यों में जाने से कतई घबरा नहीं रहे हैं. हां, महाराष्ट्र और गुजरात जाने के नाम पर जरूर इनका मन छोटा हो जाता है.

Web Title: Bihar: Migrant laborers not confident in government claims, return to employment again other states

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