मंत्री बनना जिनके जीवन की अंतिम इच्छा थी वह बन गए, ललन सिंह ने आरसीपी पर साधा निशाना, मोदी ने जदयू अध्यक्ष पर किया पलटवार
By एस पी सिन्हा | Published: September 25, 2022 08:13 PM2022-09-25T20:13:35+5:302022-09-25T20:15:51+5:30
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्णिया रैली में अपने भाषण में ललन सिंह को नया नेता बताया तो जदयू अध्यक्ष ने जुमलेबाज करार दे दिया।
पटनाः बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद जदयू और भाजपा में जुबानी जंग लगातार जारी हैं। सीमांचल में अमित शाह की रैली के बाद भाजपा के द्वारा चलाये गये शब्दबाण के बाद जदयू ने पलटवार करना शुरू कर दिया है। अमित शाह ने पूर्णिया रैली में अपने भाषण में ललन सिंह को नया नेता बताया तो जदयू अध्यक्ष ने उन्हें जुमलेबाज करार दे दिया।
इन सबके बीच जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आरसीपीसी पर निशाना साधा है। सुशील मोदी को जवाब देने के बहाने ललन सिंह ने कहा कि मंत्री बनना जिनके जीवन की अंतिम इच्छा थी वह बन गए। दरअसल, ललन सिंह ने सुशील मोदी के एक बयान का जवाब दिया है।
सुशील मोदी ने ललन सिंह पर आरोप लगाया कि केंद्र में मंत्री नहीं बन पाने से नाराज ललन सिंह अमित शाह के खिलाफ अनर्गल बयान बाजी कर रहे हैं। इसके जवाब में टि्वटर हैंडल पर ललन सिंह ने सुशील मोदी से 13 सवाल पूछे हैं। इन्हीं सवालों के बीच ललन सिंह ने आरसीपी पर भी निशाना साधा है।
सफाई में उन्होंने लिखा है -मेरी व्याकुलता मंत्री बनने में नहीं बल्कि पार्टी को बचाने में थी, जिसके खिलाफ भाजपा खंड यंत्र रच रही थी। मंत्री बनना जिनके जीवन की अंतिम इच्छा थी, उनको आप लोगों ने अपने साथ मिलाकर जदयू को खत्म करने का षड्यंत्र किया क्या यह सत्य नहीं है? ललन सिंह ने एक बार फिर आरसीपी सिंह पर भाजपा के साथ मिलकर जदयू के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री बनने के लिए आरसीपी ने पार्टी में रहते हुए भाजपा के साथ मिलकर जदयू को कमजोर किया। उन्होंने सुशील मोदी से पूछा कि एक बार वे भागलपुर से सांसद बने थे, तो बताएं कि वे किसकी कृपा से जीते थे? जदयू से गठबंधन से पहले भाजपा कितनी सीटों पर जीतती थी और गठबंधन के बाद कितनी?
2024 में पता चल जाएगा। आंसू बहाने के लायक भी नहीं रहिएगा। ललन ने कहा कि 2004 और 2019 के चुनाव में भाजपा कार्यकर्ता क्या कर रहे थे? वो सबको पता है। इसके बावजूद जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि 2005 में जब सरकार बनी तब सुशील मोदी को उप मुख्यमंत्री बनने की व्याकुलता थी।