बिहार में कोसी नदी मचाने लगी है तबाही, अररिया के शहरी इलाकों सहित कई जगहों पर घुसा बाढ़ का पानी, अपना घर खुद तोड़ने में लगे लोग
By एस पी सिन्हा | Published: July 1, 2022 09:32 PM2022-07-01T21:32:02+5:302022-07-01T21:32:02+5:30
दक्षिण-पश्चिम मानसून के और सक्रिय होने से कोसी नदी में पानी का स्तर बढ़ने लगा है. इससे इलाके में लोग सहम गए हैं. बाढ़ का पानी शहरों में घुसने से स्थिति के और बिगड़ने की आशंका गहराने लगी है.
पटना: बिहार के सीमावर्ती इलाकों में लगातार मानसूनी बारिश होने से हालात बिगड़ने लगे हैं. ऐसे में नेपाल की सीमा से लगती नदियां उफान पर हैं. वहीं, 'बिहार का शोक' कही जाने वाली कोसी नदी अब कहर बरपाने लगी है. कोसी नदी के उफान मारने की वजह से अररिया के शहरी इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है.
दक्षिण-पश्चिम मानसून के शुरुआती दौर में कोसी नदी के उफनाने से इलाके में लोग सहम गए हैं. बाढ़ का पानी शहरों में घुसने से स्थिति के और बिगड़ने की आशंका और गहराने लगी है.
बता दें कि बिहार में मानसून की बारिश फिलहाल अपने शुरुआती चरण में है. इस वर्ष भी समय से पूर्व कोसी नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. आलम यह है कि दर्जनों घर, स्वास्थ्य केंद्र, नल जल योजना की टंकी कोसी नदी में समा चुकी है. कई गांव के लोग अब खुद से अपना घर तोड़कर एक-एक ईंट बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.
बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रभाव मोतिहारी और शिवहर पर पड़ा है. पूर्वी चंपारण जिले के पताही प्रखंड क्षेत्र के देवापुर पंचायत से हो कर गुजरने वाली बागमती नदी और लालबकेया नदी में पानी बढ़ गया है. जिसके कारण पूर्वी चंपारण जिले को शिवहर जिले से जोड़ने वाली मुख्य सडक पर 3 से 5 फिट पानी बहने लगा है.
इसके कारण दोनों जिलों का संपर्क एक दूसरे से कट गया है. लोगों की मानें तो लगातार कटाव हो रहा है. जमीन और घर का हिस्सा कोसी में समा रहे हैं और जो बचे हैं उसे तोड़ कर कम से कम ईंट को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. बाढ़ कटाव के बाद यह सभी पटरी के किनारे शरण लेते हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें हटा दिया जाता है.