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बिहार सरकारी स्कूलः शिक्षक नियुक्ति में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा, नहीं मिल रहा 69,000 शिक्षक के सर्टिफिकेट

By एस पी सिन्हा | Updated: December 18, 2025 18:31 IST

Bihar government schools: प्रमाणपत्रों में शैक्षणिक योग्यता, पेशेवर प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (जैसे बीएड, बीटीसी), जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, और आधार से जुड़े दस्तावेज शामिल हैं।

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ठळक मुद्देप्रमाणपत्रों का बोर्ड, विश्वविद्यालय और जिले स्तर पर क्रॉस-वेरिफिकेशन किया जा रहा है। 18,393 शिक्षकों के बीएड, बीटीसी, बीए, दिव्यांग और जाति श्रेणी से जुड़े प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है।बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के 2,000 प्रमाणपत्रों को भी संदिग्ध माना गया है।

पटनाः बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। राज्य सरकार ने 72,287 शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की विजिलेंस जांच का आदेश दिया है, लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि इनमें से करीब 69,000 शिक्षक के सर्टिफिकेट कहीं भी नहीं मिल पा रहा है। इसकी जांच विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (वीआईबी) द्वारा की जा रही है और 90 प्रतिशत से अधिक प्रमाणपत्र गायब होने के बाद जिलों के शिक्षा अधिकारियों को तलब किया गया है। शिक्षा विभाग के अनुसार यह वेरिफिकेशन 2006 से 2015 के बीच रेगुलर शिक्षक के तौर पर नियुक्त किए गए शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की हो रही है। इन प्रमाणपत्रों में शैक्षणिक योग्यता, पेशेवर प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (जैसे बीएड, बीटीसी), जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, और आधार से जुड़े दस्तावेज शामिल हैं।

इन प्रमाणपत्रों का बोर्ड, विश्वविद्यालय और जिले स्तर पर क्रॉस-वेरिफिकेशन किया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 53,894 प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए हैं। इसके अलावा 18,393 शिक्षकों के बीएड, बीटीसी, बीए, दिव्यांग और जाति श्रेणी से जुड़े प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है।

बिहार के प्रमुख विश्वविद्यालयों जैसे तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय बोधगया, पटना विश्वविद्यालय आदि के करीब 10,000 से अधिक प्रमाणपत्रों की जांच चल रही है। इसके अलावा कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय और बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के 2,000 प्रमाणपत्रों को भी संदिग्ध माना गया है।

शिक्षा विभाग ने यह स्वीकार किया है कि अब तक 7 बार विभागीय स्तर पर प्रमाणपत्रों की जांच की गई थी, लेकिन किसी भी मामले में प्रमाणिकता साबित नहीं हो पाई। प्रशासनिक खामियों की वजह से उस समय कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी। अब, विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की जा रही जांच में 420 आपराधिक मामलों के दर्ज होने की संभावना जताई जा रही है।

राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाएंगे, उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाएगा और उनकी पूर्ण सैलरी ब्याज सहित वसूल की जाएगी। इसके साथ ही आपराधिक केस भी दर्ज किया जाएगा।

बिहार में लगभग 5.80 लाख शिक्षक 81 हजार स्कूलों में कार्यरत हैं। इनमें से 3.68 लाख टीचरों की नियुक्ति 2006 से 2016 के बीच की गई थी। इनमें से करीब 2.5 लाख शिक्षकों ने योग्यता आधारित परीक्षा पास की थी और राज्य कर्मचारी बन गए थे। बाकी शिक्षकों का टेस्ट अभी चल रहा है।

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