बिहार: पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री का परिवार दाने-दाने को मोहताज, तेजस्वी यादव ने 1 लाख रुपये देने का किया ऐलान

By एस पी सिन्हा | Published: June 5, 2020 05:14 PM2020-06-05T17:14:44+5:302020-06-05T17:27:17+5:30

कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री के परिजन को दाने-दाने का मोहताज होना पड़ा.

Bihar: Former Chief Minister Bhola Paswan Shastri, who presented the example of honesty, loved the family, Tejashwi Yadav helped | बिहार: पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री का परिवार दाने-दाने को मोहताज, तेजस्वी यादव ने 1 लाख रुपये देने का किया ऐलान

तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

Highlightsतेजस्वी यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान के भतीजे को एक लाख रूपये की सहायता देने की घोषणा की है.तेजस्वी यादव ने कहा कि लालूजी की इच्छा थी कि उनके परिजनों को मदद की जाए.

पटना: आज की राजनीति जहां सुख-संपदा का माध्यम बन गया है, वहीं बिहार की राजनीति में ऐसे भी लोग रहे हैं जिन्होंने अपनी जीवन को उसूलों के सहारे पार कर दिया. ऐसे ही एक शख्सियत रहे पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री, जिनके निधन के बाद उनके परिजन आज दाने-दाने को मोहताज हो जा रहे हैं.

शायद भोला पासवान की ईमानदारी ही वह कारण रहा जिसकी वजह से कोरोना संकट और इससे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री के परिजन को दाने-दाने का मोहताज होना पड़ा. लेकिन, जब इसकी खबर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को लगी तो उन्होंने उनकी सुध ली और उनके भतीजे को एक लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि लालूजी की इच्छा थी कि उनके परिजनों को मदद की जाए. उन्होंने कहा कि किसी भी देश और राज्य के लिए इससे बड़ी विडंबना क्या होगी जब किसी सूबे के मुखिया रहे शख्स के परिजन इस वैश्विक महामारी कोरोना के चलते किए गए लॉकडाउन में दाने-दाने को मोहताज हो जाएं. बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री का निधन तीन दशक पहले ही हो गया था. जबकि उनकी अपनी कोई संतान नहीं थे. लेकिन, उनके भतीजे बिरंचि पासवान को ही वह अपना बेटा मानते थे. 

यहां बता दें कि भोला पासवान शास्त्री बिहार के पहले दलित मुख्यमंत्री थे, जो कि 60 के दशक में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. जबकि 1968 में उन्होंने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद का शपथ लिया था. जिसके बाद दोबारा 1969 में और तीसरी बार 1971 में वे फिर मुख्यमंत्री बने थे. भोला पासवान शास्त्री केंद्रीय मंत्री राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं 4 बार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुने गए थे. जबकि इनकी पहचान इनकी सादगी कर्मठता और इनकी ईमानदारी है. 

भोला पासवान के मृत्यु के बाद परिवार ने चंदा कर किया अंतिम संस्कार-

जब बिहार के पूर्व सीएम भोला पासवान की मृत्यु हुई थी, तब उनके परिवार को इनके अंतिम संस्कार के लिए भी चंदा इकट्ठा करना पड़ा था. जिसके बाद वक्त गुजर गए, लेकिन इनके परिवार की स्थिति अभी तक यही है. जो कि सरकार की मदद की टकटकी लगाए, उनके परिजनों की चेहरे पर झुर्रियां आ गई, लेकिन इन्हें मदद नहीं मिली. इनकी जिंदगी अभी भी वैसे ही कट रही है.

पूर्णियां से लगभग 15 किलोमीटर दूर कृत्यानन्द नगर प्रखंड स्थित बैरगाछी में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भोला पासवान शास्त्री का गांव जहां उनके परिजन रहते हैं. कहने को तो स्व. शास्त्री बिहार के तीन तीन बार मुख्यमंत्री बने. वहीँ शिक्षा मंत्री का भी कार्य इन्होंने किया और अपनी जिम्मेदारियों को बिलकुल ईमानदारी के साथ निभाया भी, किंतु कभी भी अपने स्वार्थ की सिद्धि नहीं की. ये भी इत्तफाक ही रहा कि उनके परिजन आज भी खेती और मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं. 

अन्य दिनों तो सबकुछ ठीकठाक ही था, लेकिन विगत मार्च माह से कोरोना संक्रमण के चलते किए गए लॉकडाउन में सभी के कामकाज ठप पड गए. हालांकि राहत के नाम पर एक बार मुफ्त राशन तो मिला, लेकिन उसके बाद किसी ने भी उन सब की कोई सुधि नहीं ली. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक लाख रूपये मदद की पेशकश की है. तेजस्वी ने कहा कि जिस परिवार का मुखिया तीन-तीन बार बिहार का मुख्यमंत्री रहा हो उस परिवार के लोग बेरोजगार होकर दाने-दाने को मोहताज हो जाएं, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा? जब इस परिवार का हाल ऐसा है तो दूसरे लोगों का क्या हाल होगा?

भोला पासवान के परिजन भूखे रहने को विवश, परिवार में 25 सदस्य और एक राशन कार्ड 

जानकारों का कहना है कि आज जहां एक ओर साधारण से राजनैतिक कार्यकर्ता को मौक़ा मिला नहीं कि खुद के लिए लग्जरी गाड़ियां और महलें बनाने लगते हैं, वहीं, ईमानदारी और जनसेवा का इससे बडा प्रमाण क्या होगा कि खुद तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री के परिजन भूखे रहने को विवश हैं. सरकार की जवावदेही यहीं खत्म नहीं हो जाती कि उनके नाम पर राजकीय उत्सव मनाकर इतिश्री कर लें, बल्कि ऐसे धरोहर के वंशज को सहेजने और संरक्षित रखने की भी जरुरत है ताकि अन्य लोग इनसे प्रेरणा लें और इनके जैसा बनने की कोशिश कर सकें. 

यहां बता दें कि मजदूरी करके कमाने खाने वाले इस परिवार के 25 सदस्य हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ एक व्यक्ति के पास ही राशन कार्ड है. जिसका असर यह है कि बिरंचि के तीन बेटे समेत परिवार की बहू एवं बच्चों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. इनकी हालत इतनी खराब है कि बच्चों को दूध तो छोड़, चावल तक की किल्लत झेलनी पड़ रही है.


 

Web Title: Bihar: Former Chief Minister Bhola Paswan Shastri, who presented the example of honesty, loved the family, Tejashwi Yadav helped

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