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बिहार: सीवान के चर्चित तेजाब कांड के बाद शहाबुद्दीन को अपने दम पर तिहाड़ जेल पहुंचाने वाले चंदा बाबू का निधन

By विनीत कुमार | Updated: December 17, 2020 10:34 IST

चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के तीन बेटों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इनमें दो बेटों की हत्या तेजाब डालकर 2004 में की गई थी। इसके बाद चंदा बाबू ने अकेले दम पर शहाबुद्दीन के खिलाफ मोर्चा खोला था।

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ठळक मुद्देचंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के तीनों बेटों की बदमाशों ने कर दी थी हत्या2004 में दो बेटों की हत्या के बाद शहाबुद्दीन के खिलाफ कानूनी लड़ाई की शुरुआत, 2014 में तीसरे बेटे की हत्याचंदा बाबू की पत्नी का कुछ महीने पहले निधन हो गया था, इसके बाद वे अकेले रह गए थे

बिहार के बहुचर्चित तेजाब कांड के बाद अकेले दम पर बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू का निधन हो गया है। बुधवार की रात अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस बीच चंदा बाबू के निधन की खबर के बाद उनके घर सात्वना देने वालों का ताता लगा है। बताया जा रहा है कि चंदा बाबू पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। हाल में डॉक्टरों की सलाह पर वे बाहर से इलाज कराकर भी लौटे थे लेकिन बुधवार को हृदय गति अचानक रूक जाने से उनका निधन हो गया।

बिहार का चर्चित तेजाब हत्याकांड

शहाबुद्दीन जैसे बाहुबली से डटकर कानूनी मुकाबला करने की वजह से चंदा बाबू चर्चित रहे। शहाबुद्दीन से उनकी कानूनी लड़ाई 2004 के बहुचर्चित तेजाब कांड से शुरू हुई। दरअसल, चंदा बाबू सीवान में दुकानदार के तौर पर काम करते थे।

बात 16 अगस्त, 2004 की है जब कुछ बदमाश उनके दुकान पर रंगदारी मांगने पहुंचे। उस समय चंदा बाबू के बेटे दुकान पर थे। रंगदारी की मांग को लेकर बेटों की बदमाशों से बहस हो गई। बदमाशों ने चंदा बाबू के दो बेटों पर तेजाब डाला और उन्हें मार डाला। हालांकि तीसरा भाई बच गया।

इसके बाद चंदा बाबू ने शहाबुद्दीन के खिलाफ कानूनी लड़ाई की शुरुआत की। ये आसान नहीं था लेकिन चंदा बाबू कभी पीछे नहीं रहे। उस समय बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का काफी दबदबा था। साल 2005 में नीतीश कुमार की सरकार आने के बाद शहाबुद्दीन पर कानूनी कार्रवाई तेजी से बढ़ी।

चंदा बाबू के तीसरे बेटे की भी हत्या

शहाबुद्दीन के खिलाफ चंदा बाबू की लड़ाई लंबे समय तक चली लेकिन दुर्भाग्य ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। साल 2014 में 16 जून को चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव की भी गोली मारकर कुछ बदमाशों ने हत्या कर दी। राजीव उस तेजाब कांड का एकमात्र गवाह था।

बहरहाल, शहाबुद्दीन पर कार्रवाई हुई और वो अभी इसी मामलें में दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं। बता दें कि कुछ महीने पहले ही चंदा बाबू की पत्नी का निधन हो गया था जिसके बाद वे अकेले रह गए थे।

टॅग्स :बिहार समाचारनीतीश कुमार
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