बिहार विधानसभा चुनाव 2025ः सीएम फेस और सीट शेयरिंग पर घमासान, को-ऑर्डिनेशन कमेटी में 13 सदस्य, कहां फंस रहा पेंच
By एस पी सिन्हा | Updated: April 26, 2025 18:13 IST2025-04-26T18:12:22+5:302025-04-26T18:13:10+5:30
Bihar Assembly Elections 2025: एनडीए ने तीन महीने पहले से ही साझा चुनावी अभियान शुरू कर रखा है। लेकिन महागठबंधन की चुनावी तैयारी की अभी भूमिका ही बन रही है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में महा घमासान होने के आसार नजर आ रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस अब तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानने को तैयार नहीं है। वहीं, राजद के प्रवक्ता कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को ऐरू-गैरू बता रहे हैं। इस बीच महागठबंधन में शामिल पार्टियों की को-ऑर्डिनेशन कमेटी में कांग्रेस ने एक बार फिर अपना जोर दिया दिखा दिया है। बता दें कि बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच तालमेल बनाने की शुरुआत 10 दिन पहले हुई थी जब 15 अप्रैल को तेजस्वी यादव ने दिल्ली जाकर राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
उसी बैठक में राहुल गांधी ने कहा था कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों की को-ऑर्डिनेशन कमेटी बननी चाहिए, जो चुनावी अभियान से लेकर बाकी सारी चीजें तय करे। लेकिन को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने में ही कई तरह के खेल हो रहे हैं। महागठबंधन की पहली साझा बैठक 17 अप्रैल को राजद कार्यालय में हुई थी, जिसमें को-ऑर्डिनेशन कमेटी यानि समन्वय समिति के गठन का फैसला हुआ था।
यह तय किया गया था कि इस कमेटी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव होंगे। 17 अप्रैल को यह भी तय हुआ था कि इस कमेटी में तेजस्वी यादव के अलावा महागठबंधन के 6 घटक दलों से दो-दो सदस्य शामिल होंगे, अर्थात तेजस्वी को लेकर इस कमेटी में कुल 13 सदस्य होंगे। वहीं, दूसरी बैठक में बदल गया कमेटी का स्वरूप 24 अप्रैल को महागठबंधन के घटक दलों की दूसरी संयुक्त बैठक कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में हुई। इस बैठक में फिर से को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने पर चर्चा हुई। सूत्रों की मानें तो बैठक में कांग्रेस ने कहा कि उसे इस कमेटी में ज्यादा जगह चाहिये।
कांग्रेस की इस मांग के बाद को-ऑर्डिनेशन कमेटी का पूरा स्वरूप ही बदल गया। कांग्रेस की मांग के बाद को-ऑर्डिनेशन कमेटी में शामिल होने वाले सदस्यों की संख्या को बढ़ा दिया गया है। 24 अप्रैल को हुई दूसरी बैठक में कमेटी में सदस्यों की संख्या 21 करने का फैसला लिया गया। इस कमेटी में राजद के पांच सदस्य होंगे।
वहीं, कांग्रेस के चार नेता कमेटी में शामिल होंगे। महागठबंधन के बाकी दलों से से तीन-तीन सदस्य होंगे। उल्लेखनीय है कि विधानसभा में राजद के 77 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के सिर्फ 19 विधायक हैं। इसतरह राजद के पास कांग्रेस की तुलना में चार गुणा से भी ज्यादा विधायक हैं। लेकिन को-ओर्डिनेशन कमेटी में कांग्रेस राजद के लगभग बराबरी में खड़ा है।
जाहिर है कांग्रेस के दबाव के सामने तेजस्वी को समझौता करना पड़ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि 21 सदस्यों वाली जंबो जेट को-ऑर्डिनेशन कमेटी काम क्या करेगी? महागठबंधन को चुनाव मैदान में जाने से पहले की तीन महत्वपूर्ण मामलों पर आखिरी फैसले के लिए सर्वसम्मति आवश्यक होगी। सबसे पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाना और फिर संयुक्त चुनावी घोषणा-पत्र तैयार करना।
इन दोनों काम में किसी बड़े मतभेद की संभावना नहीं है। लेकिन असल सवाल सीट बंटवारे का है। जानकारों के अनुसार 21 सस्यीय कमेटी सीट बंटवारा कैसे करेगी? देश के किसी गठबंधन में ऐसी जंबोजेट कमेटी ने सीट शेयरिंग नहीं किया है। इसके लिए पार्टियों के प्रमुख नेताओं को ही आपसी बातचीत करनी होगी।
तेजस्वी यादव वामपंथी पार्टियों से तो मामला सुलझा लेंगे। हालांकि मुकेश सहनी के लिए सीट छोड़ना मुश्किल होगा। लेकिन असल मामला कांग्रेस का है। उधर, कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह पिछले चुनाव की तरह 70 सीटों से कम पर किसी सूरत में नहीं मानेगी। कांग्रेस ये भी कह रही है कि उसे अपनी पसंद की सीट चाहिये। वैसी सीट नहीं चलेगी, जिसे राजद अपने लिए बेहतर नहीं मानकर छोड़ दे।
यह ऐसी शर्ते हैं जो राजद को पसंद नहीं आ रही है। ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है कांग्रेस और राजद के बीच सीट शेयरिंग में पेंच फंस सकता है। इस बीच एनडीए ने तीन महीने पहले से ही साझा चुनावी अभियान शुरू कर रखा है। लेकिन महागठबंधन की चुनावी तैयारी की अभी भूमिका ही बन रही है। लेकिन इसमें भी राजद-कांग्रेस के बीच वर्चस्व की लड़ाई लगातार सवाल खड़े कर रखे हैं।