बिहार विधानसभा चुनावः डेढ़ दर्जन छोटी पार्टियां, औंधे मुंह गिरी, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और पुष्पम प्रिया चौधरी का बुरा हाल
By एस पी सिन्हा | Published: November 10, 2020 08:09 PM2020-11-10T20:09:39+5:302020-11-10T20:11:01+5:30
चुनाव में छोटी पार्टियों को 10 से ज्यादा सीट मिलती नही दिख रही हैं. इस चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी की द प्लूरल्स पार्टी सबसे नई पार्टी है. पुष्पम प्रिया चौधरी ने तो बकायदा खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार बताया था और वो दो सीटों से चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उनकी पार्टी को जमानत भी बचा पाना मुश्किल हो गया.
पटनाः बिहार विधानसभा के चुनाव सभी छोटी पार्टियों ने जीत का दावा किया था. लेकिन चुनाव परिणाम को देखकर ऐसा लगता है कि अधिकतर छोटी पार्टियां इस चुनाव में औंधे मुंह गिरी हैं.
इस बार के चुनाव में छोटी पार्टियों को 10 से ज्यादा सीट मिलती नही दिख रही हैं. इस चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी की द प्लूरल्स पार्टी सबसे नई पार्टी है. पुष्पम प्रिया चौधरी ने तो बकायदा खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार बताया था और वो दो सीटों से चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उनकी पार्टी को जमानत भी बचा पाना मुश्किल हो गया.
इसके अलावा कई और पार्टियां हैं, जिनमें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी इस चुनाव में 134 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. इनके अलावा सुश्री मायावती की पार्टी बसपा 80 सीटों पर, समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक 25, सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन 20, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 5 और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. ये सभी पार्टियां ग्रांड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट के बैनतर तले चुनाव लड रही थी.
इन पार्टियों के अलावा पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक), आजाद समाज पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, लोकतांत्रिक जनता दल समेत कई छोटी पार्टियां शामिल हैं. हालाकि सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन सीमांच में अपना दमखम दिखाती नजर आ रही है. इसके अलावा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी इस चुनाव में 134 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, पार्टी के अध्यक्ष ने तो खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार बताया है. लेकिन इस चुनाव परिणाम में सबकी स्थिती बुरी दिखाई दे रही है.