Bihar Elections 2020: कांग्रेस का बड़ा दांव, शरद यादव की बेटी सुभाषिनी और शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव लड़ेंगे चुनाव
By एस पी सिन्हा | Published: October 14, 2020 06:01 PM2020-10-14T18:01:32+5:302020-10-14T18:01:32+5:30
बिहार विधानसभा चुनावः लव सिन्हा के टिकट पर मुहर लग चुकी है. उन्हें पटना के बांकीपुर सीट से उतारने का फैसला हो चुका है. आज दिग्गज राजनेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुनावी मैदान में उतर चुकी है.
पटनाः कांग्रेस दो बडे़ नेताओं की अगली पीढ़ी को बिहार के सियायी समर में उतारने जा रही है. शरद यादव की बेटी सुभाषिनी और शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा कांग्रेस के उम्मीवार घोषित हो सकते हैं.
चर्चा है कि लव सिन्हा के टिकट पर मुहर लग चुकी है. उन्हें पटना के बांकीपुर सीट से उतारने का फैसला हो चुका है. आज दिग्गज राजनेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुनावी मैदान में उतर चुकी है. सुभाषिनी बिहार के मधेपुरा जिले की बिहारीगंज सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं.
वहीं, बॉलीवुड अभिनेता और पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा ने भी राजनीति में इंट्री कर ली है. दोनों वरिष्ठ नेताओं का नाम तो बड़ा है, लेकिन उनकी बच्चों की अपनी कोई पहचान नहीं है. सूत्रों के मुताबिक अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए पिछले दिनों में शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस आलाकमान से सीधी बात की थी. इसके बाद लव सिन्हा का नाम टिकट चयन समिति की विशेष बैठक में जोड़ा गया.
शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य भी हैं
शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य भी हैं. कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद दोनों के नामों के साथ सभी कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा हो जाएगी. बता दें कि बांकीपुर सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां से भाजपा की ओर से तीन बार के विधायक नितिन नवीन हैं, जबकि अपने आपको मुख्यमंत्री का भावी उम्मीदवार बताने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ताल ठोकेंगी.
सूत्रों के अनुसार भाजपा नेत्री और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रह चुकी सुषमा साहू भी बांकीपुर से बिहार विधानसभा चुनाव लडने का मन बना चुकी हैं. भाजपा के इस गढ में सेंध लगाने के लिए कई ऐसे चर्चित चेहरे हैं जो ताल ठोंक रहे हैं.
इससे पहले बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह की सीट से उनके बेटे को टिकट मिल चुका है, जहां पहले चरण में मतदान होना है. टिकटों के ऐलान के बाद राहुल गांधी की रैलियां शुरू होंगी. राहुल गांधी की पहली रैली 23 अक्टूबर को होगी. बिहार में कांग्रेस, राजद और वामदलों के साथ गठबंधन में 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
सुभाषिनी यादव के पिता शरद यादव मधेपुरा से सांसद रह चुके
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सुभाषिनी यादव के पिता शरद यादव मधेपुरा से सांसद रह चुके हैं. शरद यादव की तबीयत पिछले दिनों खराब थी. वह हाल ही में एम्स से डिस्चार्ज होकर घर लौटे हैं. शरद जब एम्स में भर्ती थे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार फोन कर उनका हालचाल लिया. तब सुभाषिनी राज राव ने सार्वजनिक रूप से उनके प्रति आभार प्रकट किया था.
इसके बाद अटकलें लगने लगी थीं कि शरद जनता दल यूनाइटेड में लौट सकते हैं. दरअसल, शरद और नीतीश लम्बे समय तक साथ काम कर चुके हैं, लेकिन कई मुद्दों को लेकर दोनों के बीच मतभेद बढते चले गए और उनकी राहें जुदा हो गई. तीन साल पहले अगस्त 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में शरद यादव को जदयू से निकाल दिया गया था. इसी के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे और इसी के बैनर तले मधेपुरा से चुनाव भी लडे़, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
बेटी सुभाषिनी राज राव कांग्रेस में शामिल
बता दें कि शरद की इच्छा मधेपुरा से अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाने की इच्छा वर्षों से थी. इस इच्छा को लेकर आज उनकी बेटी सुभाषिनी राज राव कांग्रेस में शामिल हुई हैं. कांग्रेस उन्हें मधेपुरा की बिहारीगंज सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है.
शरद यादव 1991 और 1996 में मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद बने थे. मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले शरद 1974 में पहली बार जबलपुर से सांसद बने थे. 1977 में वह दोबारा इसी सीट से सांसद चुने गए. 1986 में शरद राज्यसभा सांसद बने. इसके बाद वह बदाऊं संसदीय सीट से चुनाव लडे़ और जीते. 1989 में वी. पी. सिंह की सरकार में शरद यादव को भारत सरकार में टेक्सटाइल और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाया गया था. 1991 और 1996 में वह मधेपुरा से सांसद चुने गए.
1997 में वह जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए. शरद यादव ने जनता दल से राह अलग कर 1998 में समता पार्टी का गठन किया. 1999 में एनडीए सरकार में वह नागरिक उड्डयन विभाग के मंत्री बने. 2001 में केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. शरद यादव को 2004 में राज्यसभा से दूसरी बार सांसद बनाया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में वह मधेपुरा से चुनाव जीते. महागठबंधन से अलग होकर जदयू के एनडीए में शामिल होने के बाद वह जदयू से बाहर आए और लोकतांत्रिक जनता दल बना ली.