Bihar Elections 2020: सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी, सियासी घमासान, मुसीबत में राजद-कांग्रेस! जानिए गणित
By एस पी सिन्हा | Published: November 6, 2020 04:43 PM2020-11-06T16:43:28+5:302020-11-06T16:52:56+5:30
सीमांचल में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी के बीच मुस्लिम वोट बैंक के लिए सियासी घमासान मचना तय है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ओवैसी फैक्टर परिणाम को कितना प्रभावित करेगा? जानकारों की अगर मानें तो सीमांचल की राजनीति में ओवैसी फैक्टर को नजरंदाज करना महागठबंधन के लिए आसान नहीं है.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में शनिवार 7 नवंबर को 78 सीटों पर मतदान होना है. तीसरे चरण में 1,208 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इस चरण में मुस्लिम बहुल सीमांचल से लेकर यादव बहुल कोसी, ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल की सीटों पर मतदान होगा.
सीमांचल में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी के बीच मुस्लिम वोट बैंक के लिए सियासी घमासान मचना तय है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ओवैसी फैक्टर परिणाम को कितना प्रभावित करेगा? जानकारों की अगर मानें तो सीमांचल की राजनीति में ओवैसी फैक्टर को नजरंदाज करना महागठबंधन के लिए आसान नहीं है.
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी वो चेहरा हैं, जिनसे पार पाना महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. जानकारों के मुताबिक बिहार के मदरसों में आधुनिकीकरण और दूसरे सकारात्मक बदलाव के दम पर जदयू को मुस्लिम वोटबैंक के साथ होने का अंदाजा है. जबकि, भाजपा तीन तलाक के मुद्दे को मददगार फैक्टर मान रही है.
उम्मीद है कि भाजपा के समर्थन में सीमांचल की मुस्लिम महिलाएं वोट कर सकती हैं. यहां बता दें कि सीमांचल के चार जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका गेमचेंजर की है. इन चार जिलों में किशनगंज में करीब 70 फीसदी, अररिया में 42 फीसदी, कटिहार में 43 फीसदी और पूर्णिया में 38 फीसदी मुस्लिम वोटबैंक हैं.
सीमांचल की 14 सीटों पर एआईएमआईएम के प्रत्याशी हैं. महागठबंधन में शामिल राजद 11, कांग्रेस 11, भाकपा-माले 1 और माकपा 1 सीट पर चुनाव लड रही है. वहीं एनडीए की बात करें तो भाजपा ने 12, जदयू ने 11 और हम पार्टी ने एक सीट पर चुनाव में प्रत्याशी दिए हैं.
सीमांचल में अल्पसंख्यक राजनीति में बिखराव आया
सीमांचल की राजनीति में तस्लीमुद्दीन को गांधी कहा जाता था. उनकी सीमांचल की सियासत पर गहरी पकड़ थी. लेकिन उनके गुजरने के बाद सीमांचल में अल्पसंख्यक राजनीति में बिखराव आया. इसी बिखराव का फायदा उठाकर ओवैसी ने दिवंगत तस्लीमुद्दीन के पुत्र शाहनवाज आलम को जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है. राजद ने उनके भाई सरफराज आलम को टिकट दिया है. अब, मुस्लिम वोटबैंक के दो बडे़ दावेदार उलझ गए हैं. जानकारों के मुताबिक एआईएमआईएम के चलने का फायदा भाजपा को मिलेगा.
इसबीच, बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 नवंबर को सीमांचल में होने वाले मतदान से पहले केन्द्रीय मंत्री व भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने जनसंख्या नियंत्रण का एक बार फिर मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा है कि बिहार में शांति रहे इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है. केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आज अपने एक ट्वीट में कहा कि आपको मेरे चेहरे से नफरत हो सकती है, लेकिन आपको अपने परिवार, समाज, बिहार और हिंदुस्तान से नफरत नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा कि बिहार को संभालने और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए जनसंख्या विस्फोट को रोकना होगा. गिरिराज सिंह ने आगे लोगों से एनडीए एनडीए को वोट करने की अपील की. यहां बता दें कि बिहार के चुनाव में फिर से नागरिकता कानून से लेकर लव जिहाद और जनसंख्या नियंत्रण मुद्दा गरमाने लगा है.
कुछ दिन पहले ही सहरसा में गिरिराज सिंह ने बिहार में लव जिहाद के लिए कानून बनाने की बात की थी. गिरिराज सिंह ने कहा था कि बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो लव जिहाद के खिलाफ कानून बनेगा. वहीं उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान और चीन के मुद्दे पर गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी से लेकर तमाम विपक्षी पार्टियों पर खूब हमला भी किया था.