बिहार सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए, इससे गलत संदेश जा रहा, आनंद मोहन की रिहाई पर कांग्रेस नेता ने कहा- सेंट्रल IAS एसोसिएशन की मांग सही

By अनिल शर्मा | Published: April 26, 2023 01:12 PM2023-04-26T13:12:05+5:302023-04-26T13:28:23+5:30

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा किए जाने के फैसले पर सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने नाराजगी जाहिर की है।

bihar Anand Mohan release decision should be withdrawn PL Punia Central IAS Association | बिहार सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए, इससे गलत संदेश जा रहा, आनंद मोहन की रिहाई पर कांग्रेस नेता ने कहा- सेंट्रल IAS एसोसिएशन की मांग सही

तस्वीरः ANI

Highlightsपूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि फैसले को वापस लेना चाहिए।कांग्रेस नेता ने कहा कि बिहार सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।पुनिया ने कहा- कानून नियमों में संशोधन किया जाता है ताकि वे जल्दी रिहा हो जाए, इससे देश में गलत संदेश जा रहा है।

लखनऊः कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के बिहार सरकार के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि गोपालगंज के जिलाधिकारी की हत्या करने वाले आनंद मोहन को सजा से पहले छोड़ने के लिए कानून नियमों में संशोधन किया जाता है ताकि वे जल्दी रिहा हो जाए, इससे देश में गलत संदेश जा रहा है।

कांग्रेस नेता ने सेंट्रल IAS एसोसिएशन की उस टिप्पणी को भी संदर्भित किया जिसमें उसने बिहार सरकार के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए इसपर पुनर्विचार करने को कहा है। पुनिया ने कहा कि फैसले को वापस लेना चाहिए वह सही मांग है और बिहार सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा किए जाने के फैसले पर सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने नाराजगी जाहिर की है। एसोसिएशन ने अपने बयान में बिहार सरकार की निंदा करते हुए कहा कि ये फैसला सही नहीं है। यह बहुत ही निराश करने वाला है। उन्होंने (आनंद मोहन) जी. कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी।

एसोसिएशन ने बिहार सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे जल्दी से जल्दी फैसला वापस लेने का आग्रह किया है। उसने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो ये न्याय से वंचित करने के समान है। बयान में आगे कहा कि ऐसे फैसलों से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है, लोक व्यवस्था कमजोर हो जाता है और न्याय के प्रशासन का मजाक बनता है।

उल्लेखनीय है कि विधि विभाग की अधिसूचना, नियमों में एक हालिया संशोधन के बाद जारी की गई है, जिसमें सरकारी कर्मचारी/अधिकारी की हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराये गये लोगों को 14 साल कैद की सजा पूरी करने के बाद भी रिहा नहीं किया जा सकता था। आनंद मोहन के अलावा, जिन अन्य लोगों की रिहाई का आदेश दिया गया है उनमें राजद के पूर्व विधायक राज वल्लभ यादव, जद(यू) के पूर्व विधायक अवधेश मंडल शामिल हैं।

 तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया दलित समुदाय से थे। वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे और 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे तभी भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी। हत्या की घटना के वक्त आनंद मोहन मौके पर मौजूद थे, जहां वह दुर्दांत गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा में शामिल हो रहे थे। शुक्ला की मुजफ्फरपुर शहर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। शुक्ला भूमिहार जाति से था, जबकि उससे सहानुभूति रखने वाले आनंद मोहन राजपूत जाति से आते हैं।

Web Title: bihar Anand Mohan release decision should be withdrawn PL Punia Central IAS Association

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