बिहार: मांझी के बाद कांग्रेस ने भी तरेरी आंखे, कहा- महागठबंन लोकसभा के लिए बना था, न कि स्थाई
By एस पी सिन्हा | Published: August 13, 2019 09:08 PM2019-08-13T21:08:14+5:302019-08-13T21:10:50+5:30
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज की तारीख में हर पार्टी अपने अपने स्तर से अपनी-अपनी गतिविधियों को चला रही है. उन्होंने यह भी साफ किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन पर फैसला आलाकमान से बात करने के बाद ही लिया जाएगा.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. एक तरफ जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने महागठबंधन छोड़ने का निर्णय ले लिया है तो अब उसके बाद कांग्रेस ने भी महागठबंधन से अलग होने के संकेत दे दिए हैं. कांग्रेस पार्टी के विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने आज कहा कि महागठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना था और कोई भी गठबंधन स्थाई नहीं होता.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने एक बार फिर से राजद पर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली जबरदस्त हार के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने राजद पर आरोप लगाया कि सही समय पर टिकट का बंटवारा और उम्मीदवारों की घोषणा नहीं होने के कारण महागठबंधन की हार हुई है. जबकि एनडीए ने सही समय पर टिकट बंटवारे की घोषणा कर दी थी, जिसका फायदा उन्हें मिला.
वहीं, प्रेमचन्द मिश्रा ने कहा कि जरूरी नहीं कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही चलेगा. विधानसभा चुनाव में आवश्यकता पड़ी तो एक विचारधारा रखने वाली पार्टियां मिलकर एक बार फिर से नया आकार दे सकती हैं.
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज की तारीख में हर पार्टी अपने अपने स्तर से अपनी-अपनी गतिविधियों को चला रही है. उन्होंने यह भी साफ किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन पर फैसला आलाकमान से बात करने के बाद ही लिया जाएगा.
सदानंद सिंह ने कहा कि इतिहास रहा है राजद के साथ जब भी गठबंधन हुआ है न तो समय पर टिकट का बंटवारा हुआ और ना ही समय पर गठबंधन के उम्मीदवारों की घोषणा हुई है. उनका कहना है कि बिहार में कांग्रेस को भाजपा का विकल्प बनने के लिए अपने पैरों पर खड़ा होना ही होगा. दूसरे के बैसाखी पर कांग्रेस कब तक चलेगी? राजद पहले से ही कई तरह की परेशानियों से जूझ रही है. पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद जेल में है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार बिहार की राजनीति से गायब हैं. उन्होंने पार्टी की गतिविधियों से भी दूरी बना रखी है. ऐसे में सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेताओं का बयान लगातार आ रहा है.
उल्लेखनीय है कि महागठबंधन के दलों के बीच बयानबाजी लगातार लोकसभा चुनाव के बाद से हो रही है. लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में महागठबंधन के सभी घटक दलों को करारी हार का सामना करना पडा था. महागठबंधन में कांग्रेस-राजद समेत मांझी की पार्टी हम, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा, शरद यादव और मुकेश सहनी की पार्टी भी थी.
वहीं कांग्रेस नेताओं के इस बयान से पहले हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लडने का ऐलान कर दिया है. पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने इस बात का ऐलान करते हुए कहा था कि हमारी पार्टी को बचाने का सवाल है इसलिए ये फैसला लेना पड़ा है. उन्होंने कांशी राम की राह पर राजनीति करने की बात कहते हुए कहा कि महागठबंधन में किसी तरह का समन्वय नहीं बचा है. वहीं, राजद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जिसे रहना है रहें, जिसे जाना है जाएं.