राजस्थानः वागड़ में तो मुस्लिम विद्वान का संस्कृत प्रचार में विशेष योगदान था!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 22, 2019 03:02 AM2019-11-22T03:02:41+5:302019-11-22T03:02:41+5:30
बीएचयू में मुस्लिम संस्कृत टीचर का विरोध किया जा रहा है और इधर, राजस्थान में तो वागड़ के बांसवाड़ा शहर में आधी सदी पहले सातवे दशक में संस्कृत के प्रचार-प्रसार में मुस्लिम विद्वान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे एडवोकेट शाहबास खान पठान का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा था.
बीएचयू में संस्कृत टीचर डॉ. फिरोज खान के विरोध के बीच गुरुवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई ट्वीट किए और लिखा कि- मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति संस्कृत में स्कॉलर बना है. ऐसे में सबको इसका स्वागत करना चाहिए था, हिन्दू समाज के लिए गर्व की बात होनी चाहिए थी. बनारस तो गंगा-जमुनी संस्कृति का ध्वजवाहक माना गया है.
दिलचस्प तथ्य यह है कि उधर, बीएचयू में मुस्लिम संस्कृत टीचर का विरोध किया जा रहा है और इधर, राजस्थान में तो वागड़ के बांसवाड़ा शहर में आधी सदी पहले सातवे दशक में संस्कृत के प्रचार-प्रसार में मुस्लिम विद्वान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे एडवोकेट शाहबास खान पठान का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा था.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत हरिदेव जोशी के पिता विख्यात ज्योतिषाचार्य दिवंगत पन्नालाल जोशी के निर्देशन में प्रसिद्ध ज्योतिर्विद् दिवंगत लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, एडवोकेट शाहबास खान पठान आदि ने बांसवाड़ा में संस्कृत प्रचार मंडल के लिए लंबे समय तक संस्कृत प्रचार-प्रसार का कार्य किया था. यही नहीं, दक्षिण कालिका मंदिर परिसर में स्थित स्कूल में संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करने वाले ज्यादातर छात्र-छात्राएं भी मुस्लिम ही थे.
सीएम गहलोत का कहना है कि- मैं यूपी चीफ मिनिस्टर और डिप्टी सीएम के संपर्क में हूं बीएचयू में डॉ फिरोज खान द्वारा संस्कृत पढ़ाने को लेकर जो इश्यू बना हुआ है, वह जल्द ही समाप्त किया जाना चाहिए, यूपी चीफ मिनिस्टर और डिप्टी सीएम को इस पर इंटरवीन करना चाहिए.
हमारे देश में हिन्दू भी जाने-माने शायर हुए हैं, जब एक-दूसरे के धर्म में इस प्रकार से रूचि रखते हैं, एक्सपर्टाइज करते हैं तो ऐसे में तो दायरा व्यापक हो जाता है, हम सर्वधर्म समभाव की बात करते हैं, इससे हमारे समाज में सर्वधर्म का ताना-बाना मजबूत होता है और यह देशहित में है!