जी20 सम्मेलन में आए मेहमानों को दी गई 'भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी' किताब, जानें क्यों खास है ये पुस्तक
By अंजली चौहान | Published: September 13, 2023 09:49 AM2023-09-13T09:49:48+5:302023-09-13T09:57:33+5:30
G20 सम्मेलन में आए मेहमानों को भारत के इतिहास के बारे में बताने के लिए भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी किताब भेंट की गई।

फोटो क्रेडिट- ट्विटर
नई दिल्ली: जी20 शिखर सम्मेलन के 18 संस्करण की भारत ने मेजबानी की जो कि देश के लिए एक यादगार पल रहा। राजधानी दिल्ली में जी20 की बैठक के आखिरी चरण के बाद अब शिखर सम्मेलन समाप्त हो गया है।
सम्मेलन में आए विदेशी मेहमानों को केंद्र सरकार की ओर से एक खास पुस्तक की गई है जिसका नाम 'भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी' है।
गौरतलब है कि इस बुकलेट में भारतीय लोकतांत्रिक लोकाचार के सार को दर्शाया गया है। किताब में भारत का पिछले 8000 वर्षों का गौरवशाली इतिहास समाहित है। हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि इसमें मुगल और अंग्रेजी शासनकाल का जिक्र नहीं किया गया है।
क्या है किताब में?
जानकारी के अनुसार, ये किताब ऑनलाइ रूप में भी उपलब्ध है जिसमें भारतीय राजाओं के बारे में जिक्र किया गया है। अंग्रेजी और मुगल शासन काल को छोड़ कर पुस्तक में सभी भारतीय राजा और उनके कामों का उल्लेख है।
'भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी' में वेदों का जिक्र किया गया है। गौतम बुद्ध से लेकर चाणक्य के समय काल का विस्तार से जिक्र किया गया है।
This booklet was given to dignitaries of G20
— STAR Boy (@Starboy2079) September 12, 2023
Title is :
Bharat - The mother of democracy
It contains glorious history of Bharat of last 8000 years
No Mughals, No British
Only Real Bhartiya Kings
Just swipe to turn pages
An excellent piece of workhttps://t.co/Nq9XP7kGpjpic.twitter.com/AdH338abil
जानकारी के मुताबिक, उस किताब को मेहमानों के देने से पहले संस्कृति मंत्रालय द्वारा 8-10 सितंबर 2023 के दौरान जी20 शिखर सम्मेलन के लिए आईटीपीओ के हॉल नंबर 14 में 'भारत: लोकतंत्र की जननी' पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस क्यूरेटेड अनुभव ने हमारे देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को प्रदर्शित किया।
इस किताब में भारत के इतिहास से लेकर संविधान के बारे में और राजीव गांधी से लेकर कई प्रधानमंत्रियों के बारे में बताया गया है। इसमें आधुनिक भारत में चुनाव, कृष्ण देव राय, जैन धर्म सहित अन्य शामिल हैं। भारत में लोकतंत्र एक सदियों पुरानी अवधारणा है।
भारतीय लोकाचार के अनुसार, लोकतंत्र में समाज में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता के मूल्य शामिल होते हैं और यह अपने आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने की अनुमति देता है।
ऋग्वेद और अथर्ववेद, सबसे पहले उपलब्ध पवित्र ग्रंथ सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख करते हैं, अंतिम शब्द अभी भी हमारी संसद को दर्शाते हुए प्रचलन में है। इस भूमि के महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय लेने में लोगों को शामिल करने की बात करते हैं।
भारतीय पाठ्य उदाहरणों में यह भी पाया जाता है कि शासन करने का अधिकार योग्यता या आम सहमति के माध्यम से अर्जित किया जाता है और यह वंशानुगत नहीं है।
परिषद और समिति जैसी विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं में मतदाता की वैधता पर लगातार चर्चा होती रही है। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में सत्यता, सहयोग, सहयोग, शांति, सहानुभूति और लोगों की सामूहिक शक्ति का उत्सवपूर्ण उद्घोष है।