नई दिल्ली, 17 अगस्तः आजाद भारत के सबसे लोकप्रिय नेता, पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। दिल्ली के विजयघाट स्थित स्मृति स्थल पर उनकी चिता को पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने मुखाग्नि दी।
इससे पहले दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास से सुबह 9 उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय लाया गया। यहां पर दोपहर डेढ़ बजे तक उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा विजयघाट के लिए निकली। इसमें पीएम मोदी और अमित शाह समेत कई नेता करीब चार किलोमीटर तक आम लोगों के साथ पैदल चले। विजयघाट के राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। स्मृति स्थल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत पड़ोसी देशों से आए प्रतिनिधियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा के मद्देनजर 25 सड़के रोकी गई हैं और 20 हजार सुरक्षा कर्मियों की तैनाती गई थीं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम पांच बजकर पांच मिनट पर एम्स में निधन हो गया। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने गुरुवार शाम में मेडिकल बुलेटिन जारी कर इस बात की जानकारी दी। इनके निधन की खबर के बाद से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे चार दशकों से भी अधिक समय से भारतीय संसद के सांसद रहे। इसके अलावा तीन बार भारत के प्रधानमंत्री पद पर भी सुशोभित हुए। अटल बिहारी अपनी सात्विक राजनीति और संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। उनके भाषणों को लोग आज भी ढूंढ़कर सुनते हैं। उल्लेखनीय है कि वाजपेयी ने तबीयत के चलते कई साल पहले सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।