भागवत ने साधु-संतों की भूमिका की सराहना की, कहा : आध्यात्मिक शक्ति देश की समग्र क्षमता का आधार
By भाषा | Updated: November 10, 2021 20:41 IST2021-11-10T20:41:00+5:302021-11-10T20:41:00+5:30

भागवत ने साधु-संतों की भूमिका की सराहना की, कहा : आध्यात्मिक शक्ति देश की समग्र क्षमता का आधार
औरंगाबाद (महाराष्ट्र), 10 नवंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि किसी भी देश की समग्र क्षमता उसकी आध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर करती है और हमारे साधु-संतों ने भारत की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने में खासा योगदान दिया है।
इससे पहले, भागवत ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के हिंगोली जिले के नरसी (नामदेव) में 13वीं शताब्दी के वारकरी संत और कवि नामदेव के जन्मस्थल का दौरा किया। आरएसएस द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस अवसर पर सरसंघचालक ने नरसी गांव में स्थानीय व अन्य लोगों से बातचीत की।
विज्ञप्ति में भागवत के हवाले से कहा गया है, "संत नामदेव ने लोगों को सरल भाषा में धार्मिक जीवन जीने के बारे में बताया था। उन्होंने वारकरी संप्रदाय (भगवान विट्ठल के भक्तगण) के संदेश को पंजाब तक पहुंचाया। यह हिंदू समुदाय की शांति और सद्भाव को स्पष्ट करता है। पंजाब में लोगों ने संत नामदेव के मार्ग को आसानी से स्वीकार कर लिया। संत नामदेव के 61 पद गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं। श्री गुरु नानक (सिख धर्म के संस्थापक) और गुरु गोबिंद सिंह ने हमेशा संत नामदेव को सम्मान का स्थान दिया।’’
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की समग्र क्षमता उसकी आध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर करती है। भागवत ने कहा, "हमारे साधुओं और संतों ने इस आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।"
विज्ञप्ति के अनुसार भागवत बृहस्पतिवार को औरंगाबाद पहुंचेंगे जहां वह 14 नवंबर तक कई बैठकें करेंगे। वह 15 नवंबर को हैदराबाद के रास्ते कोलकाता रवाना होंगे।
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