जज बीएच लोया की मौत की SIT जाँच नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जजों के बयान पर संदेह नहीं

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 19, 2018 10:52 AM2018-04-19T10:52:40+5:302018-04-19T11:24:37+5:30

बीएच लोया की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में मृत्यु हो गयी थी। उस समय वो सीबीआई की विशेष अदालत के जज के तौर पर सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। बीजेपी नेता अमित शाह इस मामले में अभियुक्त थे। शाह बाद में आरोप मुक्त हो गये थे।

bh loya case supreme court verdict on sit probe of death of cbi special court judge | जज बीएच लोया की मौत की SIT जाँच नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जजों के बयान पर संदेह नहीं

जज बीएच लोया की मौत की SIT जाँच नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जजों के बयान पर संदेह नहीं

नई दिल्ली, 19 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (19 अप्रैल) को सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की मौत मामले की विशेष जाँच दल (एसआईटी) से जाँच कराने वाली याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की जांच की माँग की याचिका खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक और कारोबारी वजहों से पीआईएल का इस्तेमाल गलत है। ये फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ कर रही थी। इस पीठ के तीसरे जज जस्टिस एएम खानविलकर थे। 

सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग याचिका दायर करके जज लोया की मौत की एसआईटी से जाँच कराने की माँग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले ने कहा कि जज लोया के साथ मौजूद जजों के ऊपर संदेह नहीं किया जा सकता। सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की एक दिसंबर 2014 को मौत हुई थी। मृत्यु के समय वो सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ केस की सुनवाई कर रहे थे। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बीजेपी नेता अमित शाह भी अभियुक्त थे जिन्हें बाद में आरोप मुक्त कर दिया गया

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "याचिका में कोई वजन नहीं है। कार्यरत जज (बीएच लोया) की मौत के कारणों पर संदेह करने की कोई वजह नहीं। ये न्यायपालिका की छवि खराब करने की कोशिश है।" सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जजों के बयान पर संदेह नहीं जताया जा सकता। जज लोया की मौत के समय उनके साथ कुछ अन्य जज भी थे। चार जजों ने जस्टिस लोया की मौत के मामले में बयान दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जज बीएच लोया की मृत्यु से जुड़े चार जजों श्रीकांत कुलकर्णी, श्रीराम मोदक, आर. राठी और विजय कुमार बार्डे द्वारा दिए गए बयानों और बॉम्बे हाई कोर्ट के न्‍यायाधीशों भूषण गवई व सुनील शुक्रे की टिप्‍पणियों पर यकीन न करने की कोई वजह नहीं। 

देखें - जज बीएच लोया की मौत की जाँच पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा-

क्या है बीएच लोया मामला-

- सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज बृजगोपाल हरिप्रसाद लोया की  नागपुर में एक दिसंबर 2014 को मौत हो गयी। आधिकारिक तौर पर उनकी मृत्यु हृदय गति रुक जाने से हुई। जस्टिस लोया नागपुर अपने एक मित्र की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए गये थे। 

- बीएच लोया की मृत्यु के समय वो सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों समेत बीजेपी नेता अमित शाह भी अभियुक्त थे। 

- बीएच लोया की मृत्यु के बाद सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई करने वाले नए जज ने अमित शाह को मामले से बरी कर दिया था।  सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह  के अलावा राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया , राजस्थान के कारोबारी विमल पटनी , गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख् पी सी पांडे, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गीता जौहरी और गुजरात के पुलिस अधिकारी अभय चूड़ास्मा एवं एनके अमीन को भी आरोप मुक्त किया जा चुका है।


- कुछ पुलिसकर्मियों सहित कई आरोपियों पर अभी सोहराबुद्दीन शेख , उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में मुकदमा चल रहा है। इस मामले की जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गयी थी। मुकदमे की सुनवाई गुजरात से मुंबई स्थानांतरित कर दी गयी थी। 

- नवंबर 2017 में द कारवाँ ने रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि बीएच लोया की मृत्यु की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। जज लोया की बहन ने कारवाँ से कहा था कि उनके भाई को सोहराबुद्दीन केस मामले में 100 करोड़ रुपये के घूस की पेशकश की गयी थी। 

- जनवरी 2018 में बीएच लोया का बेटे अनुज लोया ने प्रेस वार्ता करके कहा कि उन्हें और उनके परिवार को जज लोया की मौत पर कोई संदेह नहीं है। जज लोया के बेटे ने मीडिया से कहा कि पहले उन सबको इसपर संदेह था लेकिन अब नहीं है। हालाँकि अनुज के मामा ने मीडिया से कहा कि अनुज दबाव में आकर ऐसा बयान दे रहे हैं।

- तहसीन पूनावाला और बीएस लोन ने सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाओं में जज लोया की मौत की एसआईटी जाँच के लिए जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की।

-  सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को मामले आवंटित किया। 

- सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों जस्टिस जे चेलेश्वरम, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस कूरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों के आवंटन में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। चार वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट न्यायधीशों ने मीडिया के पूछे सवाल के जवाब में इशारा किया कि विवाद का सम्बन्ध जज लोया की मौत की जाँच की माँग की याचिका से भी है।

- जस्टिस अरुण मिश्रा ने मामले की अगली सुनवाई में खुद को इस मामले से अलग कर लिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा के इस मामले से हट जाने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा वाली तीन न्यायधीशों की पीठ को सौंपा गया। इस पीठ में सीजेआई के आलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर शामिल थे।

- सुप्रीम कोर्ट में  मार्च 2018 में मामले की सुनवाई पूरी हुई। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

- 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने फैसला सुनाया और जज लोया की मौत की जाँच की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीआईएल का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

English summary :
Supreme court verdict, No SIT investigation for Judge Loya's Death Case, Supreme Court says, PIL is being misused. Justice Brijgopal Harkishan Loya was killed on the way to the marriage of a colleagues's daughter in Nagpur on December 1, 2014. Judge Loya was then the Special Judge of the CBI. Judge B H Loya death was then seen in connection with the Sohrabuddin encounter case.


Web Title: bh loya case supreme court verdict on sit probe of death of cbi special court judge

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