Bengal Election 2021: बंगाल में ओवैसी को बड़ा झटका, ममता को फायदा और भाजपा को हो सकता है नुकसान
By गुणातीत ओझा | Published: November 23, 2020 08:35 PM2020-11-23T20:35:39+5:302020-11-23T20:39:46+5:30
बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब सभी की निगाहें पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं। हर बार से अलग इस बार बंगाल में ओवैसी की पार्टी AIMIM को लेकर खबरों का बाजार गरम है।
बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब सभी की निगाहें पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं। हर बार से अलग इस बार बंगाल में ओवैसी की पार्टी AIMIM को लेकर खबरों का बाजार गरम है। माना जा रहा है कि ओवैसी बिहार चुनाव की ही तरह बंगाल में भी अहम रोल अदा करेंगे। बिहार चुनाव को आधार बनाकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि बंगाल में AIMIM का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। इन अटकलों के बीच बंगाल में ओवैसी की पार्टी AIMIM को आज सोमवार को बड़ा झटका लगा है। AIMIM के बड़े नेता अनवर पाशा ने ओवैसी का साथ छोड़कर तृणमूल कॉन्ग्रेस का दामन थाम लिया है। रणनीतिकारों का मानना है कि यह ममता सरकार की चुनावी चाल है। यह सियासी घटनाक्रम भाजपा के लिए एक झटके की ही तरह है। ऐसा कहना इसलिए उचित है क्योंकि अनवर पाशा बंगाल में AIMIM के अध्यक्ष थे। उनके पार्टी छोड़ने की वजह से AIMIM के वोटबैंक पर असर पड़ना तय है। जिसका फायदा टीएमसी को हो सकता है और भाजपा को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
अनवर पाशा ने AIMIM का साथ छोड़ने के साथ ही ओवैसी के राजनीतिक एजेंडों को भी कठघरे में खड़ा किया है। अनवर पाशा ने कहा, AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति की और भाजपा को जिताने में मदद की है। ऐसा पश्चिम बंगाल में होने दिया जा सकता। अगर पश्चिम बंगाल में ‘बिहार मॉडल’ लागू किया जाता है तो सिर्फ खून-खराबा होगा। पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यकों की आबादी सिर्फ 30 फ़ीसदी है ऐसे में AIMIM जैसी सांप्रदायिक शक्तियों को रोकना बेहद जरूरी है। ओवैसी और भाजपा की ओर इशारा करते हुए पाशा ने कहा कि इन सांप्रदायिक ताकतों को पश्चिम बंगाल में दाखिल होने से रोकना बेहद जरूरी है। सालों से अलग-अलग समुदाय के लोग सद्भावना के साथ रह रहे हैं। लेकिन अब उन्हें बाँटने और उनके बीच घृणा पैदा करने का प्रयास हो रहा है। इसके साथ ही पूर्व AIMIM नेता पाशा ने ममता बनर्जी की तारीफ में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पाशा ने कहा कि ममता बनर्जी इकलौती मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सीएए और एनआरसी के विरोध में आवाज बुलंद की। लोग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हैं, जबकि सच यह है कि अगर वह इमामों का आर्थिक सहयोग करती हैं तो पुजारियों का भी करती हैं। वह अपना सिर ढक कर आमीन कहती हैं तो पूजा करने के लिए मंदिर भी जाती हैं। इतना ‘सेकुलर नेता’ अपने जीवन में नहीं देखा।
पाशा ने कहा, “मेरा पश्चिम बंगाल के मुस्लिमों से अनुरोध है कि वह भगवा को प्रदेश से दूर रखने के लिए ममता बनर्जी की मदद करें।” इसके बाद ओवैसी के विरुद्ध खरी-खरी बोलते हुए अनवर पाशा ने कहा, “मेरा उनके (ओवैसी) लिए एक पैगाम है। चुनाव लड़ने के लिए बंगाल आने की कोई ज़रूरत नहीं है। बंगाल को आपकी कोई ज़रूरत भी नहीं है। अगर फिर भी आप आते हैं तो हम डट कर आपसे लड़ेंगे। हम पश्चिम बंगाल में आपको ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं करने देंगे और न ही भाजपा को जिताने में मदद करने देंगे।”