बेलगावी विवाद: शिवसेना सांसद धैर्यशील माने के बेलगावी सीमा में प्रवेश पर लगी रोक, पुलिस से मांगी थी सुरक्षा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 18, 2022 09:47 PM2022-12-18T21:47:17+5:302022-12-18T21:53:20+5:30
कर्नाटक के बेलगावी के डीसी नितेश पाटिल ने महाराष्ट्र सीमा समिति के अध्यक्ष और शिवसेना सांसद धैर्यशील माने के बेलगावी सीमा में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है।
बेलगावी: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहा बेलगावी विवाद अपने चरम पर है। इस दौरान बेलगावी के डीसी नितेश पाटिल ने आदेश जारी करते हुए महाराष्ट्र सीमा समिति के अध्यक्ष और शिवसेना सांसद धैर्यशील माने के बेलगावी सीमा में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। जानकारी के मुताबिक डीसी नितेश पाटिल ने सांसद को सीमा प्रवेश के रोकने के लिए सीआरपीसी 1973 की धारा 144(3) के तहत यह आदेश जारी किया है।
बताया जा रहा है कि शिवसेना सांसद माने 19 दिसंबर को बेलगावी में होने वाले एमईएस महामेलव में भाग लेने के लिए आने वाले थे और इसके लिए उन्होंने बाकायदा बेलगावी पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर जरूरी सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की थी लेकिन बेलगावी जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारण से उनका जिला प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है।
इस बीच यह भी खबर आ रही है कि बेलगावी विवाद पर चर्चा के लिए कर्नाटक सरकार सोमवार से शुरू होने जा रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान विशेष चर्चा करने जा रही है। खबरों के अनुसार कर्नाटक में साल 2023 के अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव की संभावना है। इस कारण मौजूदा बोम्मई सरकार विपक्षी दल कांग्रेस के लगाये जा रहे आरोपों से बचने के लिए उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी शहर में अपनी सरकार के आखिरी शीतकालीन सत्र को बुला रही है।
मालूम हो कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बेलागवी को लेकर विवाद कोई नहीं बल्कि दशकों पुराना है। मौजूदा दौर में बेलागवी वर्तमान कर्नाटक राज्य का हिस्सा है लेकिन भाषाई आधार पर महाराष्ट्र द्वारा बेलगावी पर अपना दावा जताया जाता है। साल 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत महाराष्ट्र ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: निर्धारण की बात शुरू की थी।
महाराष्ट्र ने अधिनियम की धारा 21 (2) (b) के तहत कर्नाटक के बेलगावी के मराठी भाषी क्षेत्रों को वापस दिये जाने को लेकर गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा। महाराष्ट्र ने पत्र में कर्नाटक के 2,806 वर्ग मील के क्षेत्र पर अपना दावा प्रस्तुत किया गया, जिसमें कुल 814 गांव शामिल थे, जिनकी उस समय कुल आबादी लगभग 6.7 लाख थी।
विवाद के संबंध में महाराष्ट्र का तर्क है कि कर्नाटक की तीन शहरी बस्तियां, बेलागवी, कारवार और निप्पनी आजादी से पहले मुंबई प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करती थीं। फिलहाल यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ केंद्र सरकार के पाले में हैं लेकिन केंद्र को दिक्कत इस बात की है दोनों जगहों पर सत्ताधारी पार्टी भाजपा ही है और इस कारण वो इसमें कोई ठोस फैसला लेने से पहले सारी चीजों को ठोंक बजाकर देख लेना चाहते हैं।