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अभिनेता की सेवा लेने को लेकर कंपनी के खिलाफ जारी नोटिस पर रोक

By भाषा | Updated: December 20, 2021 17:46 IST

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नयी दिल्ली, 20 दिसंबर दिल्ली की एक अदालत ने कानून का उल्लंघन करके तंबाकू उत्पादों के अप्रत्यक्ष विज्ञापन में कथित रूप से शामिल होने और युवाओं को तंबाकू की ओर आकर्षित करने के लिए बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध अभिनेता की सेवा लेने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक कंपनी के खिलाफ जारी नोटिस पर रोक लगा दी।

2018 में, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने 'विमल इलायची' नाम का उत्पाद बेचने वाली एक कंपनी को अखबार में एक विज्ञापन के माध्यम से कथित तौर पर तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन करने के लिए नोटिस भेजा था।

डीजीएचएस ने कहा कि विज्ञापन सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (सीओटीपीए) अधिनियम का उल्लंघन है।

इसमें आरोप लगाया गया था कि अखबार के विज्ञापन के माध्यम से, कंपनी ‘‘विमल गुटका’’ के अप्रत्यक्ष विज्ञापन में शामिल हुई। इसमें कहा गया कि ब्रांड नाम "विमल" चबाने वाले तंबाकू, जर्दा, गुटका (तंबाकू युक्त पान मसाला) और खैनी के लिए पंजीकृत है।

अदालत के आदेश के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने कहा, ‘‘वादी ने अधिक से अधिक युवाओं को तंबाकू की ओर आकर्षित करने के लिए बॉलीवुड फिल्म स्टार अजय देवगन की सेवा ली। उक्त विज्ञापन अभियान में शामिल होकर अजय देवगन ने भी कानून का उल्लंघन किया है।’’

डीजीएचएस ने 3 मार्च, 2018 को एक ईमेल के माध्यम से देवगन को भी एक नोटिस दिया था।

हालांकि, कंपनी ने कहा कि केवल ब्रांड नाम "विमल" का उपयोग अप्रत्यक्ष विज्ञापन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है और उनका उत्पाद 100 प्रतिशत तंबाकू मुक्त है और इसलिए "सीओटीपीए अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते।’’

कंपनी ने साथ ही यह भी दलील दी कि इलायची उत्पाद का विज्ञापन किसी मशहूर हस्ती के समर्थन से प्रतिबंधित नहीं है और न ही सीओटीपीए अधिनियम का उल्लंघन है। इसने कहा कि उत्पाद का प्रमुख घटक केसर है।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश राजिंदर सिंह ने कंपनी को विज्ञापन अभियान जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा कि भले ही सीओटीपीए अधिनियम तंबाकू विज्ञापनों के प्रदर्शन और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाता है, लेकिन अप्रत्यक्ष विज्ञापन के संबंध में कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उत्पाद में कोई तंबाकू या अन्य प्रतिबंधित पदार्थ होने का आरोप नहीं है। विचाराधीन उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा अधिक है और प्रथम दृष्टया, यह एक स्वतंत्र सुव्यवस्थित उत्पाद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गुटखे की बिक्री पूरे देश में प्रतिबंधित है। वादी के पास अप्रत्यक्ष विज्ञापन के माध्यम से अपने तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन करने का कोई कारण या अवसर नहीं है। तदनुसार, वादी के पास प्रथम दृष्टया मामला है।’’

न्यायाधीश ने कहा कि यदि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उत्पाद के विज्ञापन को रोक लगा दी जाती है, तो इससे राजस्व के साथ-साथ साख का नुकसान होगा जो कि अपूरणीय होगा। उन्होंने कंपनी को विज्ञापन अभियान जारी रखने का निर्देश देते हुए आदेश दिया, ‘‘सीओटीपीए अधिनियम की धारा 5 के तहत 1 मार्च, 2018 की तिथि वाले नोटिस पर वाद की अंतिम सुनवायी तक रोक लगायी जाती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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