बाबरी विध्वंस केसः सवाल यह है कि जब मस्जिद तोड़ी गई तो फिर सीबीआई की नज़र में सब निर्दोष कैसे?, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा
By भाषा | Published: September 30, 2020 07:24 PM2020-09-30T19:24:06+5:302020-09-30T19:24:06+5:30
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘सवाल यह है कि जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई तो फिर सीबीआई की नज़र में सब निर्दोष कैसे हो गए? क्या यह न्याय है?’’ उन्होंने दावा किया कि यह फैसला पिछले साल अयोध्या मामले में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।
नई दिल्लीः देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बाबरी विध्वंस मामले में विशेष अदालत के फैसले को लेकर सवाल खड़े करते हुए बुधवार को दावा किया कि यह फैसला पिछले साल अयोध्या मामले में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘सवाल यह है कि जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई तो फिर सीबीआई की नज़र में सब निर्दोष कैसे हो गए? क्या यह न्याय है?’’ उन्होंने दावा किया कि यह फैसला पिछले साल अयोध्या मामले में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।
गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।
बाबरी फैसला : तृणमूल कांग्रेस ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी
तृणमूल कांग्रेस ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी आरोपियों के बरी किए जाने पर सधी हुई प्रतिक्रिया जताई और कहा कि ‘‘जो लोग फैसले से खुश नहीं हैं उन्हें ऊपरी अदालतों से राहत मिलेगी।’’ तृणमूल कांग्रेस ने फैसले पर इसके समर्थन या विरोध में कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया, वहीं भाजपा, माकपा और कांग्रेस जैसे बड़े दलों ने उसके रुख के लिए उसकी आलोचना की।
सीबीआई की अदालत ने मामले में भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस के नेता और पार्टी के प्रवक्ता सौगत राय ने कहा, ‘‘यह अदालत का फैसला है, इसलिए हम नहीं कह सकते कि इसके विरोध या समर्थन में हैं। फैसला 28 वर्षों के बाद आया है और कुछ लोग इससे नाखुश हैं। हमें मीडिया से पता चला है कि कुछ संगठनों ने नाखुशी जताई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि जो लोग फैसले से खुश नहीं हैं उन्हें ऊपरी अदालतों से राहत मिलेगी।’’
बाबरी मस्जिद मामले में फैसला अपेक्षित था, आश्चर्य नहीं हुआ : राकांपा
राकांपा ने बुधवार को कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में विशेष अदालत द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने से वह चकित नहीं है। लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित सभी 32 आरोपियों को निर्णायक पुख्ता साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
महाराष्ट्र के मंत्री एवं राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मामले में अदालत ने आज फैसला दे दिया है। यह अपेक्षित था और इसलिए हमें आश्चर्य नहीं हुआ।’’ मंत्री ने कहा कि साक्ष्यों के अभाव में आरोपी भले ही बरी हो गए लेकिन जांच एजेंसियों ने साक्ष्यों के आधार पर मामला दायर किया था।