बाबरी मस्जिद ढांचा मामलाः उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह मुसीबत में, आयोग ने 68 लोगों को दोषी माना था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2019 03:34 PM2019-09-10T15:34:49+5:302019-09-10T15:38:16+5:30

अदालत अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाने की साजिश के लिए पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती एवं अन्य आरोपियों के मुकदमे की सुनवाई कर रही है।

Babri Masjid case: Former UP chief minister Kalyan Singh in trouble, Commission had convicted 68 people | बाबरी मस्जिद ढांचा मामलाः उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह मुसीबत में, आयोग ने 68 लोगों को दोषी माना था

अर्जी पेश करते हुए सीबीआई ने कहा कि कल्याण सिंह के खिलाफ 1993 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।

Highlightsअदालत ने सीबीआई से जानकारी ली कि कल्याण सिंह क्या अब राज्यपाल के संवैधानिक पद पर हैं। मामले की कार्यवाही चूंकि दिन प्रतिदिन आधार पर चल रही है इसलिए सीबीआई की अर्जी पर 11 सिंतबर 2019 को सुनवाई हो सकती है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को बाबरी ढांचा ढहाये जाने के मामले में मुकदमे का सामना करने के मकसद से तलब करने के अनुरोध वाली अर्जी दी।

अदालत अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाने की साजिश के लिए पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती एवं अन्य आरोपियों के मुकदमे की सुनवाई कर रही है।

अदालत ने सीबीआई से जानकारी ली कि कल्याण सिंह क्या अब राज्यपाल के संवैधानिक पद पर हैं। अदालत ने कहा कि मामले की कार्यवाही चूंकि दिन प्रतिदिन आधार पर चल रही है इसलिए सीबीआई की अर्जी पर 11 सिंतबर 2019 को सुनवाई हो सकती है।

अर्जी पेश करते हुए सीबीआई ने कहा कि कल्याण सिंह के खिलाफ 1993 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। अभी तक कल्याण सिंह आरोपी के रूप में मुकदमे की कार्यवाही में नहीं लाये जा सके क्योंकि उन्हें राज्यपाल होने के नाते संविधान के तहत विशेष अधिकार प्राप्त है।

उच्चतम न्यायालय ने हालांकि सीबीआई को इस बात की अनुमति दी थी कि जब कल्याण सिंह राज्यपाल नहीं रहेंगे तो उन्हें आरोपी के रूप में पेश किया जा सकता है। सिंह हाल में राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे हैं। सीबीआई ने अपनी अर्जी में कहा कि सिंह तीन सितंबर 2014 को राज्यपाल पद पर नियुक्त हुए थे और उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। 

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक षडयंत्र के लिए मुकदमे का सामना कर सकते हैं क्योंकि इस संवैधानिक पद के साथ उन्हें जो छूट मिली हुई है वह उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद खत्म हो सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि इस मामले में कल्याण सिंह को अब तक अनुच्छेद 351 के तहत संवैधानिक पद पर होने के चलते कानूनी कार्रवाई से छूट मिली थी।

सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया था, जिसमें कल्याण सिंह के अलावा इस केस में पूर्व डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, पूर्व सीएम उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास, विनय कटियार, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान, आरवी वेदांती, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा (प्रेम), धर्म दास को आरोपी मानते हुए मुकदमा चलाने की बात कही थी। कल्याण सिंह को छोड़कर बाकी आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिली हुई है।

इन सारे नेताओं के खिलाफ अयोध्या में बाबरी विध्वंस के लिए आपराधिक षडयंत्र करने का आरोप है, जो धारा 120 (बी) के तहत चल रहा है। अब सीबीआई के अपील स्वीकार करने के बाद कल्याण सिंह को एक बार फिर कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

बता दें कि अयोध्या मामले के लिए लिब्राहन आयोग का गठन 16 दिसंबर 1992 में किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बाबरी विध्वंस को सुनियोजित साजिश करार देते हुए 68 लोगों को दोषी माना था। लिब्राहन आयोग ने कहा था कि कल्याण सिंह ने घटना को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को राजस्थान के नये राज्यपाल के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र को नामित किया। उच्चतम न्यायालय ने 19 अप्रैल 2017 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र के आरोप फिर से बहाल करने का आदेश दिया था। उसने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे सिंह को मुकदमे का सामना करने के लिये आरोपी के तौर पर बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को संवैधानिक छूट मिली हुई है।

हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई से सिंह को राज्यपाल पद से हटने के तुरंत बाद आरोपी के तौर पर पेश करने के लिए कहा था। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक तथा दीवानी मामलों से छूट प्रदान की गई है। इसके अनुसार, कोई भी अदालत किसी भी मामले में राष्ट्रपति या राज्यपाल को सम्मन जारी नहीं कर सकती। इस घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने बताया, ‘‘चूंकि राज्यपाल के रूप में सिंह का कार्यकाल खत्म हो गया है तो उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है, बशर्ते कि सरकार उन्हें किसी अन्य संवैधानिक पद पर नियुक्त न कर दे।’’

सिंह को तीन सितंबर 2014 को पांच साल के कार्यकाल के लिए राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। सिंह के खिलाफ सीबीआई के मामले के अनुसार, उन्होंने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहे हुए राष्ट्रीय एकता परिषद को आश्वासन दिया था कि वह विवादित ढांचे को ढहाने नहीं देंगे और उच्चतम न्यायालय ने विवादित स्थल पर केवल सांकेतिक ‘कार सेवा’ की अनुमति दी थी।

साल 1993 में उनके खिलाफ सीबीआई के आरोपपत्र के बाद 1997 में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने एक आदेश में कहा था, ‘‘सिंह ने यह भी कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि ढांचा पूरी तरह सुरक्षित रहे और उसे ढहाया न जाए लेकिन उन्होंने कथित तौर पर अपने वादों के विपरीत काम किया।’’

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि सिंह ने मुख्यमंत्री के तौर पर केंद्रीय बल का इस्तेमाल करने का आदेश नहीं दिया। विशेष अदालत ने कहा था, ‘‘इससे प्रथम दृष्टया यह मालूम पड़ता है कि वह आपराधिक षडयंत्र में शामिल थे।’’ सिंह ने छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 

Web Title: Babri Masjid case: Former UP chief minister Kalyan Singh in trouble, Commission had convicted 68 people

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