'नमाज पढ़ो फिर जो मर्जी करो...मुसलमानों को यही सिखाया जाता है', बोले बाबा रामदेव; ईसाई धर्म पर भी टिप्पणी
By विनीत कुमार | Published: February 2, 2023 09:24 PM2023-02-02T21:24:45+5:302023-02-02T21:29:05+5:30
योग गुरु बाबा रामदेव ने मुसलमानों और ईसाई धर्म को लेकर ऐसे बयान दिए हैं, जिस पर विवाद मच सकता है। उन्होंने राजस्थान के बाड़मेर में एक मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित धर्म सभा में ये बयान दिए।

बाबा रामदेव ने मुसलमानों और ईसाई धर्म पर की टिप्पणी (फाइल फोटो)
जयपुर: योगगुरु बाबा रामदेव ने इस्लाम और ईसाई धर्म को लेकर ऐसे बयान दिए हैं जिस पर अब विवाद शुरू हो सकता है। राजस्थान के बाड़मेर में एक धर्म सभा के दौरान कहा कि मुसलमानों को बस यही सिखाया जाता है कि जो करना है करो लेकिन पांच वक्त नमाज जरूर पढ़ो। वे एक मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया।
इस्लाम और ईसाई धर्म पर टिप्पणी
रामदेव ने कहा, 'वे इस्लाम का मतलब बस नमाज समझते हैं। उनको यही सिखाया जाता है कि नमाज जरूर पढ़ो बाकी जो करना है करो। आतंकवादी बनो, हिंदुओं को छोरियों को उठाकर लाओ लेकिन नमाज जरूर पढ़ो।'
बाबा रामदेव ने ईसाई धर्म पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'दिन में चर्च जाकर मोमबत्ती जलाओ, ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ, सारे पाप धुल जाएंगे।'
रामदेव ने आगे कहा, 'उनकी जन्नत (स्वर्ग) का मतलब है कि टखने के ऊपर पायजामा पहनों, मूंछ कटवा लो और टोपी पहन लो। ऐसा कोई कुरान कहता है या इस्लाम कहता है मैं ऐसा नहीं कह रहा लेकिन लोग ऐसा ही करते हैं। ताकि बस जन्नत में जगह मिले और 72 हूरें मिले। ऐसी जन्नत तो जहन्नुम से भी बेकार है। एक पागलपन है। कोई कहता है कि पूरी दुनिया को इस्लाम में तब्दील करेंगे तो कोई कहता है कि पूरी दुनिया को ईसाइयत में बदल देंगे।'
सनातन धर्म में ऐसा नहीं है: बाबा रामदेव
रामदेव ने आगे कहा, 'लोग धर्म बदलावे की बात करते हैं, मैं पूछता हूं कि ऐसा करके करोगे क्या...कोई ऐजेंडा नहीं है। सनातन धर्म का एजेंडा है कि ब्रह्म मुहूर्त में जागो। ईश्वर को याद करो. ध्यान, योग, और सेवा करो। यही सनातन धर्म सिखाता है। यह सादगी से जीवन जीना सिखाता है।'
रामदेव ने कहा, 'भगवान ने केवल मनुष्य जाति बनाई और बाकी जातियां तो हम सब ने बनाई हैं। हिंदू धर्म को अनेकों जातियों में बांट दिया गया है। इसलिए अपने धर्म को लेकर जाग्रत रहो और धर्म गुरुओं के आह्वान पर हमेशा तत्पर रहो।'