लखनऊ में अखिलेश यादव से मिले आजम खान, कहा-बिहार में 'जंगल राज', जंगलों में तो कोई इंसान रहता ही नहीं, मैं कैसे जा सकता हूँ?
By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 7, 2025 13:14 IST2025-11-07T13:14:08+5:302025-11-07T13:14:27+5:30
सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री आजम खान विगत 23 सितंबर को लगभग 23 महीने तक जेल में रहने के बाद से जमानत पर सीतापुर जेल से रिहा किए गए थे। उन पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।

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लखनऊः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री आजम ख़ान ने शुक्रवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। खान यादव से आवास पर मिले। लगभग 30 मिनट तक चली इस मुलाकात को मौजूदा राजनीतिक माहौल में अहम माना जा रहा है। मुलाकात के बाद आज़म खान ने कोई विस्तृत जानकारी देने से परहेज किया, लेकिन कहा कि वह खुद, अपने परिवार और समर्थकों के साथ हुए अन्याय की कहानी साझा करने आए हैं।
न जाने कितनी यादें संग ले आए
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 7, 2025
जब वो आज हमारे घर पर आए!
ये जो मेलमिलाप है यही हमारी साझा विरासत है। pic.twitter.com/hPr56uCLFB
आज़म खान ने कथित अन्याय और अदालती न्याय पर बात की आज़म खान ने अपने और अपने सहयोगियों के साथ हुए व्यवहार को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि हमारे साथ जो अन्याय हुआ है, उस पर हम आपस में चर्चा करते हैं। मुझे उम्मीद है कि मेरे या किसी और जैसे अन्याय का सामना किसी और को न करना पड़े। हम अदालतों से न्याय और सभी एजेंसियों से निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उनके, उनके सहयोगियों और विश्वविद्यालय के साथ जो अन्याय हुआ है, वह किसी और के साथ नहीं होना चाहिए। बिहार में 'जंगल राज' पर टिप्पणी करते हुए आज़म खान ने सार्वजनिक रूप से बिहार जाने से इनकार कर दिया और कहा कि वहाँ जंगल राज की बात हो रही है, लेकिन जंगलों में तो कोई इंसान रहता ही नहीं। मैं वहाँ कैसे जा सकता हूँ?
कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में सिर्फ ‘व्यवस्था’ बची है जबकि ‘कानून’ गायब है। लखनऊ में बातचीत के दौरान खान ने कहा, ‘‘क़ानून व्यवस्था से ‘क़ानून’ गायब है, यहां सिर्फ व्यवस्था चल रही है।’’ बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालिया टिप्पणी, जिसमें उन्होंने विपक्षी दलों को ‘रामद्रोही’ कहा था - पर प्रतिक्रिया देते हुए ख़ान ने कहा कि ऐसे फैसलों को राजनीति पर नहीं, बल्कि आस्था पर छोड़ देना चाहिए।
खान ने कहा, ‘‘अब यह भगवान राम के भक्तों या उन्हें अपना भगवान कहने वालों पर निर्भर है कि वे तय करें कि रामद्रोही कौन है। अगर दूसरों को भी यह तय करना पड़े, तो धर्म को ही बहुत नुकसान होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस समय मेरे पास कोई सुरक्षा नहीं है। मैं आज अकेले ही लखनऊ आया हूं।’’
सपा नेता ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘वे बिहार के ‘जंगलराज’ की बात करते हैं और मुझे ऐसे जंगल में जाने से डर लगता है।’’ सपा नेता ने राजद के पिछले शासन के दौरान बिहार में ‘जंगलराज’ के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा बार-बार उल्लेख किए जाने पर भी कटाक्ष किया और कहा कि इस तरह की बयानबाजी आज की जमीनी हकीक़त को नजरअंदाज करती है।
अपने ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों का ज़िक्र करते हुए, खान ने आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता इतनी कम हो गई है कि उच्चतम न्यायालय को भी उनके मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने अपने ख़िलाफ़ लगे कुछ आरोपों का भी मज़ाक उड़ाया, जिनमें कथित तौर पर बकरी चुराने का एक मामला भी शामिल है।
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘मुझे बकरी चोरी के जुर्म में 21 साल की सजा और 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, लेकिन मुझे बकरी भी नहीं मिली।’’ खान ने दावा किया कि सरकार के ज़मीन हड़पने के आरोप राजनीति से प्रेरित थे। उन्होंने कहा, ‘‘आसरा योजना के तहत उस ज़मीन पर बने मकान 2016 में आवंटित किए गए थे और डेढ़ साल से ज़्यादा समय तक निर्माण कार्य चलता रहा।
तीन साल बाद, उन्होंने जमीन हड़पने और बकरी चुराने के मामले दर्ज करने शुरू कर दिए।’’ सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री आजम खान विगत 23 सितंबर को लगभग 23 महीने तक जेल में रहने के बाद से जमानत पर सीतापुर जेल से रिहा किए गए थे। उन पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।