अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले रुका राम जन्मभूमि कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम, जानिए वजह

By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 7, 2019 02:39 PM2019-11-07T14:39:45+5:302019-11-07T14:39:45+5:30

Stones Carving in Ayodhya: राम जन्मभूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले से पहले अयोध्या में राज जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम रोक दिया गया है

Ayodhya Verdict: Carving of stones stopped at Ram Janmabhoomi Nyas Karyashaala ahead of SC verdict | अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले रुका राम जन्मभूमि कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम, जानिए वजह

पिछले करीब 30 सालों से अयोध्या के कारसेवक पुरम में जारी है मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम

Highlightsप्रस्तावित राम मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम पिछले तीन दशक से जारी हैइस कार्यशाला में प्रस्तावित मंदिर का लकड़ी से बना एक मॉडल भी रखा हुआ है

राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में  के कारसेवकपुरम स्थित राम जन्मभूमि न्यास ने श्री राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम रोक दिया है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्यशाला की शुरुआत के बाद से शायद ये पहली बार है कि यहां एक एक भी शिल्पकार मौजूद नहीं हैं। 

न्यास संतों की सर्वोच्च संस्था हैं जो 1990 से ही देश भर में राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई कर रहा है। 

इस समय परिक्रमा (चौदह और पांच कोसी) के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में हैं, उनमें से कइयों ने प्रस्तावित राम मंदिर के लिए तराशे जा रहे विशाल पत्थरों को देखने के लिए राम मंदिर का दौरा किया।  

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में रुका है काम!

यहां तक कि जब दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के बाद आरएसएस और उसके मुख्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तब भी इस कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम जारी था।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएस और वीएचपी नेताओं ने हालांकि पत्थरों को तराशने के काम को रोकने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के किसी भी दबाव से इनकार किया है।

कारसेवकपुरम से कार्य करने वाले विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के स्थानीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, 'न्यास ने कार्यशाला में सभी काम रोकने का फैसला किया है। उसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का फैसला किया है। इसके बाद काम को फिर से शुरू करने पर फैसला लिया जाएगा।'

कार्यशाला में, प्रस्तावित मंदिर के लिए नक्काशीदार पत्थर के खंभे, छत के स्लैब, फर्श के स्लैब और सीढ़ियों के लिए स्लैब है, ये सभी लाल पत्थर में हैं। कार्यशाला में आने वाले कई श्रद्धालु श्रद्धा भाव से इन पत्थरों को छूते हैं।

नेटवर्क 18 की खबर के मुताबिक, दो महीने पहले यहां कार्यरत मूर्तिकार की मौत हो जाने की वजह से भी पत्थरों को तराशने का काम रुका है। नए मूर्तिकार की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद की जाएगी।

1990 में हुई थी रामजन्म भूमि कार्यशाला की शुरुआत

मंदिर का शिलान्यास 10 नवंबर 1989 को हुआ था और इस कार्यशाला की शुरुआत 30 अगस्त 19990 को की गई थी और इसके बाद यहां पत्थरों की खेप आनी शुरू हुई थी। यहां पत्थरों को तराशने का काम 1992 से शुरू हुआ था, लेकिन इस मामले के हाई कोर्ट में लंबित होने से 1997 के बाद से यहां काम धीमा पड़ गया था।

मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद से पत्थरों को तराशने के काम में फिर से तेजी आई।  

शर्मा ने कहा, पत्थरों को तराशने का ज्यादातर काम पहले ही पूरा हो चुका है। केवल कुछ नाजुक काम बाकी है, जिसे मंदिर निर्माण स्थल पर पूरा किया जाएगा।  

मंदिर के लिए प्रस्तावित स्थल (राम जन्म भूमि) से कार्यशाला की दूरी 3 किलोमीटर है। इस कार्यशाला में दो विशाल पत्थर काटने वाली मशीने हैं। इस कार्यशाला के मध्य में प्रस्तावित मंदिर का एक लकड़ी का एक मॉडल है। और इसके एक तरफ, कार्यशाला के कर्मचारियों और शिल्पकारों के क्वॉर्टर हैं।

Web Title: Ayodhya Verdict: Carving of stones stopped at Ram Janmabhoomi Nyas Karyashaala ahead of SC verdict

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