Ayodhya Verdict: बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया ऐतिहासिक, दिया ये सुझाव
By रामदीप मिश्रा | Published: November 9, 2019 01:51 PM2019-11-09T13:51:28+5:302019-11-09T13:51:28+5:30
Ayodhya Verdict: शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।
अयोध्या विवाद दशकों से चला आ रहा था जिस पर शनिवार (09 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता साफ कर दिया। इस फैसले को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अयोध्या मामले पर आए फैसले को लेकर बाबा रामदेव ने कहा, 'यह एक ऐतिहासिक फैसला है। अब भव्य राम मंदिर बनेगा। मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक भूमि आवंटित करने का निर्णय स्वागत योग्य है, मेरा मानना है कि हिंदू भाइयों को मस्जिद के निर्माण में भी मदद करनी चाहिए।'
Baba Ramdev: This is a historic verdict. A grand Ram temple will be built. Decision to allot alternate land to Muslim side is welcome, I believe Hindu brothers should help in the construction of the Masjid as well. #Ayodhyajudgementpic.twitter.com/wcijPEkQ2Q
— ANI (@ANI) November 9, 2019
बता दें कि शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था।
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा।
संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी।