अयोध्या विवादः कल्याण सिंह ने कहा- सभी को अदालत के निर्णय का इंतजार करना चाहिए, अनुचित बयानबाजी सही नहीं

By भाषा | Published: October 28, 2019 01:30 PM2019-10-28T13:30:50+5:302019-10-28T13:31:13+5:30

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने एक सवाल पर कहा कि सभी को उच्चतम न्यायालय के आदेश का इंतजार करना चाहिए और उससे पहले इस संबंध में किसी भी तरह की टिप्पणी उचित नहीं है।

Ayodhya dispute: Kalyan Singh said - everyone should wait for the court's decision, improper rhetoric is not right | अयोध्या विवादः कल्याण सिंह ने कहा- सभी को अदालत के निर्णय का इंतजार करना चाहिए, अनुचित बयानबाजी सही नहीं

इस संबंध में किसी भी तरह की टिप्पणी उचित नहीं है।

Highlightsकल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं में शुमार किए जाते रहे हैं। वह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा है कि अयोध्या में विवादित स्थल के मसले पर अदालत के निर्णय का इंतजार किया जाना चाहिये और अभी इस मुद्दे पर कोई भी टिप्‍पणी करना अनुचित है।

सिंह नेदीपावली के मौके पर अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल पर कहा कि सभी को उच्चतम न्यायालय के आदेश का इंतजार करना चाहिए और उससे पहले इस संबंध में किसी भी तरह की टिप्पणी उचित नहीं है।

उन्होंने कहा "मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि सभी को उच्चतम न्यायालय के निर्णय का इंतजार करना चाहिए और किसी भी पक्ष की ओर से उससे पहले कोई भी बयान दिया जाना उचित नहीं है।" पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा गया था कि कुछ वरिष्ठ भाजपा नेता अयोध्या में विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा निकट भविष्य में अपना निर्णय दिए जाने की संभावना के मद्देनजर मंदिर निर्माण के बारे में बयान दे रहे हैं।

कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं में शुमार किए जाते रहे हैं। वह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। माना जा रहा है कि मौजूदा प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने की तिथि 17 नवंबर से पहले अयोध्या मामले का निर्णय आ जाएगा। 

Web Title: Ayodhya dispute: Kalyan Singh said - everyone should wait for the court's decision, improper rhetoric is not right

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