चीन और रूस में तानाशाही की बात करते हुए बाइडन ने किया भारत का जिक्र, कहा- भारत की अपनी समस्याएं हैं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 23, 2022 01:34 PM2022-04-23T13:34:07+5:302022-04-23T14:24:32+5:30
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत की अपनी समस्याएं हैं और उन सभी देशों की अपनी समस्याएं हैं, लेकिन तानाशाह जिस बात से सबसे ज्यादा डरते हैं, वह यह धारणा है कि हम एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं और उनके विपरीत काम कर सकते हैं जो वास्तव में निरंकुश हैं।
वाशिंगटन: शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए चीन के साथ रूस और कई अन्य देशों में तानाशाही की बात करते हुए भारत का भी जिक्र किया।
सिएटल स्थित एक निजी आवास पर पार्टी के वास्ते धन एकत्रित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन बातों का जिक्र किया जिनसे निरंकुश सबसे अधिक डरते हैं।
बाइडन ने कहा कि मैंने शी जिनपिंग को संकेत दिया था कि मैं क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका) के बीच सहयोग को बढ़ा रहा हूं। इस पर उन्होंने कहा कि आप हमें प्रभावित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। लेकिन मैंने कहा, ऐसा नहीं है।
बाइडन ने कहा कि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि क्वाड इसलिए है, क्योंकि हम उन लोगों को एकसाथ रखने की कोशिश कर रहे हैं जिनके पास हिंद-प्रशांत में एकसाथ काम करने का अवसर है।
उन्होंने कहा कि भारत की अपनी समस्याएं हैं और उन सभी देशों की अपनी समस्याएं हैं, लेकिन तानाशाह जिस बात से सबसे ज्यादा डरते हैं, वह यह धारणा है कि हम एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं और उनके विपरीत काम कर सकते हैं जो वास्तव में निरंकुश हैं। उन्होंने कहा कि केवल चीन और रूस की बात नहीं हो रही, बल्कि फिलीपींस जैसे कई देश निरंकुश बन गये हैं।
बाइडन ने कहा कि जब वह निर्वाचित हुए तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोचा कि वह आसानी से नाटो को तोड़ने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि यह शुरुआत से ही उनके उद्देश्य का एक हिस्सा था, मैं यह आठ साल से कह रहा हूं।
बाइडन ने कहा, ‘‘हालांकि विडंबना है कि ... उन्हें वही मिला जो वह नहीं चाहते थे। वह यूरोप पर प्रभाव जमाना चाहते थे। इसके बजाय, फिनलैंड के राष्ट्रपति ने मुझसे कहा कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं और नाटो में शामिल होना चाहते थे, और स्वीडन भी नाटो में शामिल होना चाहता है। उनके कदम से उसके विपरीत परिणाम सामने आ रहे हैं जो वह चाहते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इससे सब कुछ आसान हो जाता है। लेकिन मुद्दा यह है कि हमारे पास एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें यूक्रेनी लोग अविश्वसनीय रूप से बहादुर हैं; वे अविश्वसनीय रूप से प्रतिबद्ध हैं, न केवल प्रशिक्षित सेना बल्कि सड़कों पर उतरे लोग।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वे पुतिन के इस सिद्धांत का झुठला रहे हैं कि चूंकि वे पृष्ठभूमि में स्लाव हैं और कई रूसी बोलते हैं, वहां स्वागत किया जाएगा। लेकिन ठीक इसके विपरीत हुआ है।’’
(भाषा से इनपुट के साथ)