एटॉर्नी जनरल ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए सहमति से इनकार किया
By भाषा | Updated: October 5, 2021 20:14 IST2021-10-05T20:14:48+5:302021-10-05T20:14:48+5:30

एटॉर्नी जनरल ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए सहमति से इनकार किया
नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब की, अदालतों के खिलाफ की गई कथित टिप्पणियों के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी देने से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इनकार कर दिया है।
शीर्ष कानून अधिकारी ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय के समक्ष प्रदेश के अधिवक्ता द्वारा दिए गए बयान का हवाला दिया । अदालत ने बाद के स्पष्टीकरण वाले बयान को स्वीकार कर लिया और भाजपा शासित पूर्वोत्तर राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं करने का फैसला किया।
हालांकि वेणुगोपाल ने कथित बयानों को ‘‘निंदनीय’’और ‘‘पूरी तरह से अनुचित’’ करार दिया ।
अधिवक्ता अबु सोहेल को लिखे पत्र में वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘मुझे इस बात का भरोसा है कि इस तथ्य के मद्देनजर आप इसकी सराहना करेंगे कि उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री के बयान को स्वीकार कर लिया है, कि उन्हें गलत तरीके से उद्धृत किया गया था और न्यायपालिका के प्रति उनके मन में सर्वोच्च सम्मान है । इसलिये अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति प्रदान करना मेरे लिये उचित नहीं होगा । इसलिए, जो कारण बताये गये हैं, उसके आधार पर मैं सहमति देने से इनकार करता हूं।’’
अधिवक्ता सोहेल ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए विधि अधिकारी से सहमति मांगी थी।
वेणुगोपाल की तरफ से दो अक्टूबर को लिखे गये पत्र में कहा गया है, ‘‘खबरों के अनुसार बार के सदस्यों द्वारा अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के अनुरोध को (उच्च) न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया था। पीठ ने....सोशल मीडिया पर दिये गये मुख्यमंत्री के बयान को स्वीकार कर लिया, जिसका स्क्रीनशॉट अदालत में पेश किया गया था । इसके परिणाम स्वरूप अदालत ने अवमानना के मामले को सूचीबद्ध करने से मना कर दिया, और यह मामला बंद हो गया ।’’
इससे पहले मीडिया के एक वर्ग में आयी खबरों में कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने कथित रूप से अधिकारियों को अवमानना से नहीं डरने के लिये कहा था ।
बाद में यह बयान जारी कर यह दावा किया गया कि (मुख्यमंत्री के) भाषण को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है ।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि न्यायपालिका के प्रति वह सर्वोच्च सम्मान रखते हैं ।
अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की मंजूरी कानून के तहत शीर्ष अदालत के समक्ष आपराधिक अवमानना की कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए एक शर्त है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।