कांग्रेस का केंद्र पर हमला, सरकार के जवाब से साबित हुआ कि राफेल सौदे पर कैबिनेट की मंजूरी नहीं दी गई
By भाषा | Published: November 13, 2018 01:28 AM2018-11-13T01:28:32+5:302018-11-13T01:28:32+5:30
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सरकार के जवाब से साबित हो गया कि राफेल विमान सौदे को अंतिम रूप से देने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी नहीं ली गई।
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सरकार के जवाब से साबित हो गया कि राफेल विमान सौदे को अंतिम रूप से देने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी नहीं ली गई।
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राफेल विमान की कीमत का खुलासा नहीं करने को लेकर भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘एक तरह से सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से विचार-विमर्श नहीं किया गया है। क्या अनुबंध देने के बाद विचार-विमर्श करेंगे या पहले करेंगे?’’
सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार राफेल मामले पर लोगों को गुमराह कर रही है। सीबीआई से जुड़े मामले में सीवीसी के उच्चतम न्यायालय में जवाब पर सिंघवी ने कहा, ‘‘उस पर आज टिप्पणी करना उपयुक्त इसलिए नहीं होगा क्योंकि करीब-करीब 7 मिनट अदालत में चला मामला अब 16 तारीख को लगाया है। सरकार ने न्यायालय से माफी मांगी है कि हमने आपको सीलबंद लिफाफा देने में विलंब किया।’’
सरकार ने बताया
केन्द्र सरकार के वकील ने बताया कि सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को इन विमानों की कीमतों से अवगत कराया गया है। शीर्ष अदालत ने 31 अक्टूबर को केन्द्र सरकार से कहा था कि इन 36 लड़ाकू विमानों की कीमतों का विवरण दस दिन के भीतर पेश किया जाये।
हालांकि, इस मामले में सुनवाई की पिछली तारीख पर केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने के लिये अनिच्छुक था और अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा भी था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है।
शीर्ष अदालत 36 लड़ाकू राफेल विमानों की कीमतों के बारे में सीलबंद लिफाफे में पेश किये गये इस विवरण का 14 नवंबर को अवलोकन करेगी। न्यायालय में राफेल सौदे से संबंधित याचिकाएं 14 नवंबर को सुनवाई के लिये ही सूचीबद्ध हैं।