29 सितंबर को पीएम मोदी करेंगे रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन, जानें 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर बने टनल की खास बातें

By सुमित राय | Published: September 10, 2020 06:12 PM2020-09-10T18:12:00+5:302020-09-10T19:10:00+5:30

राेहतांग टनल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी 29 सितंबर को करेंगे, जिसको अटल टनल के नाम से भी जाना जाता है।

Atal Tunnel at Rohtang to be inaugurated in September: All you need to know | 29 सितंबर को पीएम मोदी करेंगे रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन, जानें 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर बने टनल की खास बातें

पीएम नरेंद्र मोदी 29 सितंबर को रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन करेंगे। (फाइल फोटो)

Highlightsप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने 29 तारीख को रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन करेंगे। यह सुरंग तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर विश्व की सबसे लंबी सुरंग होगी।इससे मनाली तथा लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।

तीन हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर बना दुनिया का सबसे लंबा मोटरेबल रोडवेज रोहतांग टनल खुलने के लिए तैयार है। इस सुरंग को अटल टनल के नाम से भी जाना जाता है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने 29 तारीख को करेंगे। इस सुरंग को बनाने का विचार करीब 160 साल पुराना है जो 2020 में मूर्त रूप लेने जा रहा है। टनल निर्धारित लक्ष्य से लगभग छह साल देरी से बनकर तैयार हुई है, इस कारण इसकी लागत भी 1400 करोड़ से बढ़कर 4000 करोड़ पहुंच चुकी है।

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में बन रही इस रणनीतिक सुरंग का नाम केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा था। यह सुरंग तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर विश्व की सबसे लंबी सुरंग होगी और इससे मनाली तथा लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।

1860 मोरावियन मिशन ने रखा था सुरंग बनाने का विचार

सुरंग का डिजाइन तैयार करने वाली ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्नोई माउंटेन इंजीनियरिंग कंपनी (एसएमईसी) के वेबसाइट के मुताबिक रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने का पहला विचार 1860 में मोरावियन मिशन ने रखा था। समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर 1458 करोड़ रुपये की लगात से बनी दुनिया की यह सबसे लंबी सुरंग लद्दाख के हिस्से को साल भर संपर्क सुविधा प्रदान करेगी।

यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी। (फाइल फोटो)
यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी। (फाइल फोटो)

जवाहरलाल नेहरु के कार्यकाल में रोप वे का प्रस्ताव

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भी रोहतांग दर्रे पर 'रोप वे' बनाने का प्रस्ताव आया था। बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में मनाली और लेह के बीच सालभर कनेक्टिविटी देने वाली सड़क के निर्माण की परियोजना बनी। लेकिन इस परियोजना को मूर्त रूप प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मिला।

जून 2000 में लिया गया था सुरंग बनाने का फैसला

रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्‍व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। सुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। 15 अक्‍टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण पूरा कर लिया गया था।

सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है। (फाइल फोटो)
सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है। (फाइल फोटो)

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में की थी सुरंग की घोषणा

अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने की परियोजना की घोषणा की। बाद में वर्ष 2019 में वाजपेयी के नाम पर ही इस सुरंग का नाम 'अटल टनल' रखा गया। सीमा सड़क संगठन ने वर्ष 2009 में शापूरजी पोलोनजी समूह की कंपनी एफकॉन्स और ऑस्ट्रिया की कंपनी स्टारबैग के संयुक्त उपक्रम को इसके निर्माण का ठेका दिया और इसके निमार्ण कार्य में एक दशक से अधिक वक्त लगा।

8.8 किलोमीटर है सुरंग की लंबाई

पूर्वी पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखला में बनी यह 8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग लेह- मनाली राजमार्ग पर है। यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है। सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है। यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी और यात्रा समय भी चार से पांच घंटा कम हो जाएगा।

टनल से मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी। (फाइल फोटो)
टनल से मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी। (फाइल फोटो)

सेरी नाला से पानी के रिसाव के कारण निर्माण में हुई देरी

टनल निर्माण पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2014 रखा गया था, लेकिन टनल निर्माण के दौरान 410 मीटर सेरी नाला के पास पानी के रिसाव के कारण निर्माण कार्य में देरी हुई। यहां हर सेकेंड 125 लीटर से अधिक पानी निकालता है जिससे यहां काम करना बहुत मुश्किल था। इस रिसाव को रोकने में बीआरओ के इंजीनियर और मजदूरों को करीब तीन साल का समय लग गया। नतीजा यह रहा कि टनल निर्माण में छह साल का अतिरिक्त समय लग गया।

Web Title: Atal Tunnel at Rohtang to be inaugurated in September: All you need to know

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